झटका फिर संघर्ष और अब जीत, चाचा पारस को चिराग ने कैसे दिया मात, जानें पूरी कहानी

आखिरकार जिस बात का अंदेशा था वही हुआ. पिछले हफ्ते जब चिराग पासवान ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद कहा कि एनडीए में सीट शेयरिंग पर उनकी बीजेपी के साथ सहमति बन गई है, तो, उसके बाद से ही चाचा पारस को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी. चाचा ने जो संकेत दिया था आखिरकार वैसा ही हुआ और एनडीए में अपनी उपेक्षा से नाराज होकर चाचा ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया. मंगलवार को पशुपति कुमार पारस ने मोदी मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया.

दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में पारस ने कहा कि मैंने इंतजार किया कल सीटों को लेकर घोषणा हो गई. मैंने ईमानदारी के साथ एनडीए की सेवा की. मैं पीएम का शुक्रगुजार हूं. मैं कैबिनेट मंत्री से त्याग पत्र देता हूं. अब चाचा पारस का अगला कदम क्या होगा इसको लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. लेकिन, सूत्र बताते हैं कि उनकी बात आरजेडी नेताओं से हो रही है. मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफे के ऐलान के बाद पशुपति पारस दिल्ली से पटना के लिए रवाना हो गए हैं. अब पटना से अगले कदम का ऐलान करेंगे लेकिन, उन्होंने ये साफ कर दिया है कि हाजीपुर से हर हाल में चुनाव लडेंगे. फिलहाल चाचा भतीजा की लड़ाई में भतीजा चिराग को बढ़त मिली है. इस लड़ाई की शुरुआत तब से हुई जब केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन हुआ था.

तब 6 सांसदों वाली लोजपा के 5 सांसदों को पारस अपने गुट में कर लिया था और चिराग बिल्कुल अकेले पड़ गए थे. पारस के इस प्लान ने चिराग के पैरों तले मानों जमीन खिसका दी हो लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. अपनी पार्टी के इकलौते सांसद होने के बाद भी वो मोदी सरकार के साथ रहे और सरकार को बाहर से समर्थन देते रहे. इस दौरान चिराग पासवान ने अपने जनाधार को बिहार में खास तौर पर मजबूत किया. उनके चाचा पशुपति कुमार पारस जहां केंद्र में मंत्री बनकर सरकार का सुख लेते रहे तो अकेले पड़े चिराग ने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के नारे और विजन के साथ बिहार में अपना संघर्ष और जारी रखा.

चिराग को इस बात का शायद पूरा भरोसा था कि 2024 के चुनाव में उनको एनडीए में तव्वजो मिलेगी. हुआ भी ऐसा ही और पांच सीटों को लेकर चिराग जहां बिहार में एनडीए के मजबूत साथी बने हैं तो वहीं दूसरी तरफ चाचा पारस को फिर से जमीन तलाशनी पड़ रही है.

Sweta Yadav