यूपी के हाथरस में मंगलवार को हाहाकार मच गया. सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मच गई. भगदड़ ऐसी कि देखते ही देखते लाशों का अंबार लग गया. हाथरस कांड में 116 लोग मर गए. सभी भोले बाबा का प्रवचन सुनने सत्संग में आए थे. हाथरस की इस घटना से सबको झकझोर दिया. अस्पताल के बाहर लाशों के ढेर पड़े हैं. रोते-बिलखते परिजन हैं. पुलिस-प्रशासन और सरकार जख्मों पर मरहम लगाने में जुट गई है. शवों की पहचान की जा रही है. मगर हाथरस में मौत का सत्संग कराने वाला बाबा अपने फॉलोअर्स को देखने तक नहीं आ रहा. वह पुलिस को लगातार चकमा दे रहा है. अब सूरजपाल उर्फ भोले बाबा की एक और करतूत सामने आई है. खुद उसके परिवार के सदस्य ने उसकी पोल खोली है.
परिवार ने खोली पोल
सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के छोटे भाई की पत्नी ने बताया कि बाबा उसके बच्चों के साथ मारपीट करता था. सूरजपाल के भाई की पत्नी ने कहा, ‘भोले बाबा का उसके परिवार से अब कोई मतलब नहीं है. बाबा ने एक बार उनके बच्चों के भी साथ मारपीट की थी. मामला थाने में पहुंचा था.’ उन्होंने बताया कि भोले बाबा के किसी सत्संग में हम कभी नहीं गए. न ही उनसे हमारा कोई मतलब है. वो सगे भाई की मौत पर भी नहीं आए. परिवार के किसी भी सदस्य की मौत पर नहीं आए तो हमारा उनसे कोई मतलब नहीं है.
सेवादारों को कैसे कोई जानकारी नहीं
वहीं, पता चला है कि हाथरस सत्संग में इतना बड़ा कांड हो गया. 100 से ऊपर लोग मर गए, मगर कासगंज के बहादुरनगर में बने भोले बाबा के आश्रम में किसी सेवादार को हादसे की जानकारी नहीं दी गई है. कासगंज वाले आश्रम में किसी भी सेवादार को नहीं पता कि हादसा क्या हुआ और कितने लोगों की मौत हो गई. अब सवाल है कि क्या जानबूझझकर आश्रम के ये सेवादार सही जानकारी नहीं बता रहे हैं. या फिर कोई है जो उन्हें सच्चाई से कोसों दूर रखना चाह रहा है.
बाबा सूरजपाल अबप कथावाचक साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा के नाम से जाना जाता है. पता चला है कि आगरा से ही सूरजपाल की विश्व साकार हरि उर्फ भोले बाबा बनने की शुरुआत हुई थी. केदार नगर में सूरजपाल अपने परिवार के साथ रहता था. धीरे-धीरे उसने सफेद कपड़े पहनकर अपनी पहचान बनाई, फिर आसपास की महिलाओं के लिए बाबा बन गया. उसके बाद सूरज पाल ने अपने आगरा के केदार नगर में बनी एक छोटी सी कुटिया से ही भोले बाबा बनकर सत्संग और पूजा पाठ करना शुरू किया. थोड़े ही समय में सफेद कपड़ों वाले बाबा के नाम से पहचान बना ली.
भोले बाबा का आश्रम 30 एकड़ में है। उसने खुद की आर्मी बना रखी है। यौन शोषण समेत 5 मुकदमे दर्ज हैं। UP पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल रहते हुए यौन शोषण का आरोप लगा तो उसे बर्खास्त कर दिया गया था। जेल भी गया। बाहर आया तो नाम और पहचान बदल ली। अनुयायी भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि को परमात्मा कहते हैं, जबकि उसकी पत्नी को मां जी। हर समागम कार्यक्रम में बाबा और उसकी पत्नी शामिल होते हैं, जब बाबा नहीं होते तो पत्नी प्रवचन देती। तीन महीने से पत्नी का स्वास्थ्य खराब है, इसलिए बाबा अकेले ही प्रवचन देने जाते थे।
हादसा हाथरस जिले से 47 किमी दूर फुलरई गांव में मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे हुआ। उस वक्त भोले बाबा गांव में मौजूद था। लेकिन, भगदड़ मचते ही वह फरार हो गया। अब वह कहां है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। इस बीच दो थ्योरी सामने आईं। पहली कि बाबा पुलिस की गिरफ्त में है। उसे मैनपुरी के कस्बा बिछवा स्थित राम कुटीर आश्रम में रखा गया है। आश्रम के अंदर-बाहर फोर्स तैनात कर दी गई है।
मामला ठंडा होते ही पुलिस उसकी गिरफ्तारी दिखा सकती है। दूसरी थ्योरी में यह बताया जा रहा है कि बाबा ने अपना मोबाइल बंद कर लिया है। वह फरार हो गया है। उसकी लोकेशन पुलिस को नहीं मिल रही है।
अब पढ़िए भोले बाबा का असली नाम क्या है और वो इतना बड़ा उपदेशक कैसे बन गया?
