June 13, 2025

बिहार में गुरुवार को पूर्णिया और किशनगंज के रास्ते मानसून की एंट्री हो गई है। अगले 2 से 4 दिनों में पूरे प्रदेश में इसका असर दिखने लगेगा। हालांकि, मानसून की एंट्री निर्धारित समय से 4 दिन की देरी से हुई है।

मौसम विभाग ने आज बिहार के 5 जिलों में भारी बारिश को लेकर यलो अलर्ट जारी किया है। इसमें मधुबनी, सीतामढ़ी, सारण, पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण शामिल हैं। इसके अलावा पटना, नालंदा, गया, औरंगाबाद, बेगूसराय, शेखपुरा, रोहतास, बक्सर, कैमूर, भागलपुर, किशनगंज, पूर्णिया, मुंगेर, बांका समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा में हल्की बारिश की संभावना जताई है। कटिहार, समस्तीपुर और खगड़िया में अगले 3 घंटे के लिए बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया गया है।

शुक्रवार की सुबह दरभंगा, सुपौल, मधेपुरा, मधुबनी में बारिश हुई। दरभंगा में आकाशीय बिजली गिरने से बैंक गांव में कमलेश आचार्य (60) की मौत हो गई है। इधर किशनगंज में लगातार 4 दिन से बारिश होने की वजह से टेढ़ागाछ में कनकई नदी का जलस्तर बढ़ गया है। लोग आने-जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं।

पूर्णिया में सबसे ज्यादा हुई बारिश

प्रदेश में मानसून की एंट्री होते ही कई जिलों में बारिश हुई। पूर्णिया, किशनगंज और सुपौल में भारी बारिश हुई। इसके साथ ही पटना, मोतिहारी, जहानाबाद, बक्सर, जमुई और भोजपुर में हल्की बारिश हुई।

पिछले पिछले 24 घंटे में पूर्णिया के ढेंगराघाट में सबसे ज्यादा 126.2 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। इसके साथ ही सुपौल के बीरपुर में 94 एमएम और किशनगंज के बहादुरगंज में 84 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई।

तीसरे साल भी देर से आया मानसून

लगातार तीसरे साल मानसून ने देर से आया। 2022 और 2023 में भी मानसून देरी से आया था। ग्राफिक्स के जरिए जानिए मानसून आने में क्यों हुई देरी।

भीषण गर्मी से लोगों को मिली राहत

मानसून की एंट्री के साथ अधिकतम तापमान में 3 से 4 डिग्री सेल्सियस गिरावट दर्ज की गई। सिर्फ तीन जिलों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार दर्ज किया गया। इससे लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिली है।

जून-जुलाई में कम, अगस्त-सितंबर में झमाझम बारिश होगी

मौसम विभाग ने इस साल सामान्य से 40-45 फीसदी अधिक बारिश होने की संभावना जताई है। जून से सितंबर के बीच करीब 1300-1400 एमएम बारिश हो सकती है। जून-जुलाई में कम, लेकिन अगस्त और सितंबर में झमाझम बारिश होगी। इसके पीछे वजह यह है कि देश के साथ बिहार में इस बार ला-नीना का असर पड़ेगा। ला- नीना की वजह से भारत में मानसून सीजन में बारिश अधिक होती है।

नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश ने बिहार में भी अब बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है. कोसी-सीमांचल की नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. पूर्णिया के निचले इलाके में पानी अब फैल चुका है. कटाव की जद में कई गांव आ चुके हैं. लोग अपने घर-मकान को तोड़कर सुरक्षित स्थानों पर भी जाते दिखने लगे हैं. अमौर प्रखंड क्षेत्र मे भी कनकई, महानंदा, परमान एवं दास नदी के बढ़े जलस्तर से पानी निचले इलाके में फैल चुका है.पूर्णिया में कनकई नदी का जलस्तर बढ़ा तो बाढ़ की भयावह स्थिति बन गयी है. सीमलबाड़ी नगरा टोल के लगभग 40 से 50 परिवार इस बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. टापू वाला नजारा अब इन गांवों में दिखने लगा है जहां पानी घर-आंगन में प्रवेश कर चुका है. खाड़ी महीनगांव पंचायत के मीरटोला महेश वथनाह गांव में भीषण कटाव हो रहा है. इस गांव का अस्तित्व भी अब खतरे में दिखने लगा है.ग्रामीणों की शिकायत है कि बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण विभाग द्वारा कटाव से बचाव के कोई उपाय नहीं किए गए. बताया कि दो दिन में लगभग दर्जनों घर में बाढ़ का पानी घुस चुका है।

कोसी नदी का बढ़ा जलस्तर…29 पंचायत में घुसा पानी:

सुपौल के कोसी तटबंध के 5 प्रखंडो के 29 पंचायत में बाढ़ का पानी घुस गया है। जिससे इलाके में रहने वाले किसान की फसल तबाह और बर्बाद हुई और अब बाढ़ का पानी दरवाजे तक पहुँच गया। जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गयी है। दरअसल कोशी बराज से इस साल सबसे अधिक पानी डिस्चार्ज किया गया है।

गुरुवार की रात आठ बजे कोशी नदी का जलस्तर 2 लाख 39 हजार 515 क्यूसेक रिकार्ड दर्ज किया गया है। जिस जलस्तर के बढ़ने के 12 घंटे बाद सुपौल जिले के पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के पांच प्रखंड के 29 पंचायत में रहने वाले लोगो के घर तक बाढ़ का पानी फैल गया है। जिसमें 16 पंचायत पूर्ण रूप से और 13 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित है।

बैरिया पंचायत के मूंगरार निवासी सुरेश साह ने बताया कि कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने से मूँग की फसल बर्बाद हो गई। वहीं लोगों के घरों तक पानी पहुंच गया है। जबकि शुक्रवार को नदी के जलस्तर में उतार चढ़ाव जारी है।

नदी के जलस्तर में हो रही कमी

आपदा प्रभारी पदाधिकारी सावन कुमार ने कहा कि बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह से तैयार और सजग है। शुक्रवार की सुबह से ही कोशी नदी में कमी देखी जा रही है।

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