पीएम मोदी G7 समिट के लिए अभी गए भी नहीं थे, उधर इटली में भारत की झलक दिख रही थी. मोदी के जाने से पहले ही मेलोनी पर भारत का रंग चढ़ चुका था. इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी नमस्ते और हाथ जोड़कर मेहमानों का स्वागत कर रही थीं. वैसे तो G7 देशों के सभी राष्ट्राध्यक्ष इटली पहुंचे थे. मगर मोदी के जाते ही फीजा पूरी तरह बदल गई. मोदी की एंट्री से जी7 समिट और भी चर्चा का केंद्र बन गया. मेलोनी ने पहले मोदी के साथ सेल्फी ली, फिर एक रील भी बनाई. मोदी और मेलोनी का रील गजब वायरल हुआ. मेलोनी के रील पर मोदी ने जब एक्स पर जवाब दिया तो यह केवल यूं ही नहीं था. मोदी ने भले ही अपने पोस्ट में इटली-भारत की दोस्ती बनी रहे लिखा, मगर इसका संदेश बड़ा था. जी हां, मेलोनी की रील पर मोदी के जवाब में एक बड़ी कहानी छिपी थी.
दरअसल, G7 के दो बड़े सदस्य देशों से हमारा रिश्ता बीते कुछ समय से ठीक नहीं चल रहा. निज्जर की हत्या और पन्नू की हत्या की साजिश मामले की वजह से भारत के अमेरिका और कनाडा से रिश्ते तल्ख हो चुके थे. मगर मोदी ने इस मंच का इस्तेमाल रिश्ते को बेहतर बनाने में किया. भारत के लिए खालिस्तानी अलगाववाद एक बड़ी समस्या है. जब मेलोनी के विशेष बुलावे पर मोदी जी-7 समिट के लिए पहुंचे तो उनकी बाइडन और जस्टिन ट्रूडो से भी मुलाकात हुई. पीएम मोदी ने खालिस्तानी अलगवावाद का मुद्दा बाइडन और ट्रूडो के सामने रखा. बैठकों और मुलाकातों की तस्वीरें आईं. इनमें जो बॉडी लैंग्वेज दिखी, उसमें साफ दिख रहा है कि मोदी को बड़ी कामयाबी मिली है. उन्होंने कूटनीतिक जीत हासिल कर ली है.
मोदी को मिला मेलोनी का साथ
जी-7 के कार्यक्रमों में मोदी की जिस तरह से हर जगह मौजूदगी देखी गई, उससे साफ लग रहा है कि भारत ने काफी हद तक कनाडा और अमेरिका को साध लिया है. हालांकि, यह सब संभव हो पाया है इटली की पीएम मेलोनी की वजह से. भारत जी-7 का सदस्य देश नहीं है. फिर भी मोदी ही समिट के सेंटर ऑफ अट्रेक्शन रहे. जी-7 के मंच पर मोदी को सेंटर स्टेज दिलाने में मेलोनी की बड़ी भूमिका रही है. मोदी के सीटिंग अरेंजमेंट से लेकर हर तरह की वार्ता-मुलाकात में मेलोनी ने बड़ी भूमिका निभाई. मोदी को जी-7 के हर कार्यक्रम में सेंटर स्टेज मिले, इसका मेलोनी ने खूब ख्याल रखा. जब जी7 समिट की ग्रुप फोटो आई, उसमें भी मोदी ही सेंटर में थे. यह भी मेलोनी ने ही तय किया था. यह बात इसलिए भी अहम है, क्योंकि बगैर सदस्य होते हुए भारत जी-7 के ग्रुप फोटों में सेंटर में मौजूद रहा.
मोदी ने अमेरिका-कनाडा को कैसे साथा
इतना ही नहीं, मोदी ने इस मंच का इस्तेमाल अपने हित साधने के लिए भी खूब किया. मेलोनी का साथ पाकर ही पीएम मोदी ने समिट के इतर G7 के सदस्यों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ मुलाकात की और अपने मुद्दे उठाए. इटली में पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो संग मुलाकात की और खालिस्तानी अलगाववाद का मुद्दा उठाया. अमेरिका और कनाडा से हमारे रिश्तों में अब तक खटास थी. अमेरिका ने जहां पन्नू की हत्या की साजिश का आरोप मढ़ा है तो कनाडा ने निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया है. हालांकि, भारत इन आरापों को खंडन करता रहा है और उसने सबूत की मांग की है. इन्हीं वजहों से दोनों के साथ तल्खी बढ़ गई थी.
कनाडा संग राजनयिक संबंधों में तल्खी के बाद यह पहली मुलाकात की थी. शुक्रवार को मोदी और ट्रूडो के गर्मजोशी से हाथ मिलाने की एक तस्वीर आई. इतना ही नहीं, इटली के बारा में पीएम मोदी और कनाडाई समकक्ष जस्टिन ट्रूडो के बीच सभी मुद्दों से निपटने को लेकर विस्तार से चर्चा हुई. दोनों ने प्रतिबद्धता जताई कि हर मुद्दों को निपटने के लिए मिलकर काम करेंगे. वहीं, जो बाइडन संग भी मोदी की गर्मजोशी से मुलाकात हुई. जब मोदी और बाइडन एक-दूसरे से मिले तो खिलखिलाते चेहरे वाली तस्वीर ने इशारा कर दिया कि अब रिश्ते की गाड़ी पटरी पर लौट आई है. इटली से आई जस्टिन ट्रूडो, बाइडन और मोदी की तस्वीरों को देखकर लगता है कि मोदी ने अमेरिका के साथ कनाडा को भी साध लिया है.