लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद एनडीए को ऐसे तो 9 लोकसभा का नुकसान उठाना पड़ा है। लेकिन इस चुनाव में महागठबंधन ने NDA को बिहार विधानसबा में अपनी ताकत बढ़ाने का मौका दे दिया है। ये मौका और किसी ने नहीं बल्कि महागठबंधन के सांसद बने उम्मीदवारों की वजह से मिला है। रामगढ़ से सुधाकर सिंह (RJD), तरारी से सुदामा प्रसाद (CPI ML) और जहानाबाद से सुरेंद्र यादव (RJD) महागठबंधन के विधायक थे। ठीक इसी तरह से इमामगंज से जीतन राम मांझी के सांसद बनते ही क्रमशः रामगढ़, तरारी, जहानाबाद और इमामगंज विधानसभा का उपचुनाव होना तय है। ऐसे में एनडीए के पास रामगढ़, तरारी और जहानाबाद विधानसभा से जीत हासिल कर विधानसभा में संख्या बल बढ़ाने का एक मौका है।
समझिए विधानसभा में सीटों का गणित
इस मामले में महागठबंधन को सिर्फ एक सीट इमामगंज पर मौका मिला है। जबकि उसके सामने अपनी तीन सीटों को बचाए रखने की चुनौती भी है। अगर महागठबंधन रामगढ़, तरारी और जहानाबाद विधानसभा पर कब्जा बरकरार रखते इमामगंज विधानसभा का उपचुनाव जीत लेता है तो महागठबंधन की संख्या बल में एक विधायक की बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन अगर वो अपनी तीन सीटें हार जाता है तो NDA के पास विधानसभा में 3 विधायकों की संख्या बढ़ जाएगी। आइए बारी-बारी से आपको बताते हैं कि कहां कितना कड़ा मुकाबला हो सकता है
जहानाबाद विधानसभा सीट (उपचुनाव)
जहानाबाद विधानसभा के विधायक सुरेंद्र यादव वर्ष 2024 के लोकसभा में जदयू प्रत्याशी चंदेश्वर चंद्रवंशी को हरा कर सांसद बन गए है। इनके सांसद बनने के कारण यहां उपचुनाव होना है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के सुरेंद्र यादव ने जदयू के कृष्णनंदन वर्मा को हराया था। तब राजद के सुरेंद्र यादव को 75,030 वोट मिले थे और कृष्णनंदन वर्मा को 41,128 मत मिले थे। वैसे जदयू का इतिहास रहा है कि जहानाबाद में 2010 का विधानसभा चुनाव अभिराम शर्मा ने जीता। पर 2015 के विधानसभा में राजद के मुंद्रिका यादव ने जीत दर्ज कर राजद के खाते में सीट डाल दी। अब जहानाबाद विधानसभा के होने वाले उपचुनाव में जदयू को एक मौका है कि जीत हासिल कर एनडीए के साथ-साथ अपने संख्याबल में भी इजाफा कर ले। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के मुकाबले इस दफे बदले हुए समीकरण हैं।
रामगढ़ विधानसभा सीट (उपचुनाव)
रामगढ़ विधानसभा के विधायक सुधाकर सिंह बक्सर से सांसद बन गए हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में रामगढ़ विधानसभा चुनाव में सुधाकर सिंह ने बसपा के अंबिका यादव को हराया था। तब सुधाकर सिंह को 58,083 मत मिले और बसपा के अंबिका यादव को 57,894 वोट मिले थे। हालांकि इससे पहले 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने रामगढ़ में झंडा गाड़ दिया था। तब यहां से भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी। अब एक बार फिर से भाजपा के पास रामगढ़ विधानसभा सीट हासिल करने का मौका है।
तरारी विधानसभा सीट (उपचुनाव)
तरारी के विधायक सुदामा प्रसाद आरा लोकसभा से चुनाव जीत कर सांसद बन गए। इन्होंने भाजपा के उम्मीदवार पूर्व के केंद्रीय मंत्री आर के सिंह को हराया। साल 2020 के तरारी विधानसभा चुनाव में सुदामा प्रसाद ने निर्दलीय उम्मीदवार नरेंद्र कुमार पांडेय (सुनील पांडेय) को हराया था। यहां से भाजपा के कौशलेंद्र विद्यार्थी को 13,833 वोट मिले थे। 2010 में जदयू से बाहुबली सुनील पांडे उर्फ नरेंद्र पांडे जदयू के विधायक थे। अब तरारी विधानसभा का उप चुनाव होना है। एनडीए के लिए एक तरह से तरारी सीट को फिर से अपने कब्जे में करने का मौका है।
इमामगंज विधानसभा सीट (उपचुनाव)
इमामगंज के विधायक जीतन राम मांझी गया लोकसभा से चुनाव जीत कर सांसद बन गए। जीतन राम मांझी ने राजद के पूर्व मंत्री कुमार सर्वजीत को पराजित किया। यहां दिलचस्प यह है कि इमामगंज विधानसभा से चुनाव जीतन राम मांझी 2020 में NDA की ओर से HAM के उम्मीदवार थे। तब जीतन राम मांझी ने राजद के उम्मीदवार उदय नारायण चौधरी को हराया था। ऐसे में इस सीट पर महागठबंधन के लिए जीत का मौका है, जबकि एनडीए के पास सीट बचाए रखने का चैलेंज।