मधुबनी लोकसभा क्षेत्र के जाले प्रखंड की बूथ संख्या 116 बेलवाड़ा गांव में और सिंघवारा के चमनपुर मतदान केंद्र संख्या 75 पर लोगों ने वोट का बहिष्कार किया है। सड़क की मांग को लेकर मतदाता बहिष्कार कर रहे हैं। इधर, बिस्फी में बूथ नंबर 148,149,150 पर फर्जी वोटिंग मामले में पुलिस ने एक युवक को हिरासत में लिया है। मतदान केंद्र से पुलिस आरोपी युवक को लेकर गई है।
मधुबनी के कई इलाकों में बारिश भी हो रही है। इस बीच मतदाता वोटिंग करने के लिए मतदान केंद्रों पर पहुंच रहे हैं। मेयर अरुण राय ने भी मतदान किया है। महिलाओं में वोटिंग को लेकर काफी उत्साह नजर आ रहा है। बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंच रही हैं। दोपहर 3 बजे तक 43.76% फीसदी वोटिंग हुई है।
पांचवें चरण के लिए आज सुबह 7:00 बजे से वोटिंग शुरू हो गई । इसको लेकर प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी कर ली गई है। वहीं सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी सभी बूथों पर पैरा मिलिट्री फोर्स और पुलिस जवानों की तैनाती की गई है। चुनाव को लेकर कई जगहों पर कंट्रोल रूम बनाए गए है। हर केंद्र पर पैनी नजर रखी जा रही हैl
पांचवें चरण के लिए आज सुबह 7:00 बजे से वोटिंग शुरू हो गई । इसको लेकर प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी कर ली गई है। वहीं सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी सभी बूथों पर पैरा मिलिट्री फोर्स और पुलिस जवानों की तैनाती की गई है। चुनाव को लेकर कई जगहों पर कंट्रोल रूम बनाए गए है। हर केंद्र पर पैनी नजर रखी जा रही हैl
मतदान की प्रकिया शाम 6:00 बजे तक चलेगीl मधुबनी लोकसभा क्षेत्र में हरलाखी विधानसभा में 301, बेनीपट्टी विधानसभा में 307, बिस्फी विधानसभा में 333, मधुबनी विधानसभा में 364 ,केवटी विधानसभा में 305 और जाले विधानसभा में 329 केंद्र बनाए गए है। कुल मतदान केंद्रों की संख्या 1939 है और इसमें 176 क्रिटिकल और 34 बेहद क्रिटिकल मतदान केंद्र है l
जिला के 4 विधानसभा क्षेत्रों में कुल पुरुष मतदाताओं की संख्या 682573 और महिला मतदाताओं की कुल संख्या 623194 और अन्य मतदाताओं की संख्या 79 है। वही दरभंगा जिला के 2 विधानसभा क्षेत्रों में कुल पुरुष मतदाताओं की संख्या 331838 , महिला मतदाताओं की संख्या 297284 और अन्य मतदाताओं की संख्या 12 है l चुनाव को सफल बनाने के लिए पूरी सुरक्षा के साथ ईवीएम मशीन को सभी बूथ पर भेजा जा रहा हैl
मधुबनी लोकसभा सीट ………………..
मधुबनी लोकसभा सीट पर लालू के प्रयोग से भाजपा का रास्ता साफ हो गया है। साल 2029 के लोकसभा चुनाव में लगभग साढ़े 4 लाख वोटों से जीत दर्ज कराने वाले भाजपा के अशोक यादव इस बार भी कमल खिलने का दावा कर रहे हैं।
महागठबंधन के कैंडिडेट अली अशरफ फातमी लालू के प्रयोग माने जा रहे हैं। महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हाेने से पहले ही आरजेडी ने उन्हें मधुबनी का कैंडिडेट बनाया था।
एमवाई समीकरण साधने के लिए लालू यादव ने बड़ा प्रयोग किया था, लेकिन एम तो जुड़ा वाई में बिखराव कैंडिडेट को कमजोर कर रहा है।
पहले जानिए बाप बेटे की कहानी
मधुबनी लोकसभा सीट पर अशोक कुमार यादव भाजपा के मौजूदा सांसद हैं। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अशोक कुमार यादव ने विकासशील इंसान पार्टी के कैंडिडेट बद्री कुमार पूर्बे को 454940 वोटों से हराया था। भाजपा ने दूसरी बार उन्हें कैंडिडेट बनाया है।
अशोक यादव के पिता हुकुमदेव नारायण इस सीट पर सबसे अधिक 5 बार सांसद रहे हैं। इसके पहले 2014 में अशोक के पिता ने पांचवीं बार जीत दर्ज की थी। साल 2014 में हुकुमदेव नारायण ने अब्दुल बारी सिद्दीकी को हराया था।
