सासाराम लोकसभा सीट का बहुत पुराना इतिहास रहा है। 1957 में यह अस्तित्व में आया था। इसमें कुल 6 विधानसभा हैं। सासाराम संसदीय क्षेत्र में रोहतास जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र करगहर, सासाराम, चेनारी और कैमूर जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र मोहनिया, भभुआ और चैनपुर शामिल है।
रोजगार के लिए यहां कोई इंडस्ट्री नहीं है। मुख्य साधन खेती ही है। यहां के किसान धान की खेती सबसे अधिक करते हैं। यही कारण है कि सासाराम को धान का कटोरा कहा जाता है। इसके बावजूद यहां पानी की समस्या है।
एक्सपर्ट के अनुसार किसानों को सही तरीके से खेती में सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। नई नहरें बनानी चाहिए थी। साथ ही पुराने नहरों की सफाई होनी चाहिए थी। इसके अलावा पहाड़ों पर और उसके आसपास के करीब 260 गांव ऐसे हैं, जहां आज भी पीने के पानी की समस्या पिछले कई सालों से बरकरार है। स्थाई समाधान के लिए अब तक किसी भी सांसद ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जबकि, इन्हीं इलाकों में टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं।
फोकस कर इन इलाकों को डेवलप किया जाए तो सासाराम को एक नई पहचान मिलेगी। टूरिस्टों की संख्या बढ़ने से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए साधन मिल जाएंगे। लेकिन, ऐसा हो नहीं रहा है। राजनीतिक दल और उनके उम्मीदवार पूरी तरह से शांत हैं। वो जातिवाद, धर्म और राम मंदिर पर ही फोकस कर चुनाव जीतने की तैयारी में हैं। जबकि, यहां स्थानीय तौर पर कई मुद्दे हैं। जिन पर किसी का फोकस नहीं है।
NDA और महागठबंधन के बीच सीधी टक्करः बिहार की अधिकतर सीटों की तरह सासाराम लोकसभा सीट पर भी NDA और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर है. NDA ने बीजेपी के मौजूदा सांसद छेदी पासवान का टिकट काटकर शिवेश राम को मैदान में उतारा है तो महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के मनोज कुमार चुनौती पेश कर रहे हैं.
बीजेपी का गढ़ बनाता जा रहा है सासारामः जगजीवन राम और उनकी बेटी मीरा कुमार के गढ़ के रूप में शुमार सासाराम लोकसभा सीट अब बीजेपी का गढ़ बनता जा रहा है. बीजेपी ने यहां पहली बार 1996 में जीत दर्ज की और मुनीलाल यहां के सांसद बने. उसके बाद मुनीलाल ने 1998 और 1999 में भी जीत दर्ज की और हैट्रिक लगाई. हालांकि 2004 और 2009 में कांग्रेस की मीरा कुमार ने बाजी मारी लेकिन 2014 और 2019 में बीजेपी के छेदी पासवान ने यहां से जीत का परचम लहराया.
सासाराम लोकसभा सीटः2009 से अब तकः इस सीट से 2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस की मीरा कुमार ने बीजेपी के मुनीलाल को हराकर जीत दर्ज की तो 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के छेदी पासवान ने कांग्रेस की मीरा कुमार को हराकर 10 साल बाद सासाराम सीट पर भगवा फहराया. 2019 में भी छेदी पासवान और मीरा कुमार में टक्कर हुई और इस बार भी बाजी छेदी पासवान ने मारी और लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की.
सासारामः दिल्ली के मुगल शासक हुमायूं को सत्ताच्युत करनेवाले शेरशाह सूरी का जन्मस्थान सासाराम एक ऐतिहासिक नगर है. वहीं रोहतास जिले का उल्लेख हमारी पौराणिक गाथाओं में भी है. मान्यता है कि राजा सत्य हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व के नाम पर ही जिले का नाम रोहतास पड़ा था. फिलहाल यहां शेरशाह का मकबरा दर्शनीय स्थल है और देश का प्रसिद्ध जीटी रोड सासाराम से होकर ही गुजरता है.
सासाराम में 6 विधानसभा सीटः सासाराम लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं. जिनमें मोहनिया, भभुआ और चैनपुर कैमूर जिले में हैं जबकि चेनारी, सासाराम और करगहर रोहतास जिले में हैं. इन सभी 6 विधानसभा सीटों में से 5 पर महागठबंधन का कब्जा है जबकि चैनपुर सीट से जेडीयू के जमा खान विधायक है.
सासाराम में जातिगत समीकरणः सासाराम लोकसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 19 लाख 4 हजार 173 है जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 94 हजार 271 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 9 लाख 9 हजार 902 है.जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पर 22 फीसदी सवर्ण मतदाता हैं. इसके अलावा 15 फीसदी कुशवाहा और 20 फीसदी दलित मतदाता है.
क्या लगेगी बीजेपी की हैट्रिक ?: सासाराम लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव की तरह ही बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है. हालांकि दोनों पार्टियों के प्रत्याशी बदल गए हैं. 2019 में जीत दर्ज करनेवाले छेदी पासवान की जगह बीजेपी ने शिवेश राम को मैदान में उतारा है मीरा कुमार के चुनाव लड़ने से इंकार के बाद कांग्रेस ने बीएसपी से आए मनोज कुमार पर दांव खेला है. मनोज कुमार पिछले चुनाव में बीएसपी के कैंडिडेट के रूप मे 86 हजार से ज्यादा वोट लाने में सफल रहे थे. ऐसे में इतना तय है कि सासाराम में मुकाबला कड़ा रहनेवाला है.
“मगध और शाहाबाद में नहरों का जाल है और इसे धान का कटोरा कहा जाता है लेकिन दुर्भाग्य से इंद्रपुरी बैराज में पानी नहीं आता है तो अगर जनता ने आशीर्वाद दिया और मैं चुनाव जीतता हूं तो मेरा पहला लक्ष्य होगा कि हरेक खेत में पानी पहुंचे.करमचट डैम का पानी भी लोगों को मिल सके.”
शिवेश राम, बीजेपी प्रत्याशी
“इलाके की समस्याओं को लेकर वे मैदान में हैं. खासकर खेती, किसानी और बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर लोगों के बीच जाएंगे.विश्वास है कि मेरी जीत होगी और मैं कांग्रेस की परंपरागत सीट को एक बार फिर पार्टी की झोली में डालने में सफल रहूंगा.” मनोज कुमार, कांग्रेस प्रत्याशी