एटा में जन्म, नौकरी से बर्खास्त, फिर बदला नाम और पहचान
भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है। वह एटा जिले के बहादुर नगरी गांव का रहने वाला है। शुरुआती पढ़ाई एटा जिले में हुई। बचपन में पिता के साथ खेती-किसानी में हाथ बंटाता था। पढ़ाई के बाद UP पुलिस में नौकरी लग गई। UP के 12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में सूरज पाल की तैनाती रही।
UP पुलिस में हेड कांस्टेबल की नौकरी के दौरान 28 साल पहले सूरज पाल इटावा में भी पोस्टेड रहा। नौकरी के दौरान उसके खिलाफ यौन शोषण का मुकदमा दर्ज होने के बाद उसे पुलिस विभाग से बर्खास्त किया गया। जेल से छूटने के बाद उसने अपना नाम नारायण हरि उर्फ साकार विश्वहरि रख लिया और उपदेशक बन गया। लोग उसे भोले बाबा कहने लगे। उसकी पत्नी भी समागम में साथ रहती है।
30 एकड़ में आश्रम, 10 साल पहले मैनपुरी पहुंचा
बाबा का गांव में आश्रम 30 एकड़ में फैला हुआ है। जहां किसी देवता की मूर्ति नहीं है। 2014 में उसने बहादुर नगर से मैनपुरी के बिछवा में अपना ठिकाना बदल लिया और आश्रम का प्रबंधन स्थानीय प्रशासक के हाथों में छोड़ दिया। सूत्रों ने बताया कि उसके ठिकाना बदलने के बावजूद आश्रम में हर दिन 12,000 तक लोग आते थे।
वह कारों के काफिले के साथ चलता है। मीडिया से दूरी बनाए रखने वाले बाबा की गांव-गांव गहरी पैठ है। अनुयायी उसे भगवान शिव की तरह पूजते हैं। इसलिए उसका नाम भोले बाबा पड़ गया।
मॉर्डन लुक अपनाया
भोले बाबा किसी अन्य बाबा की तरह भगवा पोशाक नहीं पहनता। वह अपने सत्संग में थ्री पीस सूट और रंगीन चश्मे में नजर आता है। सूट और बूट का रंग हमेशा सफेद होता है। कई बार कुर्ता-पैजामा और सिर पर सफेद टोपी भी लगाकर सत्संग करने पहुंचता है।
बाबा का दावा- नौकरी छोड़ने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ
भोले बाबा अपने समागम में दावा करता है- 18 साल की नौकरी के बाद 90 के दशक में उसने VRS ले लिया। उसे नहीं मालूम कि सरकारी नौकरी से अध्यात्म की ओर खींचकर कौन लाया? VRS लेने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। भगवान की प्रेरणा से पता चला, यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है। इसके बाद उन्होंने अपना जीवन मानव कल्याण में लगाने का फैसला कर लिया।
वह कहता है- मैं खुद कहीं नहीं जाता, बल्कि भक्त मुझे बुलाते हैं। भक्तों की फरियाद पर अलग-अलग स्थानों पर घूमकर समागम करते रहते हैं। इस समय कई IAS-IPS अफसर उसके चेले हैं। अक्सर उनके समागम में राजनेता और अफसर पहुंचते हैं। शादियां भी कराई जाती हैं।
बिना प्रसाद और चढ़ावे के आते हैं भक्त
साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के आयोजन में कोई प्रसाद नहीं चढ़ता। अनुयायी भी कोई चढ़ावा नहीं चढ़ाते हैं। बाबा कोई साहित्य या सामग्री नहीं बेचते। समागम कार्यक्रमों के लिए श्रद्धालुओं से चंदा नहीं लिया जाता। अनुयायी मंच के नीचे से बाबा को प्रणाम करते हैं। चढ़ावा नहीं लेने की वजह से बाबा के अनुयायी बढ़ते गए।
अखिलेश यादव समागम में शामिल हुए थे
बाबा का कनेक्शन सियासत से भी है। कुछ मौकों पर UP के कई बड़े नेताओं को उनके मंच पर देखा गया। इसमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम भी शामिल है। अखिलेश यादव ने जनवरी, 2023 में एक समागम में हिस्सा लिया था। उन्होंने 4 तस्वीरें X अकाउंट पर पोस्ट की। लिखा- नारायण साकार हरि की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा-सदा के लिए जय जयकार हो।
