2024 लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में सोमवार को 6 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की 49 सीटों पर मतदान खत्म हो गया है। कुल 62.91% वोटिंग हुई। सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में 76.05% और सबसे कम महाराष्ट्र में 54.33% मतदान हुआ है।
इसके अलावा ओडिशा विधानसभा के सेकेंड फेज की 35 सीटों पर 69.34%, झारखंड की गांडेय विधानसभा सीट पर 68.26% और लखनऊ ईस्ट सीट पर 52.25% वोटिंग हुई है। जम्मू कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट पर अब तक का सबसे ज्यादा मतदान हुआ। वोटर टर्नआउट के मुताबिक, यहां 59 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले।
बिहार के सारण में दो गुटों के बीच हिंसक झड़प हुई। गोलीबारी में 1 की मौत और 2 लोग जख्मी हो गए। वहीं, उत्तर प्रदेश के महोबा में ड्यूटी के दौरान CRPF के एक जवान की मौत हो गई। पश्चिम बंगाल के बैरकपुर और हुगली में भाजपा कैंडिडेट्स और TMC समर्थकों के बीच झड़प हुई है।
मुंबई में मतदान केंद्र के पास डमी EVM रखने के आरोप में पुलिस ने शिवसेना (UBT) के तीन कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है। मुंबई में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, गुलजार, सुभाष घई, अक्षय कुमार, नाना पाटेकर, अनिल कपूर, मनोज बाजपेयी के अलावा RBI गवर्नर शक्तिकांत दास और अनिल अंबानी ने वोटिंग की।
इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, BSP सुप्रीमो मायावती, सतीश चंद्र मिश्रा ने लखनऊ में, राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे दिनेश प्रताप सिंह ने रायबरेली में वोट डाला।
543 लोकसभा सीटों में चौथे फेज तक 380 सीटों पर मतदान हुआ था। आज की सीटों को मिलाकर कुल 429 सीटों पर मतदान पूरा हो चुका है। बाकी 2 चरणों में 114 सीटों पर वोटिंग होनी अभी बाकी है।
जम्मू कश्मीर के बारामूला में अब तक का सबसे ज्यादा मतदान
जम्मू कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट पर अब तक का सबसे ज्यादा मतदान हुआ। वोटर टर्नआउट के मुताबिक यहां 59 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले।
1.22% कम हुआ मतदान
बिहार में पांचवें चरण का चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया है। कुल 55.85 प्रतिशत मतदान हुआ है। 2019 की तुलना में 1.22 फीसदी कम वोटिंग हुई हैं। 2019 के चुनाव में इन पांच सीटों पर 57.07 फीसदी वोटिंग हुई थी।
हैरानी इस बात की है कि इन पांचों सीटों में लगातार हाई वोटिंग वाली सीट रही मुजफ्फरपुर में भी इस बार कम मतदान हुआ है। इस बार यहां 58.10 फीसदी की वोटिंग हुई हैं। जबकि, पिछले चुनाव में यहां 61 फीसदी की वोटिंग हुई थी। हालांकि, लगभग तीन फीसदी की गिरावट के बाद भी पांचों सीटों में सबसे अधिक वोटिंग मुजफ्फरपुर में ही हुई है।
वहीं, अगर सबसे कम मतदान वाली सीट की बात करें तो इस बार मधुबनी में मात्र 52.20 फीसदी की वोटिंग हुई है। पिछली बार यहां 53.72 फीसदी मतदान हुआ था। हाजीपुर में इस बार वोटिंग का ग्राफ पिछली बार की तुलना में ऊपर गया है। 2019 के चुनाव में यहां 55.22 फीसदी हुई थी, जबकि इस बार ये बढ़कर 55.85 फीसदी तक पहुंच गया है।
सारण में इस बार 54.50 फीसदी वोटिंग हुई है, जबकि पिछली बार यहां 56.48 फीसदी हुई थी। मधुबनी में इस बार 52.20 फीसदी वोटिंग हुई है, जबकि पिछली बार यहां 53.72 फीसदी मतदान हुआ था।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि मुजफ्फरपुर, हाजीपुर और मधुबनी की वोटिंग में पिछले साल के बराबर ही वोटिंग हुई है। इसमें बहुत ज्यादा का अंतर नहीं दिखा है। इसी तरह सारण और सीतामढ़ी में वोटिंग पर्सेंटेज का गिरना बता रहा है कि इससे यहां नए कैंडिडेट को लेकर मतदाताओं में ज्यादा उत्साह नहीं दिखा है।
शहरी क्षेत्रों के वोटर्स में मतदान को लेकर उदासीनता
इस बार शहरी इलाकों के वोटर्स में बहुत ज्यादा उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है। स्थिति ये थी कि सुबह के साढ़े 8 बजे मधुबनी प्रशासन की तरफ से शहर के बीच में बनाए गए मॉडल बूथ पर सन्नाटा पसर गया था। जबकि, यहां के दो बूथों पर डेढ़ घंटे में मात्र 45 और 48 लोगों ने मतदान किया था। शहरी वोटर्स में नाराजगी की ये बस बानगी भर थी।
लोकल मुद्दे के कारण बड़ी संख्या में वोट बहिष्कार