जातीय समीकरण में ऐसे फिट हो गए अशोक
सीनियर जर्नलिस्ट लव कुमार मिश्रा बताते हैं, मधुबनी में ब्राह्मण वोटों की संख्या बहुत अधिक है। इसके बाद यादव वोटर्स आते हैं। वहीं अतिपिछड़ा वोटर्स की संख्या भी लगभग 6 लाख के आसपास हैं, जबकि दलित भी लगभग दो लाख की संख्या में हैं।
एनडीए से भाजपा कैंडिडेट अशोक कुमार यादव के लिए मोदी का फैक्टर तो सबसे अधिक काम करता है, दूसरा नंबर जातीय समीकरण का आता है।
यादव राजद के कोर वोटर्स हैं, लेकिन भाजपा के यादव कैंडिडेट के कारण इसमें बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण हो जाता है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है, जिसका सीधा फायदा अशोक यादव को हो रहा है।
2019 में जीत के वोटों के अंतर से समझिए गणित
सीनियर जर्नलिस्ट प्रोफेसर चंद्र शेखर झा आजाद कहते हैं, इस बार भी मधुबनी में एनडीए और महागठबंधन का सीधा मुकाबला है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए कैंडिडेट अशोक यादव ने साढ़े 4 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी।
हालांकि इस बार साल 2019 वाली परिस्थितियां नहीं हैं, लेकिन फिर भी यहां मोदी का फैक्टर भारी है। जीत के लिए इतने वोटों का अंतर कवर करना महागठबंधन के लिए आसान नहीं होगा। इस बार मार्जिन कम हो सकता है, लेकिन जीत की तरफ अशोक यादव ही बढ़ रहे हैं।
परिस्थितियां बदली, लेकिन जीता का आधार नहीं
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वोटिंग राष्ट्रीयता के नाम पर हुई थी। हर वर्ग हर जाति के लोगों ने एक तरफा वोट किया था। सीनियर जर्नलिस्ट प्रोफेसर चंद्र शेखर झा आजाद का मानना है कि आज की मौजूदा परिस्थितियां वैसी नहीं हैं।
जहां तक जातीय समीकरण की बात है तो मुसलमान, यादव और ब्राह्मणों की संख्या अधिक है। इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को दो वर्गों का वोट लगभग तय माना जा रहा है। लेकिन अगड़ी और ऊंची जाति के लोगों का वोट भाजपा को ही जाएगा।
अब जो बीच की जातियां हैं, जो पिछली बार भी अधिकांश संख्या में भाजपा वोट की थी, वह इस बार भी भाजपा की तरफ ही दिख रही हैं। यह वोट जिसको मिलेगा उसी के सिर जीत का ताज होगा।
इसकी पूरी संभावना है कि इस बार भी यह वोट एनडीए के खाते में ही आएगा। इसी आधार पर ऐसा माना जा रहा है कि अशोक यादव मधुबनी में फिर कमल खिलाएंगे।
कैंडिडेट चयन में जल्दबाजी
एक्सपर्ट का मानना है कि अगर महागठबंधन ने कैंडिडेट के चयन में थोड़ी गंभीरता दिखाई होती तो यहां का चुनावी गणित बदल सकता था।
लालू यादव ने महागठबंधन में मंथन के पहले ही अपना कैंडिडेट घोषित कर दिया था। जातीय समीकरण और एनडीए के कैंडिडेट अशोक यादव के विरोध पर मंथन के बाद कैंडिडेट सिलेक्ट किया गया होता तो निश्चित तौर पर रिजल्ट बदल सकता था।
जर्नलिस्ट कुमार अवधेश कहते हैं, राजद ने एमवाई समीकरण पर काम तो किया, लेकिन यह ध्यान नहीं दिया कि एनडीए का कैंडिडेट भी यादव वर्ग से है। ऐसे में वोटों का ध्रुवीकरण होना ही है। इसके साथ पिछड़े और दलित मतदाता भी एनडीए की तरफ हैं। यह स्थिति महागठबंधन के कैंडिडेट के पक्ष में कहीं से नहीं है।
वहीं जर्नलिस्ट प्रशांत झा कहते हैं कि गांवों में मौजूदा सांसद का भारी विरोध है, इसका अच्छा रिजल्ट महागठबंधन को मिल सकता था, लेकिन कैंडिडेट का समीकरण ही जल्दबाजी वाला है।
ऐसे में यह बात साफ है कि इस बार भी इसका पूरा लाभ भाजपा को ही मिलने जा रहा है। क्योंकि भाजपा के पास इस बार राम मंदिर, मोदी और कास्ट का फैक्टर काम कर रहा है