लोकसभा चुनाव अब लगभग अपने अंतिम पड़ाव की ओर पहुंच चुका है. पांच चरण के बाद अब बारी है छठे चरण के मतदान की. 25 मई को देश के 8 राज्यों की 58 सीट पर वोटिंग होना है. खास बात यह है कि शनिवार को होने वाले इस मतदान के लिए प्रचार अभियान गुरुवार शाम से थम जाएगा. यानी 23 मई की शाम से छठे चरण के लिए राजनीतिक दल प्रचार नहीं कर पाएंगे. इसके बाद 24 मई शुक्रवार से पोलिंग पार्टियां संबंधित बूथों के लिए निकलेंगी.
किस राज्य में कितनी सीटों पर वोटिंग
लोकसभा चुनाव छठे चरण की बात करें तो इसमें देश के आठ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में वोट होना है. इनमें उत्तर प्रदेश की 14 सीट के लिए वोटिंग होगी. इनमें प्रमुख रूप से सुल्तानपुर, श्रावस्ती, प्रतापगढ़, फूलपुर, प्रयागराज, डुमरियागंज, बस्ती, अम्बेडकरनगर, संतकबीरनगर, जौनपुर, भदोही, लालगंज, मछलीशहर और आजमगढ़ शामिल है. इसके साथ-साथ बलरामपुर की गैसड़ी विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी. यूपी में 14 सीटों के लिए 162 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.
वहीं बिहार की बात करें तो यहीं छठे चरण में 8 सीट के लिए मतदान होना है. इनमें चंपारण, पूर्व चंपारण, वाल्मीकिनगर, शिवहर, सिवान, वैशाली, महाराजगंज और गोपालगंज प्रमुख रूप से शामिल है. बिहार की 8 सीट पर 86 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
झारखंड की बात करें तो यहां छठे चरण में 4 सीट पर वोटिंग होगी. सीटों की बात करें तो रांची, गिरिडीह, धनबाद और जमशेदपुर शामिल है. यहां पर 93 कैंडिडेट चुनाव लड़ रहे हैं.
वहीं केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की दो लोकसभा सीट राजौरी और अनंतनाग पर तीसरे चरण के दौरान मतदान नहीं हो पाया था, लिहाजा छठे चरण में यहां पर वोटिंग होगी. यहां पर कुल 20 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.
इसके अलावा ओडिशा की 6 सीट पर और पश्चिम बंगाल की 8 और हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर भी 25 मई को ही मतदान होना है.
वैशाली लोकसभा सीट..
आज शाम 5 बजे वैशाली लोकसभा सीट पर चुनाव-प्रचार बंद हो जाएगा। 25 मई को चुनाव है। चुनाव को लेकर सारी तैयारी पूर्ण कर ली गई है। वैशाली लोकसभा क्षेत्र में छह विधान सभा क्षेत्र है। जिसमें वैशाली, मीनापुर, बरुराज, कांटी, पारू और साहेबगंज है। जिसमें महागठबंधन के मीनापुर और कांटी में विधायक राजद कोटे से है।
तीन जगह से भाजपा के विधायक और एक जदयू विधायक हैं। कुल मतदाताओं की संख्या पुरुष 9 लाख 76 हजार 685, महिला 8 लाख 71हजार 993 और अन्य 73 है। 25 मई को चुनाव होना है। सिटिंग सांसद वीना देवी एनडीए एलजेपी रामविलास की प्रत्याशी और महागठबन्धन राजद प्रत्याशी विजय कुमार उर्फ मुन्ना शुक्ला हैं। वैशाली में कुल उम्मीदवार की संख्या 15 है।
भूमिहार वोटर 2 लाख 50 हजार हैं
वैशाली लोकसभा क्षेत्र के सिटिंग सांसद बीना देवी से कुछ लोग नाराज चल रहे हैं। जिसका फायदा महागठबंधन के प्रत्याशी मुन्ना शुक्ला को मिल सकता है, लेकिन पीएम मोदी की जनसभा के बाद नाराजगी ना के बराबर लोगों में दिख रही है।
वैशाली लोकसभा क्षेत्र में पहले नंबर जाति अधार पर वोटर भूमिहार 2 लाख 50 हजार, दूसरे नम्बर पर राजपूत और यादव 2 लाख , तीसरे नंबर पर मुस्लिम 1.25 लाख है। बाकी कुर्मी वोट की संख्या 90 हजार, कुशवाहा 1.65 लाख, मलाह 1.25 लाख, अनु जाति 2 लाख और वैश्य 1.35 लाख वोटर हैं।
महाराजगंज लोकसभा सीट..
