वोटों की गिनती भले ही 4 जून को होगी लेकिन इससे पहले ही देश के सामने एग्जिट पोल आ जाएगा. 44 दिन चले इस चुनाव में जनता का क्या मूड रहा है. अगले पांच साल के लिए देश में किसकी सरकार बनेगी? ऐसे में एग्जिट पोल का सटीक जवाब जानने के लिए देश के कई समाचार संस्थान इसका प्रशारण और प्रकाशन करेंगे .अब सबकी नजर एग्जिट पोल के नतीजों पर टिकी है. फाइनल रिजल्ट से पहले एग्जिट पोल के जरिए चुनाव में हार-जीत का अनुमान मिलता है. चुनाव आयोग जैसे ही वोटिंग फीसदी जारी कर देगा, तमाम टीवी चैनल्स एग्जिट पोल दिखाने लगेंगे. ये एग्जिट पोल नतीजों की एक झलक देते हैं. हालांकि, एग्जिट पोल के आंकड़े कभी सही तो कभी गलत साबित होते रहे हैं. इसके पूर्व ही कई दल और नेता इसके पक्ष और विपक्ष में आवाजे उठानी शुरू कर चुके है .
एग्जिट पोल डिबेट में शामिल नही होगी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी ने बड़ा फैसला लिया है। सातवें चरण में मतदान समाप्त होने के बाद अलग-अलग टीवी चैनलों, सोशल और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर होने वाले एग्जिट पोल डिबेट में कांग्रेस पार्टी अपने प्रवक्ताओं को नहीं भेजेगी। पार्टी के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। पार्टी सूत्रों ने एक जून को होने वाले अंतिम दौर के मतदान से ठीक पहले बताया कि कांग्रेस पार्टी ने चुनावी नतीजों से पहले एग्जिट पोल का हिस्सा न बनने का फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि ऐसी बहसों से कोई सार्थक नतीजे सामने नहीं आते। पार्टी सूत्रों का कहना है कि चार जून को होने वाली मतगणना के बाद देश की जनता का जनादेश सामने आएगा। पार्टी इसे स्वीकार करेगी।
पवन खेड़ा ने कहा कि किसी भी चर्चा या बहस का मकसद जनता तक सूचनाएं पहुंचाना होता है। इस विचार के साथ कांग्रेस यह भी साफ करना चाहती है कि पार्टी चार जून के बाद होने वाली चर्चाओं में जरूर शरीक होगी। इससे पहले कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म- एक्स पर पोस्ट में बताया कि कांग्रेस ने एग्जिट पोल से किनारा क्यों किया है। उन्होंने कहा कि मतदान के बाद जनादेश ईवीएम में कैद हो जाता है। ऐसे में चार जून को आधिकारिक मतगणना से पहले किसी भी अटकलबाजी में शामिल होना केवल टीआरपी का खेल है।
भागो नहीं, हार का सामना करके आत्मचिंतन करो
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को दावा किया कि टेलीविजन चैनलों पर एक्जिट पोल की बहसों में भाग नहीं लेने का कांग्रेस का फैसला ‘स्पष्ट पुष्टि’ है कि विपक्षी दल ने 2024 के लोकसभा चुनाव में हार मान ली है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए शाह ने एक बयान में कहा कि जब से उन्होंने कांग्रेस के मामलों में अहम भूमिका निभानी शुरू की है, तब से कांग्रेस ‘डिनायल मोड’ में है। बता दें कि आज शाम वोटिंग खत्म होने के बाद एग्जिट पोल के नतीजे आने लगेंगे।
कांग्रेस पर निशाना साधते हए शाह ने कहा, ‘कांग्रेस ने यह सोच कर चुनाव प्रचार किया कि उसे बहुमत मिलने वाला है लेकिन अब उसे वास्तविकता का एहसास हो गया है और वह जानती है कि कल चुनाव के बाद प्रसारित होने वाले एग्जिट पोल में उसे करारी हार का सामना करना पड़ेगा।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास मीडिया के सवालों का जवाब देने का साहस नहीं है इसलिए वह एग्जिट पोल की पूरी प्रक्रिया को खारिज कर रही है और दावा कर रही है कि इसका कोई मतलब नहीं है। गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को नकारना नहीं चाहिए और इसके बजाय आत्मचिंतन करना चाहिए।
अमित शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि जब न्यायिक निर्णय और चुनाव परिणाम उसके पक्ष में नहीं आते हैं तो वह सुप्रीम कोर्ट और निर्वाचन आयोग पर आक्षेप लगाती है। बता दें कि कांग्रेस ने न्यूज चैनलों पर लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल की बहस में भाग नहीं लेने की घोषणा करते हुए कहा कि वह TRP के लिए अटकलों और आरोप-प्रत्यारोप में शामिल नहीं होना चाहती है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक बयान में कहा, ‘लोकसभा चुनाव का परिणाम 4 जून को आएगा। इससे पहले, हमें TRP के लिए अटकलों और घमासान में लिप्त होने का कोई कारण नहीं दिखता है।’
पोल क्या होता है…………
एग्जिट पोल की तरह एक और पोल होता है. नाम है ओपिनियन पोल. अक्सर लोग एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल को लेकर कन्फ्यूजन में रहते हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल क्या हैं, इनमें क्या अंतर होता है, ये कब दिखाए जाते हैं?
