लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत हुई है. नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेने को तैयार हैं. चुनाव में जीत के बाद पीएम मोदी को देश-विदेश से बधाई संदेश मिल रहे हैं. ताइवान के राष्ट्रपति ने भी पीएम मोदी को बधाई दी है. पीएम मोदी ने भी कुछ देर बाद धन्यवाद दे दिया. मगर चीन से यह नजारा नहीं देखा गया. ताइवान और भारत की इस केमिस्ट्री को देखकर चीन के कलेजे पर सांप लोट गया. तिलमिलाए ड्रैगन ने भारत के सामने तुरंत विरोध जता दिया. दरअसल, चीन को असली मिर्ची पीएम मोदी के जवाब से लगी. उसने ताइवान के राष्ट्रपति के बधाई संदेश पर पीएण मोदी की टिप्पणी को लेकर कड़ा विरोध जताया.
दरअसल, चीन ने ताइवान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की ओर से किए गए एक पोस्ट के संबंध में भारत के समक्ष विरोध जताया. ड्रैगन ने कहा कि नई दिल्ली को ताइवान के अधिकारियों की ‘राजनीतिक चालों’ का विरोध करना चाहिए. चीन के मुताबिक, ताइवान उसका एक विद्रोही और अभिन्न प्रांत है. इसे मेन लैंड (चीन) के साथ पुनः एकीकृत किया जाना चाहिए, भले ही बलपूर्वक ही क्यों न किया जाए. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इन संदेशों पर रिएक्ट करते हुए कहा कि चीन ने इस पर भारत के समक्ष विरोध दर्ज कराया है.
बीजिंग को लगी मिर्ची
मोदी के जवाब से चीन की हालत खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे जैसी हो गई है. बीजिंग में चीनी प्रवक्ता माओ ने कहा, ‘सबसे पहले तो यह कि ताइवान क्षेत्र में कोई राष्ट्रपति नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘चीन ताइवान के अधिकारियों और चीन के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच सभी प्रकार की आधिकारिक बातचीत का विरोध करता है. विश्व में केवल एक ही चीन है और ताइवान, चीनी गणराज्य का अविभाज्य हिस्सा है.’ माओ निंग ने कहा, ‘एक-चीन सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त मानदंड है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस पर आम सहमति है. भारत ने इस पर गंभीर राजनीतिक प्रतिबद्धताएं व्यक्त की हैं और उससे अपेक्षा की जाती है कि वह ताइवान के अधिकारियों की राजनीतिक चालों को पहचाने, चिंतित हो तथा उनका विरोध करे. चीन ने इसे लेकर भारत के सामने अपना विरोध दर्ज कराया है.’
चीन की टिप्पणी पर अमेरिका का रिएक्शन
हालांकि, चीन के इस विरोध पर अब अमेरिका का भी जवाब आ गया है. यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री मोदी और ताइवान के राष्ट्रपति के बीच अभिवादन के आदान-प्रदान पर चीन ने भारत के समक्ष विरोध जताया है. इस पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि आप जिसका जिक्र कर रहे हैं, मैंने वह खबर अभी नहीं देखी है. इसलिए मैं उन पर विस्तार से टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन मैं कहूंगा कि इस तरह के बधाई संदेश डिप्लोमेटिक बिजनेस का सामान्य तरीका है.
मोदी और ताइवानी राष्ट्रपति के बीच क्या हुआ?
दरअसल, पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा था कि वह ताइवान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए उत्सुक हैं. नरेंद्र मोदी ने यह टिप्पणी लोकसभा चुनाव में मिली जीत पर ताइवान के राष्ट्रपति के बधाई संदेश में की थी. पिछले महीने निर्वाचित हुए ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने मोदी को बधाई देते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनाव में जीत पर मेरी हार्दिक बधाई. हम तेजी से बढ़ती ‘ताइवान-भारत साझेदारी’ को और आगे ले जाने, व्यापार, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में अपने सहयोग का विस्तार करने के लिए उत्सुक हैं, ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए योगदान दिया जा सके.’ इसके जवाब में नरेंद्र मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘लाई चिंग-ते, आपके गर्मजोशी भरे संदेश के लिए धन्यवाद. मैं ताइवान के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक तथा तकनीकी साझेदारी की दिशा में काम करते हुए और अधिक घनिष्ठ संबंधों की आशा करता हूं.’
मोदी की जीत से खुश नहीं चीन?
ऐसा लग रहा है कि भारत में पीएम मोदी की जीत से चीन खुश नहीं है. यही वजह है कि चीन ने अपने विदेश मंत्रालय की ओर से पीएम मोदी को बधाई संदेश भिजवा कर औपचारिकता पूरी की है. अभी तक चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएम मोदी को जीत की बधाई नहीं दी है. जबकि नेपाल, श्रीलंका और भूटान समेत ऐसे कई पड़ोसी देश हैं, जिन्होंने पीएम मोदी को बधाई दी है.