पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में आता है फतुहा। यहां त्रिवेणी घाट है। यानी गंगा, पुनपुन और गंडक का संगम। इस घाट पर भरी दुपहरिया में एक युवा विजय कुमार गंगा नदी में गोते लगा रहा है और नीचे पड़े बालू को निकालकर घाट की जमीन पर रख रहा है। विजय को उम्मीद है कि कुछ पैसे निकलेंगे, हो सकता है सोना भी मिल जाए।
एक दिन पहले इसे सोने की नोज पिन मिली थी। उसे लग रहा है कि ठेला चलाएगा तो कुछ पैसे कमाएगा, लेकिन नदी में थोड़ी मेहनत करेगा तो ज्यादा हासिल हो सकता है।
घाट किनारे एक और युवक बैठा है गोलू कुमार। वह बताता है कि कमाने के लिए वह बेंगलुरु, चेन्नई जाता है और जब कुछ रुपए जमा हो जाते हैं तब फतुहा वापस आ जाता है। रुपए खत्म हों, उससे पहले फिर से पलायन करता है।
बाहर फ्लॉवर मिल में 3-4 महीने काम करता है और वहां 15-20 हजार रुपए कमा लेता है। गोलू बताता है कि देहात के ढेर सारे लोग वहां काम करने जाते हैं। यहां काम नहीं मिलता है, इसलिए बाहर जाना पड़ता है।
पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता रविशंकर प्रसाद को फिर से मैदान में उतारा है। महागठबंधन ने कुशवाहा कार्ड से बीजेपी को घेरने की कोशिश की है। लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार के बेटे अंशुल अविजीत यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं।
अंशुल की ताकत यादव, मुसलमान, कुशवाहा का वोट बैंक है, जबकि रविशंकर के पास वैश्यों का बड़ा वोट बैंक होने के साथ ही सवर्णों का भी वोट बैंक है। इस लोकसभा क्षेत्र में विकास की स्थिति यह है कि 21 मई 2021 को त्रिवेणी संगम पर बना अंग्रेजी राज का पुल गिर गया। आवाजाही के लिए पीपा पुल अस्थायी तौर पर बनाया गया है।
बीजेपी रोजगार नहीं दे रही, सड़क बनी पर नाला नहीं
बख्तियापुर के वकील संतोष कुमार कहते हैं कि रविशंकर और अंशुल के बीच टक्कर है। रविशंकर कुछ काम किए नहीं है। बेरोजगारी के बारे में आप जान रहे हैं। बीजेपी रोजगार नहीं दे रही है। सरकार तो भाजपा ही बनाएगी, लेकिन रोजगार भी दे सरकार।
किसी को भी बीजेपी टिकट दे, वह पटना साहिब से जीतेगा
बख्तियारपुर कनौती पंचायत में हम पहुंचे तो संजय कुमार सिंह ने कहा कि नरेन्द्र मोदी अच्छा काम कर रहे हैं, इसलिए देश को आगे बढ़ाने के लिए उनको वोट देना है। यहां से राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार, कहार सब बीजेपी को वोट कर रहे हैं। बाकी सब तेजस्वी की तरफ है। राशन, पेंशन मिल रहा है, देश भी आगे बढ़ रहा है।
पटना सिटी की मंडी सुविधाओं की उपेक्षा का शिकार
पटना सिटी में किराना की बड़ी मंडी मारुफगंज में है। यहां काफी भीड़ जुटती है खरीददारों की। सोशल एक्टिविस्ट विजय कुमार सिंह कहते हैं कि यह पटना जिले का प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र है। यहां जो सुविधाएं होनी चाहिए वो नहीं है। कभी डबल इंजन और कभी सामाजिक न्याय की सरकार आती रही, लेकिन पटना सिटी उपेक्षा का शिकार है।
दो हजार साल पहले का अशोक राजपथ है पर उसकी चौड़ाई उतनी ही है, जबकि आवागमन हजार गुना बढ़ गया। वैकल्पिक रास्ता होना चाहिए। जेपी गंगा पथ का निर्माण हुआ है, लेकिन उससे जुड़ी सड़कें चौड़ी होती हुई नहीं दिख रही है।
पटना साहिब में गुरुद्वारा के पास, शहीद भगत सिंह चौक, अशोक राजपथ ट्रैफिक का दबाव नहीं झेल पा रही। मछरहट्टा में भी काफी परेशानी है। बच्चों को स्कूल जाने में भी काफी परेशानी है।
सोच बदली है बीजेपी सरकार की योजना का लाभ गांव में भी
गोविंद कनौडिया कहते हैं कि पटना सिटी वैश्य बहुत इलाका है। यह शुरू से बीजेपी की सीट है, इसलिए लोगों को लगता है कि बीजेपी जिसको टिकट देगी वह जीत जाएगा। संजीव कुमार यादव कहते हैं कि पहले यह सोच थी कि गांव में बीजेपी मजबूत नहीं है, सिर्फ शहर में है, लेकिन अब स्थिति काफी बदल गई है।
विभिन्न योजनाओं का लाभ गांवों से शहरों तक के लोगों को मिल रहा है। किसानों को प्रधानमंत्री निधि सम्मान योजना के तरह छह हजार रुपए सालाना दिए जा रहे हैं। आयुष्मान भारत योजना से गरीबों का पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा है। अब गरीब भी मेदांता जैसे अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं।