भीषण गर्मी, हीटवेब और उमस के मिले जुले असर ने कई लोगों की जान लील ली है. मौसम विभाग और मौसम विशेषज्ञों की मानें तो बारिश में कमी किसी और साल के मुकाबले बेहद खतरनाक स्तर तक कम है. मानसून की सुस्त गति के कारण भारत में बारिश की कमी हो गई है और मॉनसून जहां जून में जितना बरसना चाहिए था वह भी बेहद कम रहा है. अकेले जून में यह औसत से 19 प्रतिशत कम रहा है. आखिर क्या वजह है कि मौसम विभाग के बारिश और मौसम को लेकर पूर्वानुमान गलत हो रहे हैं. जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे डरावने हैं.
12 जून के बाद मॉनसून लंबे समय तक शांत रहा और 20 जून के बाद ही आगे बढ़ना शुरू हुआ. उत्तर-पश्चिम भारत की ओर ये वैसे भी बहुत स्लो बढ़ रहा है. इस महीने बारिश की कमी 57% तक पहुंच गई है. कुल 36 उपसंभागों में से 21 में हर महीने होने वाली बारिश सामान्य से कम रही है. हमारी सहयोगी साइट न्यूज18 डॉट कॉम में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, मौसम विज्ञान के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि मौसम की स्थिति विकसित होने के साथ ही मौसम विभाग पूर्वानुमान को लगातार अपडेट करता रहता है.
यह हो सकता है कि अलग अलग जगह पर अलग अलग बारिश का स्तर हो. हमने जून में दक्षिणी प्रायद्वीप और पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश और उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य से कुछ कम बारिश की भविष्यवाणी की थी लेकिन जैसे-जैसे मानसून आगे बढ़ा, हमें एहसास हुआ कि बंगाल की खाड़ी की धारा थोड़ी कमजोर थी, जिससे पूर्वी राज्यों में इसकी प्रगति प्रभावित हुई. इसलिए, हमने जल्द ही पूर्वानुमान को संशोधित कर दिया. ऐसा तब होता है जब मानसून को मजबूत करने के लिए कुछ मौसमी सिस्टम ठीक से काम नहीं करते हैं.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) ने पहले इस महीने में पूरे भारत के लिए सामान्य बारिश की भविष्यवाणी की थी. लेकिन 18 जून को अपने प्रारंभिक पूर्वानुमान को उसे संशोधित करना पड़ा. यह असर इतना ज्यादा दिख रहा है कि इसे लॉन्ग टर्म (long-period average- LPA) के लिहाज से 92 प्रतिशत से कम कर दिया गया है.
मानसून में कहां रह गई गड़बड़ और क्यों….
आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डीएस पई ने कहा, हमें उम्मीद थी कि उत्तर पश्चिम भारत में बारिश सामान्य से कम होगी, लेकिन यह तो उससे बहुत कम हुई. पूर्वी हिस्से से मानसून की प्रगति में कुछ देरी हुई… इसलिए, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों को समय पर कवर नहीं किया गया. वह इसका कारण पूर्वी हवाओं को बताते हैं जो ठीक से ‘स्थापित’ नहीं हो पाईं. इसका असर यह रहा कि बहाव का करंट कम हो गया.
मौसम विभाग को जुलाई में अच्छी बारिश का भरोसा
जून में बारिश की गड़बड़ी के बावजूद मौसम विभाग जून से सितंबर तक सामान्य से अधिक मानसून के अपने पूर्वानुमान को लेकर आश्वस्त हैृ. पई कहते हैं कि मानसून अब अधिक सेटल दिख रहा है. बारिश से जुड़ी गतिविधियों में काफी सुधार हुआ है इसलिए अच्छी बारिश की आस है. इस नए पूर्वानुमान को माने तो अगले तीन से चार दिनों के दौरान मानसून जम्मू-कश्मीर से लेकर उत्तराखंड के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा तक अधिकांश उत्तरी राज्यों में आगे बढ़ सकता है.