अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मोर्चे पर भारत को ज्यादातर भागीदार देशों के साथ घाटा उठाना पड़ रहा है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत को अपने 10 सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार देशों में से 9 के साथ घाटा उठाना पड़ गया.
कई देशों के साथ बढ़ गया व्यापार घाटा
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट में आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत को 10 में से 9 प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के साथ घाटा उठाना पड़ गया. उनमें चीन, रूस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया आदि शामिल हैं. एक और गंभीर बात ये पता चली है कि उनमें से कई देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा साल भर पहले की तुलना में बढ़ गया है.
चीन के साथ हुआ इतना व्यापार
पिछले वित्त वर्ष में चीन एक बार फिर से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया और उसने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया. पिछले वित्त वर्ष में भारत और चीन का आपसी व्यापार 118.4 बिलियन डॉलर का रहा. वहीं अमेरिका के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 118.28 बिलियन डॉलर का रहा. अमेरिका उससे पहले लगातार दो वित्त वर्ष से (वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23) भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना हुआ था.
ऐसे तय होता है व्यापार संतुलन
किसी भी दो देश का व्यापार संतुलन उनके बीच आपस में होने वाले आयात और निर्यात के हिसाब से तय होता है. अगर कोई देश अपने किसी पार्टनर देश से जितना निर्यात करता है, उसकी तुलना में कम आयात करता है तो इसे व्यापार घाटे की स्थिति कहा जाता है. मतलब कह सकते हैं कि टॉप-10 व्यापारिक भागीदार देशों में से ज्यादातर के साथ भारत का निर्यात ज्यादा है, आयात कम.
इन देशों के साथ बढ़ा व्यापार घाटा
आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष के दौरान जिन देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ गया, उनमें चीन, रूस, दक्षिण कोरिया और हांगकांग शामिल हैं. वहीं दूसरी ओर संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, रूस, इंडोनेशिया और इराक के साथ भारत का व्यापार घाटा पिछले वित्त वर्ष में 2022-23 की तुलना में कम हुआ है.
सबसे ज्यादा चीन के साथ घाटा
भारत को सबसे ज्यादा व्याापार घाटा अभी चीन के साथ हो रहा है. पिछले वित्त वर्ष में इसका आंकड़ा बढ़कर 85 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. वहीं भारत का व्यापार घाटा रूस के साथ 57.2 बिलियन डॉलर, दक्षिण कोरिया के साथ 14.71 बिलियन डॉलर और हांगकांग के साथ 12.2 बिलियन डॉलर रहा. पिछले वित्त वर्ष में सिर्फ अमेरिका के साथ व्यापार का संतुलन भारत के पक्ष में रहा. यह ट्रेड सरप्लस 36.74 बिलियन डॉलर का रहा.