लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष ने जिस ‘संविधान खतरे में है’ को मुद्दा बनाया था उसे वह छोड़ते हुए नहीं दिख रहा है. इसकी झलक 18वीं लोकसभा की पहली बैठक के दिन ही दिख गई. सदन की बैठक में विपक्षी सदस्यों के हाथों में एक लाल रंग की किताब थी. इसके बारे में दावा है कि यह भारत का संविधान है. विपक्ष बार-बार इस किताब को दिखाकर ‘संविधान खतरे में है’ के आरोप लगता है.
दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष काफी हद तक इसको मुद्दा बनाने में कामयाब रहा. उसने इसे जनता के बीच चर्चा का विषय बनाया और उसके एक वर्ग को यह समझाने में कामयाब रहा कि भाजपा संविधान बदलने की योजना पर काम कर रही है. तभी तो वह 400 पार के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरी है. किसी भी पार्टी को सरकार चलाने के लिए 272 सीटों की जरूरत है. ऐसे में भाजपा और एनडीए 400 से अधिक सीटें हासिल कर संविधान बदलने की योजना पर काम कर रही है.
खैर, अब चुनाव बीच चुका है. लेकिन, विपक्ष इस मुद्दे को छोड़ते हुए नहीं दिख रहा है. समय-समय पर सत्ता पक्ष की ओर से भी विपक्ष के इन आरोपों पर सफाई आती रही है. सोमवार को ही पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा की बैठक शुरू होने से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए विपक्ष को इमरजेंसी की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि आज 24 तारीख है और एक दिन बाद 25 जून. ठीक 50 साल पहले इसी दिन देश के संविधान पर एक काला धब्बा लगा दिया गया था. पीएम के इस बयान को सीधे पर तौर विपक्ष के आरोपों का जवाब बताया जा रहा है. पीएम ने इसके साथ यह भी कहा कि उनकी सरकार यह संकल्प लेती है कि भविष्य में संविधान को फिर से कलंकित करने की किसी को कोई अनुमति नहीं दी जाएगी.
‘संविधान खतरे है’ मुद्दा जीवित
पीएम के संबोधन के बाद विपक्षी सांसदों की तस्वीर सामने आई. उसमें वे अपने हाथ में एक छोटी लाल किताब लिए थे. कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य सोनिया गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित तमाम विपक्ष सांसदों के हाथों में ये लाल किताब थी. यह वही लाल किताब है जिसको लेकर राहुल गांधी लगातार कहते रहे हैं कि उनकी पार्टी और इंडिया गठबंधन इस संविधान को मरते दम तक नहीं बदलने देगी. वह अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी ये किताब लेकर चलते थे. उन्होंने इस किताब की हजारों प्रतियां छपवाई है.
18वीं लोकसभा के पहले दिन सोमवार को संसद का नजारा देखकर यह स्पष्ट हो गया कि विपक्षी दल ‘संविधान खतरे में है’ के मुद्दे को हर हाल में जीवित रखना चाहते हैं..
किस रंग की है मूल प्रति
चलिए, इस लाल किताब के बहाने आज आपको बताते हैं कि आखिर हमारे मूल संविधान का रंग कैसा है. दरअसल, मूल संविधान के कवर पेज पर कहीं भी लाल रंग नहीं है. हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में संविधान की मूल प्रति छपी थी. उन दोनों मूल प्रति को आज भी संसद के भीतर हीलियम के एक बॉक्स में सुरक्षित रखा गया है..
इस मूल संविधान के आवरण पृष्ठ को सुनहरे और काले रंग से तैयार किया गया है. इस पर पहले ‘भारत का संविधान’ लिखा है और फिर नीचे आशोक स्तंभ छपा है. अशोक स्तंभ भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है. इसमें कही भी लाल रंग नहीं है.