सारण लोकसभा क्षेत्र में 20 मई की वोटिंग के बाद सभी शक्तियां महाराजगंज में लग गई हैं। चाहे एनडीए की हो या ‘इंडिया’ की। सीवान के गोरयाकोठी के आज्ञा गांव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मई को सभा की। इसके बाद महाराजगंज की हवा का रूख बदल गया- यह कहना है भाजपा विधायक देवेशकांत सिंह का।
वहीं इंडिया समर्थक यह मानकर चल रहे हैं कि पूर्व सांसद के पुत्र रंधीर सिंह के जदयू में जाने से एनडीए उम्मीदवार जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को लाभ की बजाय नुकसान होने वाला है। समीकरण समझाया कि राजद में जब रंधीर थे तो यादवों और मुसलमानों का बहुत बड़ा वर्ग उनका समर्थक था। जैसे ही उन्होंने राजद छोड़ा तो ये वोट कांग्रेस के पक्ष में खड़ा हो गया। मशरक में भाजपा कार्यालय और कांग्रेस कार्यालय रोड के आर-पार है। यहीं पर मिले 76 वर्षीय काशिद अली। उन्होंने कहा-कांटे की टक्कर है। मुकाबला एकतरफा नहीं है।
काशिद अली की बातों में दम है कि भतीजा रंधीर सिंह भले ही जदयू में चले गए पर चाचा केदारनाथ सिंह राजद में ही हैं। कांग्रेस के पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह की पत्नी शोभा सिंह भी गांव-गांव जाकर आकाश कुमार सिंह के लिए वोट मांग रही हैं। एमएलसी इंजीनियर सच्चिदानंद राय, महाराजगंज के विधायक विजयशंकर दुबे के पुत्र सत्यम दुबे का भाजपा में जाना एनडीए के लिए सुकून देने वाली बात है। तरैया के पचरौर, भगवतपुर समेत आसपास के गावों में भाजपा के पक्ष में सभी जाति की महिलाएं गोलबंद दिखीं।
महिलाएं कहती हैं- हमनी सब नईखीं जानत कि के चुनाव लड़ रहल बा… हमनी खातिर मोदी-नीतीश नेता बाड़न। उनका के वोट दिहल जाईं। गुप्त वोट एनडीए को और मुखर वोट इंडिया को। महाराजगंज में यह बात आम चर्चा में मिली। गुप्त वोट महिलाओं के वोट को कहा जा रहा हैं, जबकि मुखर वोट यादव, मुसलमान और भूमिहार को माना जा रहा है। वैश्य, कुर्मी और कुशवाहा के वोट में बंटवारे की बात सामने आ रही है।
यहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। वे स्थानीय प्रभावशाली नेताओं में से एक शैलेंद्र प्रताप सिंह को अपने पक्ष में करने में वे कामयाब रहे हैं। पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के पुत्र जितेंद्र स्वामी का भी आकाश कुमार को समर्थन प्राप्त है।
महाराजगंज का इतिहास रहा है कि यहां पर केवल दो ही जाति के सांसद होते रहे हैं। अब तक हुए 18 चुनावों में 14 बार राजपूत जाति से सांसद चुने गए हैं। जबकि चार बार भूमिहार जाति से। स्थानीय कांग्रेसी नेताओं का भितरघात आकाश कुमार सिंह के लिए घातक साबित हो सकता है।
महाराजगंज के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक महाराजगंज से कांग्रेस के विधायक हैं विजयशंकर दुबे। ये आकाश सिंह के न तो नामांकन में नजर आए और न ही प्रचार में। स्थानीय कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भी उत्साह की कमी है। कांग्रेसियों से ज्यादा उत्साहित राजद के स्थानीय कार्यकर्ता नजर आए। कुल मिलाकर उत्साह, उमंग, नाराजगी, भीतरघात, जातीय समीकरण में उलझा महाराजगंज का चुनाव।
बीते चुनाव में मिले मत
2019
- भाजपा- 546352, 56.17%
- राजद- 315580 ,32.44%
2014
- भाजपा – 320753, 37.88%
- राजद- 282338, 33.34%
सीवान लोकसभा सीट..:
नाला नहीं, नदी है। सीवान शहर के बीचो-बीच एक पुल है। पुल पर पहुंचते ही मन पूछता है कि यह नाला है या नदी। लोग बताते हैं कि कभी दाहा नदी थी, पर अब…। जिस शहर की नदी नाला बन गई, वहां यह चुनावी मुद्दा नहीं है। इसका जबाव किसी प्रत्याशी के पास नहीं है। पुल से 50 कदम पश्चिम बढ़ने पर गोपालगंज मोड़ है। हैरतअंगेज दृश्य है।
चार महापुरूषों की आदमकद प्रतिमाएं लगी हैं। पूरब कोने में डॉ भीमराव आंबेडकर, दक्षिण में पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय तो पश्चिम कोने में प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद हैं और बीच चौराहे पर लगी है छात्र नेता शहीद चंद्रशेखर की प्रतिमा। प्रतिमाओं के इस स्वरूप पर पास के दुकानदार ने बताया-देखिए उधर मंडलकारा है।
