साल 1985 में बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहली बार विधायक बनने का चुनाव जीता और जब वह जीतकर अपने घर बख्तियारपुर पहुंचे तो गांव में उनका भव्य स्वागत हुआ. उस समय उनके पास मोटरसाइकिल भी नहीं था. नीतीश कुमार की शुरुआती पढ़ाई बख्तियारपुर में हुई. उसके बाद 1967 में नीतीश ने पटना काॅलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया. बचपन से ही सीएम पढ़ाई में तेज थे और खुशहाल परिवार से आते थे, इसलिए परिवार उन्हें इंजीनियर बनाना चाहता था.
हालांकि इंजीनियरिंग के आखिरी साल में ही परिवार वालों ने नीतीश का रिश्ता मंजू कुमारी सिन्हा से तय कर दिया. उस वक्त मंजू पटना के मगध महिला कॉलेज से सोशियोलॉजी की पढ़ाई कर रही थीं. पढ़ाई के दौरान ही नीतीश कुमार और मंजू कुमारी की विवाह की रिश्ते की बात चलने लगी. नीतीश कुमार के कॉलेज के दिनों जब उनके 3 दोस्त मंजू सिन्हा को देखने के लिए उनके सोशियोलॉजी विभाग में पहुंचे तो वह बस मुस्कुराकर वहां से भागने लगी. वह नीतीश कुमार के दोस्तों की इन हरकतों से वो समझ गईं कि वे लोग उन्हें ही देखने आए हैं, इसलिए वह शर्मा कर भागने लगीं. उसके बाद नीतीश के दोस्तों ने मंजू को पास कर दिया था. जहां मंजू के पिता कृष्णनंदन बाबू बताते हैं, की इस समाज की बात तो छोड़ दीजिए उस समय पूरे बिहार में किसी भी जाति में, मंजू जैसी बुद्धिमती बेटी के लिए नीतीश जी से अच्छा लड़का मिल ही नहीं सकता था.
गौरतलब है की उस समय नीतिश कुमार ने कोई दहेज नहीं लिया . जब शादी के कार्ड बंटने लगे तो नीतीश को पता चला कि तिलक में 22 हजार रुपए देने की बात तय हुई है. यह देखकर वह काफी नाराज हुए. उन्होंने अपने और मंजू के परिवार से साफ कह दिया कि वे तिलक या दहेज के नाम पर कोई पैसे नहीं लेंगे. एक समय जब नीतीश कुमार की पत्नी अपने मायके सेवदह जा चुकी थीं. तब नीतीश कुमार जीतकर बख्तियारपुर पहुंचे धूम -धाम से उनका स्वागत किया गया इसी बीच नीतीश की आंखे पत्नी मंजू को ढ़ंढ रही थी. लेकिन वह नजर नहीं आई उसके बाद बेचैन नीतीश ने आधी रात अपने एक मित्र से कहा- मोटरसाइकिल निकालो, हम मंजू से मिलने जाएंगे. जब नीतीश कुमार को मंजू सिन्हा अपने घर के दरवाजे पर खड़ा देखा तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा.