भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर को लेकर अंतरिक्ष में गए हुए तीन हफ्ते से ज्यादा हो चुके हैं. नासा और बोइंग का स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट आखिर वापस कब आएगा, ये अब भी सवाल बना हुआ है. असल में ये मिशन सिर्फ 8 दिन का ही बताया गया था.
बताया जा रहा है कि स्पेसक्राफ्ट को स्पेस स्टेशन तक ले जाते समय हिलियम गैस के रिसाव और थ्रस्टरों में कुछ खराबी आ गई थी. मगर स्पेस एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि स्पेसक्राफ्ट पूरी तरह सुरक्षित है और अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने में कोई दिक्कत नहीं है. बस यही पेच है कि सुनीता और बुश को वापस लाने की कोई तारीख तय नहीं है.
पहले जानिए क्या है स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की खासियतें
स्टारलाइनर क्रू फ्लाइट टेस्ट स्पेसक्राफ्ट असल में एक स्पेस कैप्सूल है. इसे बोइंग कंपनी ने बनाया है और ये कैप्सूल यात्रियों को लो-अर्थ ऑर्बिट तक ले जाने के लिए बनाया गया है. लो-अर्थ ऑर्बिट का दायरा धरती से करीब 2000 किमी ऊपर तक का होता है. नासा के मुताबिक ये इतनी ऊंचाई है कि यहां से धरती के साथ आसानी से संपर्क किया जा सकता है, पृथ्वी को देखा जा सकता है और जरूरत का सामान भी भेजा जा सकता है.
अमेरिकी कंपनी बोइंग ने इस स्टारलाइनर को नासा के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के साथ मिलकर बनाया है. ये यान एक बार में सात लोगों को ले जा सकता है. सबसे खास बात है कि इस कैप्सूल को 10 बार तक इस्तेमाल किया जा सकता है और हर बार इस्तेमाल करने के बाद इसे दोबारा तैयार करने में सिर्फ छह महीने का वक्त लगता है.
फिर स्पेस स्टेशन पर क्यों भेजा गया स्टारलाइनर?
असल में स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर भेजा गया है. प्लान था कि करीब आठ दिन स्टारलाइनर वहीं रहेगा. इस दौरान एस्ट्रोनॉट्स सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर भी स्पेस स्टेशन पर ही रहेंगे. आप जानते हैं कि स्पेस स्टेशन पर कई देशों के साइंटिस्ट मिलकर रिसर्च का काम करते हैं. इस मिशन का मुख्य मकसद ये साबित करना था कि ये स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाकर वापस लाने में सक्षम है.
मगर, स्टारलाइनर के लॉन्च से लेकर अब तक कई परेशानियां सामने आई हैं. ये मिशन कई बार टाला गया. सबसे पहले इसे 6 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन लॉन्च से सिर्फ दो घंटे पहले ही अचानक से उलटी गिनती रोकनी पड़ी. एटलस वी के ऊपरी हिस्से में लगे प्रेशर वॉल्व में कुछ खराबी थी. इसके बाद कई और तकनीकी दिक्कतों के कारण लॉन्च में हफ्तों की देरी होती रही. आखिरकार 5 जून को स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया गया.
अंतरिक्ष में कैसे फंसा स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट?
5 जून को जब स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट एटलस वी रॉकेट से लॉन्च हुआ था, उसी वक्त से एक दिक्कत आ गईं थी. लॉन्च से पहले ही मिशन टीम को हिलियम गैस के रिसाव का पता चला था. लेकिन तब इसे इतनी बड़ी दिक्कत नहीं माना गया कि लॉन्च को ही रोक देना पड़े.
खास बात ये है कि इस बात का मिशन टीम को कोई अफसोस भी नहीं है, क्योंकि नासा और बोइंग के लिए ये सिर्फ एक टेस्ट फ्लाइट है. इनका मकसद डेटा इकट्ठा करना है जिससे भविष्य के मिशनों के लिए स्टारलाइनर पहले से बेहतर बनाया जा सके.
