कैमूर जिला में राम भरोसे हेल्थ सिस्टम.. बिना रजिस्ट्रेशन के पैथो लैब, नर्सिंग होम, क्लिनिक और अस्पतालों की भरमार

खबर बिहार के कैमूर जिले से है जहां कई फर्जी अस्पताल नियम एवं शर्तों को ताक पर रख प्रशासन को अंगूठा दिखा रहे हैं । हालांकि वर्तमान जिला पदाधिकारी ने आते ही कई फर्जी लैब और अल्ट्रसाउन्ड चलाने वालों पर शिकंजा कसा था लेकिन वक्त के साथ महोदय भी मौन हो गए । वैसे भी झोला छाप और फर्जी अस्पतालों की वजह से कई मौतें होती रहती हैं लेकिन अभी तक इसपर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है ।

आपको बात दें की इस विषय पर हमने कई राजधानी के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात किया वार्तालाप के उपरांत प्रकाश में आया की निजी अस्पताल चलाने के लिए सरकार ने इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर करने के लिए क्लिनिकल स्टैब्लिशमेंट रेगुलेशन को क्रियांवित करने के लिए राज्य परिषद एवं जिला रजिस्ट्रीकरण प्रधिकार का पुनर्गठन कर दिया है। विभाग के आदेश के मुताबिक जिला स्तर पर गठित रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार में जिलाधिकारी को अध्यक्ष पद का जिम्मा सौंपा गया है। संयोजक सिविल सर्जन होंगे। सदस्यों में जिले के आरक्षी अधीक्षक, उप विकास आयुक्त और जिला आइएमए के अध्यक्ष को शामिल किया गया है। विभाग के अनुसार किसी भी अस्पताल को निबंधन के लिए न्यूनतम मानकों का पालन करना होगा।निर्धारित कार्मचारियों की उपलब्धता रखनी होगी। जितने भी मेडिकल रिकार्ड हैं उनका रखरखाव करना होगा रिपोर्ट उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी होगी। रजिस्ट्रीकरण के लिए अस्पतालों को निर्धारित फीस के साथ आनलाइन या आफलाइन आवेदन देना होगा।

इस संदर्भ मे जब मामले को खंगालने लगे तो पता चला की कैमूर जिले में सिविल सर्जन अपने जिम्मेदारियों से अनभिगज्ञ हैं या यूं कहें की जनता की जान की कोई कीमत ही न हो । जिला से पंजीकृत अस्पतालों की सूची में 70% निजी अस्पतालों का तो पंजीयन तिथि ही खत्म हो चुका है और नवीनीकरण भी नहीं है और जिनको निबंधन मिला है वो भी मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं । मिली जानकारी के अनुशार सिर्फ भभूआ शहर में 80 से ज्यादा निजी अस्पताल संचालन में हैं और किसी न किसी सरकारी अस्पताल के कर्मचारी के संरक्षण में चल रहें हैं । आप को बात दें की कई अस्पताल में सिर्फ डॉ का नाम बोर्ड पर ही दिखाई दे रहा है और कई अस्पतालों में बिना डिग्री के इलाज यंहा तक की बड़े-बड़े सर्जरी भी किए जा रहे हैं । ऐसे में अस्पतालों मे लोगों की जान रामभरोसे है ।

इस मामले में हमने कैमूर सिविल सर्जन डॉ मीना कुमारी से मुलाकात कर बात करने की कोशिश की मगर काम के बहाने की आड़ में उन्होंने मिलने से मना कर दिया । ऐसे में सूत्रों का कहना है की अस्पताल प्रशासन को निजी अस्पतालों से हिस्सा आता रहता है जिस कारण ठाट से निजी अस्पताल संचालित होते रहते हैं। हालांकि इसपर प्रदेश प्रशासन को भी जिले से समय-समय पर रिपोर्ट लेते रहना चाहिए ।

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