March 17, 2025

वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने आरोप लगाया है कि चीनी लिंक वाले एक व्यापारी ने शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट तैयार करवाई थी, जिसके कारण अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों को झटका लगा। इस सप्ताह की शुरुआत में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा था कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट एलएलसी और उसकी संस्थाओं ने अप्रत्यक्ष रूप से अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयरों को शॉर्ट करने में हिंडनबर्ग की सहायता की थी। बाजार नियामक की एक जांच से यह भी पता चला है कि कोटक महिंद्रा और हिंडनबर्ग ने अदाणी के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन लेने के लिए एक साथ साजिश रची।

महेश जेठमलानी ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट X (अतीत में ट्विटर) पर लिखा है, “हिंडनबर्ग द्वारा अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की शॉर्टसेलिंग के घिनौने किस्से में एक बेहद ठोस सबूत सामने आया है… हिंडनबर्ग को SEBI के नोटिस के मुताबिक, नीचे लिखे तथ्य सामने आए हैं…”

एक्स पर एक लंबी पोस्ट में जेठमलानी ने कहा कि किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट की आड़ में अमेरिकी व्यवसायी मार्क किंगडन ने अदाणी समूह पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए हिंडनबर्ग को काम पर रखा था। किंगडन ने अदाणी के शेयरों में कारोबार के लिए ऑफशोर फंड के साथ-साथ ऑफशोर अकाउंट स्थापित करने के लिए कोटक की अंतरराष्ट्रीय निवेश शाखा कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड (केएमआईएल) से भी संपर्क किया।

इसके बाद कोटक इंडिया अपॉर्चुनिटी फंड (KIOF) का निर्माण हुआ। इस फंड ने कथित तौर पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट सार्वजनिक होने से पहले मॉरीशस के रास्ते से अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन ली थी और इसके लिए लगभग 40 मिलियन डॉलर किंगडन मास्टर फंड की ओर से दिए गए थे।

वरिष्ठ वकील ने जिस स्मोकिंग गन का जिक्र किया, उससे पता चलता है कि किंगडन की पत्नी अनला चेंग, एक चीनी-अमेरिकी हैं, जिनकी किंगडन मास्टर फंड में बड़ी हिस्सेदारी है। वे संयुक्त राज्य अमेरिका में चीनी हितों के लिए एक लॉबिस्ट हैं।महेश जेठमलानी इसके बाद साफ़-साफ़ एनला चैंग की चीन के साथ मिलीभगत और सहानुभूति को उजागर करते हुए लिखते हैं, “जो कुछ भी हुआ, उसमें सभी बातें अब तक सार्वजनिक हो चुकी हैं, लेकिन जो ठोस सबूत अब तक छिपा हुआ है, वह यह है कि एनला चैंग चीनी मूल की अमेरिकी हैं, जो अमेरिका में चीन के हितों के काम करने वाली बेहद असरदार लॉबीस्ट हैं… एनला चैंग एक वक्त में SupChina की CEO थीं, जो चीन-समर्थक मीडिया कॉर्पोरेट इनिशिएटिव था… SupChina पर एक व्हिसलब्लोअर ने अमेरिकी कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में शपथ लेकर आरोप लगाया था कि वह चीन के हित में समाचारों को तोड़-मरोड़कर पेश करती है, और इसके बाद SupChina को द चाइना प्रोजेक्ट नामक इकाई में तब्दील कर दिया गया… हालांकि बाद में कुछ अमेरिकी सीनेटरों (सांसदों) ने द चाइना प्रोजेक्ट की विध्वंसक गतिविधियों और उसके चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी से रिश्तों की जांच की मांग की, और तब द चाइना प्रोजेक्ट भी बंद हो गया…”

महेश जेठमलानी ने इसके बाद अपने ट्वीट में अदाणी ग्रुप के ख़िलाफ़ साज़िश करने वालों के भारतीय मददगारों पर भी सवाल उठाए हैं, और SEBI को उनके विरुद्ध जांच का सुझाव दिया. उन्होंने लिखा, “कुछ मुद्दों की गहराई से जांच किए जाने की ज़रूरत है… 1. किंगडन परिवार का परिचय KMIL से किसने करवाया था… KMIL ने किंगडन परिवार को लेकर क्या-क्या सावधानियां बरती थीं… क्या KMIL ने खुद भी पार्टी बनकर शॉर्टसेलिंग में हिस्सा लिया…?”

इसके बाद महेश जेठमलानी साफ़-साफ़ लिखते हैं, “2. क्या सभी भारतीय किरदार – राजनेता हों, व्यवसायी हों या वित्तीय बिचौलिये हों – जिस किसी ने भी हिंडनबर्ग को उसकी अदाणी रिपोर्ट तैयार करने और शॉर्टसेलिंग के बाद उसे प्रकाशित करने में मदद की, क्या वे शॉर्टसेलिंग के मकसद के बारे में जानते थे और क्या उन्हें भी इससे वित्तीय लाभ हुआ…?”

किसी का भी नाम लिए बिना अपने ट्वीट के अंत में महेश जेठमलानी ने अंतिम सवाल कर गेंद को SEBI के पाले में डालते हुए लिखा, “3. क्या KMIL और उक्त भारतीय किरदारों को हिंडनबर्ग के चीनी कनेक्शन के बारे में जानकारी थी…? चलते हैं SEBI के पास…”

महेश जेठमलानी इससे पहले भी लिख चुके हैं कि भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी अदाणी समूह को कमज़ोर करने का अभियान चलाया जा रहा है, जिसने अपनी काबिलियत के बूते दुनियाभर में पहुंच बनाने के चीन के मंसूबे को नाकाम किया है. अदाणी ग्रुप ने चीन की बोली (बिड) के ख़िलाफ़ श्रीलंका में जाफ़ना के पास कोयला प्रोजेक्ट के लिए कॉन्ट्रैक्ट जीता. ऑस्ट्रेलिया में गैलीली बेसिन में अदाणी ग्रुप ने खुद की कोयला परियोजना के निकट अपने रेललाइन कन्स्ट्रक्शन प्लान को छोटा कर दिया था, ताकि पास में ही मौजूद चीनी प्लान्ट के काम न आ सके, और इससे चाइनास्टोन परियोजना कतई अव्यवहार्य हो गई. इसके अलावा, अदाणी ग्रुप ने इज़़राइल के हैफ़ा में एक बंदरगाह की खरीद के लिए भी चीन से बढ़कर बोली लगाई थी.

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