SC/ST और OBC वर्ग में गहरी पैठ
भोले बाबा के अनुयायी UP, राजस्थान और मध्य प्रदेश में हैं। SC/ST और OBC वर्ग में उसकी गहरी पैठ है। मुस्लिम वर्ग के लोग भी अनुयायी हैं। बाबा का यूट्यूब चैनल और फेसबुक पर पेज भी है। यूट्यूब में 31 हजार सब्सक्राइबर हैं। फेसबुक पेज पर भी ज्यादा लाइक्स नहीं हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके लाखों अनुयायी हैं। उनके हर समागम में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है।
काली पोशाक में रहती है भोले बाबा की आर्मी
भोले बाबा की खुद की आर्मी है, जिन्हें सेवादार कहा जाता है। हर मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की पूरी कमान यही सेवादार संभालते हैं। सेवादार देश से आने वाले श्रद्धालुओं के पानी, भोजन से लेकर ट्रैफिक की व्यवस्था करते हैं।
समागम में बांटा जाता है पानी
भोले बाबा के सत्संग में जो भी भक्त जाता है, उसे वहां पानी बांटा जाता है। बाबा के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि इस पानी को पीने से उनकी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। एटा में बहादुर नगर गांव स्थित बाबा के आश्रम में दरबार लगता है। यहां आश्रम के बाहर एक हैंडपंप भी है। दरबार के दौरान इस हैंडपंप का पानी पीने के लिए भी लंबी लाइन लगती है।
कोरोना काल में भी हुआ था विवाद
मई, 2022 में जब देश में कोरोना की लहर चल रही थी, उस समय फर्रुखाबाद में भोले बाबा ने सत्संग किया था। जिला प्रशासन ने सत्संग में केवल 50 लोगों के शामिल होने की इजाजत दी थी। लेकिन, कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। यहां उमड़ी भीड़ के चलते शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी।
उस समय भी जिला प्रशासन ने आयोजकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। इस बार भी कहा जा रहा है कि कार्यक्रम के लिए जितने लोगों के शामिल होने की बात प्रशासन को बताई गई थी, उससे कहीं ज्यादा लोग जुट गए थे।
भोले बाबा पर जमीन कब्जाने के भी कई आरोप हैं। कानपुर के बिधनू थाना क्षेत्र के करसुई गांव में साकार विश्वहरि ग्रुप पर 5 से 7 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगा था।
हाथरस के बाद आगरा में था कार्यक्रम
भोले बाबा का अगला कार्यक्रम 4 से 11 जुलाई तक आगरा में था। सैंया थाना क्षेत्र में ग्वालियर रोड पर नगला केसरी में तैयारी चल रही थी। इसके पोस्टर भी लग गए थे।
हाथरस में क्या हुआ?
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में मंगलवार को भोले बाबा का सत्संग था. इसी सत्संग में अचानक भगदड़ मच गई. इसमें देखते ही देखते 116 लोगों की मौत हो गई. अभी तक करीब 76 शवों की पहचान हो चुकी है. अधिकारियों की मानें तो एटा और हाथरस सटे हुए जिले हैं और सत्संग में एटा के लोग भी शामिल होने पहुंचे थे. इसके अलावा सत्संग में आगरा, संभल, ललितपुर, अलीगढ़, बदायूं, कासगंज, मथुरा, औरैया, पीलीभीत, शाहजहांपुरर, बुलंदशहर, हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल, मध्य प्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के डीग आदि जिलों से भी अनुयायी सत्संग में पहुंचे थे.