वैसे तो भाजपा के 400 पार का सपना टूटने के पीछे सबसे बड़ा कारण स्वयं ‘नारा’ तो था ही, साथ ही आरएसएस के प्रतिकूल बयान देकर जेपी नड्डा ने भी कम बेड़ा गर्क नहीं किया। लेकिन बिहार की 40 में से 40 सीटें जितने के सपने के आड़े राज्य के कुशवाहा और वैश्य वोटरों की नाराजगी भी जुड़ गई। इसका नतीजा ये रहा कि शाहाबाद से बीजेपी पूरी तरह साफ हो गई। जिन सीटों को जीतने की गारंटी आंख मूदकर देते थे, वो हाथ से निकल गई। स्थानीय नेता और उम्मीदवार तो सदमे में तीन-चार दिनों तक घर से बाहर तक नहीं निकले।
महागठबंधन ने उतारे कुशवाहा समुदाय से 7 उम्मीदवार
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक रणनीति के तहत कुशवाहा समुदाय पर निशाना साध एनडीए के वोट बैंक में सेंधमारी की। महागठबंधन ने कुशवाहा से सात उम्मीदवार उतारे। इनमें राजद ने औरंगाबाद से अभय कुशवाहा, नवादा से श्रवण कुशवाहा, उजियारपुर से आलोक मेहता, सीपीआईएमएल ने खगड़िया से संजय कुशवाहा, काराकाट से राजाराम कुशवाहा और मोतिहारी से वीआईपी ने राजेश कुशवाहा को खड़ा किया। कुशवाहा समाज से आने वाले उम्मीदवारों को महत्ता देने के कारण एनडीए ने पांच, खास कर भाजपा ने चार और एक रालोमा उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा।
काराकाट से निकली हवा की चपेट में आई 4 सीटें
काराकाट लोकसभा से माले के स्थानीय उम्मीदवार राजाराम कुशवाहा ने एनडीए के राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा को 105858 मतों से परास्त किया। कुशवाहा मत यहां उपेंद्र कुशवाहा और राजाराम को मिला। एमवाई तो राजद का था ही। राजपूत मत भी निर्दलीय पवन सिंह को चला गया। वोटों के विभाजन ने एनडीए से एक और सीट छीन ली।
औरंगाबाद में अभय कुशवाहा ने ‘चित्तौड़गढ़ का किला’ ध्वस्त कर दिया। औरंगाबाद सीट से राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार अभय कुमार सिन्हा ने बीजेपी के सुशील कुमार सिंह को 79111 मतों से हराया। बक्सर लोकसभा से राजद के सुधाकर सिंह ने भाजपा के पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी को 30091 मतों से परास्त किया। राजद के सुधाकर सिंह को 438345 मत मिले। यहां भी कुशवाहा मत राजद के सुधाकर सिंह को ज्यादा मिला। सासाराम लोकसभा में भी काराकाट से हवा चली और अधिकतर कुशवाहा का वोट कांग्रेस उम्मीदवार मनोज कुमार को मिला। भाजपा उम्मीदवार शिवेश राम 19157 मतों से चुनाव हार गए।
वैश्य वोटरों ने बीजेपी से छीन ली आरा लोकसभा
आरा लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता राजकुमार सिंह को सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद ने 59808 मतों से परास्त किया। यहां वैश्यों का अधिकांश मत सीपीआईएमएल को तो गया ही, अधिकांश कुशवाहा वोट भी काराकाट के रिएक्शन में सुदामा प्रसाद को मिला।
वैश्य की नाराजगी तो जातीय जनगणना के साथ ही शुरू हो गई थी। तब वैश्य मंच से जदयू के सांसद रहे सुनील कुमार पिंटू ने सभा कर अपनी सरकार पर आरोप लगाया कि वैश्यों की गलत संख्या बताई जा रही है। लेकिन ये नाराजगी तब और बढ़ गई जब सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू और शिवहर से रमा देवी बेटिकट कर दी गईं। केवल वैश्य से डॉ संजय जायसवाल को टिकट दिया गया। कुशवाहा समुदाय से आने वाले से महाबली सिंह की जदयू ने टिकट काट दिया। इसका रिएक्शन ऐसा हुआ कि जदयू के सांसद संतोष कुशवाहा को भी हार का सामना करना पड़ा। अगर ओवर ऑल देखें तो जहां भी भाजपा जीती, वहां का अंतर भी काफी कम है।