सामने मुफस्सिल थाना और इधर एसपी आवास। इतना सबकुछ होते हुए 31 मार्च 1997 को इसी जगह पर हजारों की भीड़ के बीच में छात्र नेता चंद्रशेखर की सरेआम हत्या कर दी गई थी। इसी कारण उनकी प्रतिमा बीच में और सबकी कोने में है। कभी ऐसा था पर अब दशकों बाद शांत है सीवान। किसी भी प्रत्याशी की बड़ी मार्जिन से जीत आसान नहीं।
पिछले लोकसभा चुनावों में यहां माले के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे हैं। इस बार माले मैदान में नहीं है। गठबंधन के तहत राजद को यह सीट मिली है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवधबिहारी चौधरी उम्मीदवार हैं। छवि साफ है, पर सीवान से लगातार पांच बार विधायक होने के कारण एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी जुड़ा है। मो शफीक कहते हैं- इस बार मुसलमान इनको वोट नहीं देगा। राजद समर्थकों का कहना है कि इस बार माले साथ है। मुसलमान वोट नहीं देंगे तो माले कैडर के वोट से क्षतिपूर्ति हो जाएगी।
सीवान के बारे में कहा जाता है कि यहां माय समीकरण काम नहीं करता। 2009 में निर्दलीय ओमप्रकाश यादव की जीत इसका उदाहरण है। उन्होंने शहाबुद्दीन को ही हराया था। इस बार के चुनाव में भी माय समीकरण 2009 की तरह ही ध्वस्त है। राजद से अवधबिहार चौधरी हैं, निर्दलीय हिना शहाब हैं तो एक और निर्दलीय जीवन यादव भी हैं। वोटों का बिखराव तय है। इसी पर जीत-हार निर्भर है। एनडीए समर्थकों का दावा है कि उनको कुछ वोट माले कैडर का भी मिलेगा।
माले को ये इसलिए जोड़ते हैं की विजयलक्षमी देवी के पति रमेश कुशवाहा का बैकग्राउंड माले का रहा है। वोटों का गणित कुछ इस तरह है- मुस्लिम वोट करीब सवा तीन लाख। अगड़े लगभग सवा पांच लाख, पिछड़े के करीब साढ़े चार लाख, अतिपिछड़ा लगभग पौने तीन लाख और दलित मतदाता लगभग ढाई लाख हैं।
हिना शहाब के समर्थक मो शादिक अली कहते हैं- सभी अगड़ी जातियों का वोट मिलेगा रमेश कुशवाहा से ये पहले से त्रस्त हैं। इधर एनडीए की ओर से पर्चा जारी कर लोगों को बताया जा रहा है कि अगड़ी जाति के लोगों की हत्या नब्बे के दशक में जितनी हुई, उतनी कभी नहीं हुई। सभी ओर से गड़े मुर्दे को उखाड़े जा रहे हैं। सीवान में जीत के लिए लगातार पासे फेंके जा रहे हैं। सिलसिला अंतिम क्षण तक जारी रहेगा।
बीते चुनाव में मिले मत
2019
- जदयू- 448473 , 45.54%
- राजद- 331515, 33.66%
2014
- भाजपा- 448473, 45.54%
- राजद- 258823, 29.28%
ब्राह्मण बहुल लोकसभा क्षेत्र वाल्मीकि नगर को बिहार में न केवल एनडीए गढ़ कहा जाता है, बल्कि इसे बीजेपी और जदयू गठबंधन की सबसे सेफ सीट भी मानी जाती है। पिछले तीन चुनाव से एनडीए यहां बड़ी जीत दर्ज करती रही है, लेकिन इस बार लालू के प्रयोग ने एनडीए की जीत की राह को मुश्किल कर दिया है।
लालू यादव ने यहां से लगातार हारते आ रही कांग्रेस से ये सीट छीनकर पहले राजद का उम्मीदवार उतारा। इतना ही नहीं पहली बार उन्होंने यहां से यादव कैंडिडेट (दीपक यादव) पर दांव लगाया है।
वहीं, दूसरी तरफ जदयू ने यहां के दिग्गज नेता रहे बैद्यनाथ महतो के बेटे और मौजूदा सांसद सुनील कुमार पर ही भरोसा जताया है।
सुनील कुमार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी
सुनील कुमार अपने पिता बैद्यनाथ प्रसाद महतो के निधन के बाद 2020 में हुए उपचुनाव जीतकर सांसद बने थे। उनके पास काम करने के लिए 4 साल का वक्त था, लेकिन लोगों में शिकायत है कि चुनाव जीतने के बाद वे इलाके से पूरी तरह गायब हो गए। इसके कारण इलाके में उनके खिलाफ भारी नाराजगी है।
इतना ही नहीं नीतीश कुमार के लगातार पाला बदलने के कारण भी लोग उन्हें इस बार पसंद नहीं कर रहे हैं। सिकटा के सलीम अंसारी कहते हैं कि बिहार में लोग नीतीश कुमार से तंग आ गए हैं।
सुनील कुमार और बीजेपी से लोग नफरत कर रहे हैं। इनका बर्ताव अच्छा नहीं है। लोग नीतीश को बदल देना चाहते हैं।
मैना टांढ़ के किशुन राम खेतिहर मजदूर हैं। कहते हैं कि यहां सिंचाई की व्यवस्था चौपट है। अच्छे शिक्षण संस्थान नहीं है। एक अच्छी चीज ये हुई है कि शराबबंदी की है।
इस बार यहां से महागठबंधन ही जीतेगा। नीतीश कुमार कभी इधर जाते हैं कभी उधर जाते हैं। ऐसे में उन पर कौन भरोसा करेगा।