भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार के पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल में लाखों छोटे-छोटे उद्योग बंद हो गए। करोड़ों लोगों की जीविका छीन गई। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले सात साल में देश के 18 लाख उद्योग बंद हो गए हैं और 54 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं। 54 लाख लोगों की नौकरी समाप्त होने से 2.25 करोड़ लोगों के जीवन पर असर पड़ा है।
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि भारत में जुलाई 2015 से जून 2016 और अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के दौरान विनिर्माण क्षेत्र के 18 लाख असंगठित उद्यम बंद हो गए। इस दौरान इन असंगठित उद्यमों में काम करने वाले 54 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं। हाल में जारी ’असंगठित क्षेत्र के उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण’ की फैक्ट शीट और राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा 2015-16 में किए गए 73वें दौर के सर्वेक्षण के तुलनात्मक विश्लेषण से यह बात सामने आई है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में करीब 178.2 लाख असंगठित इकाइयां काम कर रही थीं, जो जुलाई 2015 से जून 2016 के बीच काम कर रहीं 197 लाख असंगठित इकाइयों की तुलना में करीब 9.3 प्रतिशत कम थीं। इसी तरह से इन प्रतिष्ठानों में काम करने वाले लोगों की संख्या भी इस दौरान करीब 15 प्रतिशत घटकर 3.06 करोड़ रह गई, जो पहले 3.604 करोड़ थी।
अनिगमित उद्यम में वे कारोबारी इकाइयां शामिल होती हैं, जो अलग कानूनी इकाइयों के रूप में निगमित नहीं होती हैं। आमतौर पर इन उद्यमों में छोटे व्यवसाय, एकल स्वामित्व, साझेदारी और अनौपचारिक क्षेत्र कारोबार शामिल हैं। भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार गरीब और मजदूर विरोधी तो पहले से थी ही, अब कुटीर और लघु उद्योग विरोधी भी हो गई है। यह सरकार सिर्फ बड़े-बड़े पूंजीपतियों के हित में फैसला लेती है।