April 25, 2025

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एसआईटी रिपोर्ट सौंपी गई है.  मुख्यमंत्री के पांच कालीदास मार्ग पर पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने उनसे मुलाकात की और भगदड़ मामले में जांच रिपोर्ट सौंपी. इसका मतलब यह है कि हाथरस में हुई इस दिल दहलाने वाली घटना की रिपोर्ट अब मुख्यमंत्री तक पहुंच चुकी है. माना जा रहा है 15 पन्नों वाली इस विस्तृत रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं.

एडीजी आगरा और अलीगढ़ कमिश्नर के नेतृत्व में एसआईटी की ये रिपोर्ट तैयार की गई है. 15 पेजों की इस विस्तृत रिपोर्ट में डीएम और एसपी समेत करीब 100 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं. एसआईटी की टीम ने पूरे हादसे की वजह और इतनी भीड़ को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर आयोजन से जुड़े लोगों और सेवादारों से भी बात की और तमाम जानकारी जुटाई है.

हाथरस में सूरजपाल बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 123 मौतें हो गईं, सूरजपाल बाबा फरार है, पुलिस उसके सेवादारों को अरेस्ट कर रही है। अब दो सवाल हैं।

1. क्या ये हादसा रोका जा सकता था?
2. क्या घायलों को बचाया जा सकता था?

इन सवालों का जवाब जानने के लिए दो चीजों की पड़ताल की। पहला आसपास के थानों में कितना स्टाफ है, जो भीड़ को कंट्रोल कर सकता था। दूसरा आसपास के अस्पतालों में कितने इंतजाम हैं, जिससे घायलों की जान बचाई जा सकती थी।

इस पड़ताल में समझ आया कि न हादसा रोका जा सकता था और न घायलों को बचाया जा सकता था। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रशासन बढ़ती भीड़ के खतरे समझ नहीं पाया। न भीड़ को संभालने के लिए पुलिसवाले थे और न घायलों को बचाने के लिए अस्पतालों में डॉक्टर और ऑक्सीजन।

2 जुलाई को इसी जगह सूरजपाल बाबा का सत्संग था। यहां मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत हो गई।
2 जुलाई को इसी जगह सूरजपाल बाबा का सत्संग था। यहां मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत हो गई।

अब समझिए लापरवाही की शुरुआत कहां से हुई

15 दिन सत्संग की तैयारी चली, 500 बसें पहुंचीं, लेकिन प्रशासन बेखबर
15 दिन पहले से तय था कि सिकंदराराऊ के फुलरई गांव में सूरजपाल बाबा का सत्संग होना है। आसपास के लोग बताते हैं कि 27 जून से ही मध्यप्रदेश, राजस्थान और दूसरे राज्यों से करीब 500 बसें आ गई थीं। लोग टेंट लगाकर या बसों के नीचे सो रहे थे, लेकिन प्रशासन इसे अनदेखा करता रहा।

सत्संग कराने वाली कमेटी को प्रशासन ने 80 हजार लोगों की परमिशन दी थी। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट ने जिला प्रशासन को अलर्ट किया कि सत्संग में अनुमान से ज्यादा भीड़ आ सकती है, लेकिन प्रशासन ने इस रिपोर्ट पर ध्यान ही नहीं दिया। 2 जुलाई को सत्संग में करीब ढाई लाख लोग पहुंच गए।

सिकंदराराऊ थाने के ठीक सामने सूरजपाल बाबा के सत्संग का बैनर लगा है। इसमें आयोजकों के नाम भी लिखे हैं, लेकिन FIR में सिर्फ देवप्रकाश मधुकर का नाम है।
सिकंदराराऊ थाने के ठीक सामने सूरजपाल बाबा के सत्संग का बैनर लगा है। इसमें आयोजकों के नाम भी लिखे हैं, लेकिन FIR में सिर्फ देवप्रकाश मधुकर का नाम है।

दूसरी लापरवाही: इतनी भीड़ को संभालने के लिए सिर्फ 40 पुलिसवाले
सत्संग में करीब ढाई लाख लोग थे। उन्हें संभालने के लिए सिर्फ 40 पुलिसवाले। यानी 6,250 लोगों पर सिर्फ एक पुलिसवाला। UP के चीफ सेक्रेटरी मनोज सिंह के मुताबिक, ऑर्गनाइजर को 80 हजार लोगों की अनुमति दी गई थी। अगर इतने ही लोग आते, तब भी एक पुलिसवाले पर 2 हजार लोगों को संभालने की जिम्मेदारी होती। पुलिस ने पूरी भीड़ बाबा के सेवादारों के जिम्मे छोड़ दी।

हाथरस की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, जिले में 11 थाने हैं। सत्संग वाली जगह सिकंदराराऊ थाने के तहत आती है। मौके पर इसी थाने की पुलिस मौजूद थी। यहां करीब 100 लोगों का स्टाफ है। बाकी थानों में एवरेज 80 से 110 पुलिसवाले हैं।

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