लोकसभा चुनाव 2024 में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। वजह भी बिल्कुल साफ है। राष्ट्रीय जनता दल के सूत्रों की माने तो इस चुनाव के कमांडर बने पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने चार सिपहसालारों के साथ लालटेन जलाने में लगे हैं। सिपहसालार की भूमिका में हैं रंजन यादव, भाई वीरेंद्र और रीतलाल यादव के साथ चौथे सिपहसालार की भूमिका में सीपीआईएमएल स्वयं है।
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर रंजन यादव की भूमिका
राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद जब राजनीति के शीर्ष पर थे तो रंजन यादव उनके मुख्य रणनीतिकार थे। बीच में विवाद हुए अलग हुए और एक बार फिर मिले। इनकी खासियत पाटलिपुत्र लोकसभा को लेकर यह है कि नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए पाटलिपुत्र का पहला चुनाव रंजन यादव ने जीता और वह भी लालू प्रसाद यादव को हराकर। रंजन यादव को तब 269298 मत मिले और लालू यादव को 245757 मत मिले। लगभग 24 हजार के अंतर से रंजन यादव जीते थे। इस सीट पर रंजन यादव के संबंध बरकरार रहने का दावा है। वे इस बार मीसा भारती को मदद के लिए आगे बढ़ चुके हैं।
सीपीआईएमएल की भूमिका
पाटलिपुत्र लोकसभा से सीपीआईएमएल ने दो बार चुनाव लड़ा। पहली बार वर्ष 2009 में, तब सीपीआईएमएल के उम्मीदवार रामेश्वर प्रसाद को 36837 मत मिले थे। 2014 के लोकसभा में दूसरी बार सीपीआईएमएल के रामेश्वर प्रसाद चुनावी जंग में उतरे और 51623 मत मिले। इस बार राष्ट्रीय जनता दल उम्मीदवार मीसा भारती के समर्थन में सीपीआईएमएल है। ध्यान देने वाली बात यह है कि मीसा भारती लगभग 40 हजार मत के अंतर से हार गई थी। वर्ष 2019 लोकसभा में राम कृपाल यादव को कुल 5,09,557 वोट मिले थे जबकि आरजेडी उम्मीदवार मीसा भारती को कुल 4,70,236 मत मिले थे। 2014 के लोकसभा में राम कृपाल यादव को कुल 3,83, 262 वोट मिले थे, वहीं आरजेडी प्रत्याशी मीसा भारती को 3,42,940 वोट मिले थे।
वैसे भी सीपीआईएमएल के पाटलिपुत्र लोकसभा में दो विधायक हैं। फुलवारी से गोपाल रविदास और पालीगंज से संदीप सौरभ। इन्हें भी मीसा भारती को लीड दिलाने की चुनौती मिली है।
बहरहाल, पाटलिपुत्र लोकसभा में कमल खिलता है या लालटेन जलता है यह तो चार जून को पता चलेगा। तब लालू प्रसाद यादव के कमांडर शिप में संघर्षरत सिपहसालार का लिटमस टेस्ट भी हो जायेगा।