मगर लॉन्च के बाद भी हिलियम गैस का रिसाव रुका नहीं. स्पेस स्टेशन की तरफ जाते वक्त स्पेसक्राफ्ट में और भी ज्यादा हिलियम गैस का रिसाव देखा गया. साथ ही कुछ थ्रस्टरों में भी दिक्कत आई. ये सारी दिक्कतें स्टारलाइनर के सर्विस मॉड्यूल में आईं, जो स्पेसक्राफ्ट के निचले हिस्से में लगा एक बेलनाकार हिस्सा होता है. यहीं से उड़ान के दौरान ज़्यादातर पावर मिलती है.
ये सर्विस मॉड्यूल पृथ्वी पर वापस नहीं आ सकता है. वापसी के दौरान इसे नष्ट होना ही है. असल में जब स्टारलाइनर पृथ्वी के वातावरण में दाखिल होता है, तो सर्विस मॉड्यूल अलग होकर जल जाता है.
सुनीता विलियम्स की वापसी में क्यों हो रही देरी?
एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर को वापस लाने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि बोइंग और नासा न्यू मैक्सिको में कुछ जमीनी टेस्ट करना चाहते हैं. इससे वो ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर अंतरिक्ष यात्रा के दौरान स्टारलाइनर के कुछ थ्रस्टर (रॉकेट को दिशा देने वाला यंत्र) अचानक खराब क्यों हो गए.
हालांकि, पांच थ्रस्टरों में से चार को तो बाद में ठीक कर लिया गया है लेकिन एक अब भी खराब है और पूरे मिशन में काम नहीं करेगा. नासा के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के मैनेजर स्टीव स्टिच ने बताया, “हम बस न्यू मैक्सिको में टेस्ट करने और फिर डेटा को देखने में लगने वाले वक्त का पता लगा रहे हैं. ये ही असल में सबसे बड़ी अड़चन है, जिसकी वजह से अभी ये तय नहीं है अंतरिक्ष यात्री कब वापस आएंगे.”
स्टारलाइनर को वापस लाने में देरी की एक और वजह ये है कि असल में पूरी तरह पता नहीं चल सका है कि आखिर दिक्कत कहां है. बोइंग के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के वाइस प्रेसिडेंट और प्रोग्राम मैनेजर मार्क नप्पी ने बताया कि अभी तक इंजीनियरों को ये पूरा यकीन नहीं हो पाया है कि दिक्कत की असल वजह क्या है.
बोइंग के प्रोग्राम मैनेजर मार्क नप्पी का कहना है कि अगर न्यू मैक्सिको में टेस्ट हो जाता है और उससे हमें सारी जानकारी मिल जाती है, तो फिर हम सीधे वापस लौट सकते हैं. लेकिन अगर टेस्ट से 80 फीसदी जवाब मिल जाते हैं और 100% जवाब पाने के लिए एक और टेस्ट की जरूरत है तो हम टेस्ट करेंगे. टेस्ट पूरा होने तक स्टारलाइनर को वहीं रखना चाहेंगे ताकि पूरी जानकारी मिल सके.
सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर का क्या होगा?
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर के साथ आगे क्या होगा. लेकिन उनके लिए अभी कोई खतरे की बात नहीं है. वो जिस स्टारलाइनर स्पेलक्राफ्ट में गए हैं वो स्पेस स्टेशन से 45 दिनों तक जुड़ा रह सकता है. वहीं स्पेस स्टेशन पर इतना सामान और जरूरी चीजें मौजूद हैं जो कई महीनों तक चल सकती हैं.
अगर कोई बहुत बड़ी दिक्कत हो जाती है, तो फिर उन्हें आपातस्थिति में वापस लाया जा सकता है. लेकिन स्पेस एजेंसी अभी ये समझना चाहती है कि आखिर दिक्कत कहां है. अगर अभी उन्हें स्टारलाइनर से वापस लाया जाता है तो बाद में ये पता लगाना मुश्किल हो जाएगा कि असल में दिक्कत कहां हुई थी, क्योंकि वापसी के वक्त सर्विस मॉड्यूल का कुछ हिस्सा जलकर नष्ट हो जाएगा.