क्या है एग्जिट पोल?
सबसे पहले समझते हैं कि आखिर ये एग्जिट पोल क्या है. एग्जिट पोल एक तरह से वोटिंग के बाद का एक क्विक सर्वे होता है. वोटिंग के बाद वोटरों से वोटिंग की जानकारी ली जाती है. उन्होंने किसे वोट किया, किसका पलड़ा भारी है, ऐसे सवालों से सीट पर हार-जीत का अनुमान लगाया जाता है. इसी डेटा को एग्जिट पोल के रूप में जाना जाता है. एग्जिट पोल में असल में रुझानों के जरिए निष्कर्ष निकालने की कोशिश होती है. वोटरों से बातचीत करके अंदाज लगाया जाता है कि कहां-रिजल्ट कैसा हो सकता है. वोटरों से मिली जानकारी के अनुसार अनुमान लगाया जाता है कि कौन-सा उम्मीदवार या सियासी दल कहां जीत रहा है और कौन हार रहा है. एग्जिट पोल पूरी तरह से रिजल्ट में तब्दील ही हो जाए, ऐसा जरूरी नहीं. एग्जिट पोल कई बार सही भी साबित होते हैं, तो कई बार गलत भी.
क्या है ओपिनियन पोल?
दरअसल, ओपिनियन पोल में वोटिंग से पहले वोटरों के मूड को परखा जाता है. एग्जिट पोल में चुनाव शुरू होने से पहले ही वोटरों से सवाल पूछा जाता है. उन सवालों से उनके मूड को भांपा जाता है. ओपिनियन पोल क्योंकि प्री पोल सर्वे होता है. इसलिए इसमें चुनाव से पहले पूछा जाता है कि इस बार किसकी हवा है, वे लोग किसे वोट देंगे, उनका मूड क्या है? ओपिनियन पोल से पता चलता है कि इस बार जनता किस ओर है. या यूं कहें तो इससे वोटरों के मूड का पता चलता है कि वे किस ओर हैं. वोटिंग से पहले ही ओपिनियन पोल दिखा दिए जाते हैं. आदर्श आचार संहिता लागू होते ही ओपिनियन पोल पर भी पाबंदी लग जाती है.
एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में अंतर
दरअसल, देश में बहुत से लोग एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल को एक ही मान लेते हैं. मगर हकीकत में तो दोनों में जमीन आसमान का अंतर होता है. ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में अंतर को ऐसे समझें. ओपिनियन पोल जहां वोटिंग शुरू होने से पहले का डेटा होता है, वहीं एग्जिट पोल वोट देने के बाद का. ओपिनियन पोल एक तरह से प्री पोल सर्वे होता है तो एग्जिट पोल पोस्ट पोल सर्वे. ओपिनियन पोल में वोटिंग से पहले ही वोटरों से उनका मूड जाना जाता है. जबकि एग्जिट पोल में वोटिंग के बाद पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया, उनकी नजर में जीत की संभावना किसकी है. ओपिनियन पोल से किसी पार्टी या उम्मीदवार के प्रति जनता के मूड का पता चलता है. जबकि एग्जिट पोल यह दिखाता है कि इस बार जनता की कृपा किसके ऊपर बरसी है.