पांचवें फेज में वोटिंग पर्सेंटेज में गिरावट का एक बड़ा कारण वोट का बहिष्कार भी रहा है। मुजफ्फरपुर के औराई इलाके समेत कम से कम 4-5 इलाकों में लोगों ने कहीं रोड तो कहीं पुल की मांग को लेकर वोट का बहिष्कार किया है। सारण, मधुबनी और हाजीपुर के भी कई इलाकों से वोट बहिष्कार की सूचना आई। ऐसे में अगर ये बहिष्कार नहीं होता तो वोटिंग पर्सेंटेज की तस्वीर और बेहतर हो सकती थी।
महिलाएं साबित हो सकती है एक्स फैक्टर
इस बार के चुनाव में महिलाएं एक्स फैक्टर साबित हो सकती हैं। सुबह 7 बजे से ही पहले मतदान और फिर जलपान के पंक्ति को चरितार्थ करती हुई महिलाएं दिखाई दे रही थीं। ग्रामीण इलाकों के तो कई बूथों पर महिलाओं की लंबी कतार सुबह से लेकर शाम तक दिखाई दी। हालांकि, ये पूरी तरह से साइलेंट वोटर्स हैं।
पुरुषों की तरह खुलकर अपनी बात नहीं कर रहीं है। ना ये अपने मुद्दे पर खुल कर बात करना पसंद करती हैं और ना ही अपना पसंद जाहिर करती हैं। दैनिक भास्कर ने कई महिलाओं से उनकी राय जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
मौजूदा वोटिंग ट्रेंड पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट
पक्ष-विपक्ष दोनों के समर्थकों ने अग्रेसिव वोटिंग की है। वोटिंग ट्रेंड पर फिलहाल ये कह पाना संभव नहीं है कि इससे किन्हें लाभ मिलेगा और किनका नुकसान होगा। दोनों ही खेमों की तरफ से अग्रेसिव वोटिंग हुई है। हां, ये बात जरूर है कि महिला वोटर्स का फायदा सत्ताधारी दल को होता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके दो बड़े कारण हैं। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई कदम उठाए हैं। इसी की तस्वीर महिला वोटर्स की लंबी लाइन के रूप में दिखाई दे रही है। लगभग सभी इलाकों की यही तस्वीर दिखाई दे रही थी। ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ वोटर्स जरूर बाहर निकल रहे थे, लेकिन यहां के कई भी इलाकों में दोपहर बाद सन्नाटा पसर जा रहा था।
इस बार निर्णायक साबित हो सकता है महिलाओं का साइलेंट वोट
मुजफ्फरपुर के एक्सपर्ट कहते हैं कि महिलाएं अब हर क्षेत्र में आगे निकल रहीं हैं। यही कारण है कि अब वोटिंग के क्षेत्र में भी पीछे नहीं रहना चाहती है। महिलाओं के भीतर महंगाई को लेकर नाराजगी दिखाई दिखी। इनके बीच राम मंदिर या अन्य कोई मुद्दा नहीं है। महिलाओं के वोटर्स निर्णायक साबित हो सकती है। ये चुप्पा वोटर्स किसी भी जाति से ज्यादा बड़ा साबित हो सकती है।
औराई में भाजपा के विधायक हैं और यहीं तीन-चार जगहों पर वोटिंग बहिष्कार भी हुआ है। तो ये साफ दिख रहा है कि यहां सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ एंटी इकंबेंसी का माहौल रहा है। हालांकि, कैंडिडेट के बदलने से भाजपा लीड होते हुए दिखाई दे रही है। बढ़ा हुआ मतदान सरकार के लिए फायदेमंद हो सकता है।
पांचों सीटें 15 साल से एनडीए का गढ़, पिता की विरासत संभालने बेटा-बेटी हैं मैदान में
पांचवें चरण की पांचों सीटें पिछले 15 साल से एनडीए का गढ़ रही है। मुजफ्फरपुर, सारण, मधुबनी से जहां पिछले दो चुनाव से लगातार भाजपा जीतते आ रही है तो सीतामढ़ी की सीट पिछले तीन चुनाव में दो बार जदयू और एक बार रालोसपा के हिस्से में रही है।
वहीं, हाजीपुर की सीट पर रामविलास पासवान के लोजपा का एकछत्र राज रहा है। अब इन सभी सीटों पर बच्चे अपने पिता की विरासत बचाने की जंग लड़ रहे हैं।
मधुबनी भाजपा का गढ़, पिता-पुत्र की जोड़ी रही है सफल
मधुबनी सीट पिछले 15 वर्षों से भाजपा का गढ़ रहा है। 2009 से 2019 तक भाजपा के टिकट पर यहां लगातार पिता-पुत्र की जोड़ी जीतते आ रही है। 2009 से 2014 तक जहां हुकमदेव नारायण यादव जीते तो 2019 में उनके बेटे अशोक यादव बिहार में सर्वाधिक वोट से यहां से जीतने में सफल रहे थे।
सीतामढ़ी में 15 साल से एनडीए का कब्जा
सीतामढ़ी सीट की बात करें तो पिछले तीन चुनाव में दो बार यहां से जदयू जीती है। 2009 में यहां जदयू के टिकट पर अर्जुन राय जीते थे। जबकि, 2019 के चुनाव में सुनील कुमार पिंटू जीतने में सफल रहे थे। 2014 में यहां एनडीए के राम कुमार कुशवाहा रालोसपा के टिकट पर जीतने में सफल रहे थे।
हाजीपुर में रामविलास पासवान का सिक्का चला है
हाजीपुर सीट को रामविलास पासवान का गढ़ रहा है। 1977 से 2019 के बीच अगर दो चुनाव को छोड़ दें तो यहां से रामविलास पासवान या उनके परिवार का कोई सदस्य ही सांसद बना है। 2009 में यहां जदयू के राम सुंदर दास सांसद बने थे। पहली बार रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान यहां से चुनाव लड़ रहे हैं।