सीवान में इस बार लोकसभा चुनाव का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। सीवान के बाहुबली और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब भी सीवान सीट से मैदान में हैं। उन्होंने राजद से नाता तोड़कर अपनी अलग राह चुन ली है। इस बार वह निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। हिना का कहना है कि लालू यादव से उनकी बात कहीं नहीं बिगड़ी है। उन्होंने इस बार बस मन बना लिया था कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी।
उनके पति मोहम्मद शाहबुद्दीन ने राजद पार्टी के लिए बहुत त्याग किया है। इसलिए जब पार्टी के संस्थापक उनके पति मोहम्मद शाहबुद्दीन ही नहीं रहे तो फिर लालू यादव से दूरी और नजदीकी किस बात की।
सवाल- आपका चुनाव प्रचार कैसा चल रहा है? लोगों का कैसा समर्थन मिल रहा है?
जवाब- लोगों का समर्थन बेमिसाल, लाजवाब मिल रहा है।
सवाल- आपको निर्दलीय चुनाव लड़ने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी?
जवाब- ऐसी कोई ज़रूरत नहीं पड़ी। हम लोग कई बार दल से लड़े। जो दल था वह डॉ. मोहम्मद शाहबुद्दीन साहब का था।
सवाल- इससे पहले आप लालू यादव की पार्टी से जुड़ी हुई थीं। क्या लालू यादव ने आपसे संपर्क किया था? क्या कुछ बात हुई थी?
जवाब- वह अगर लालू यादव की पार्टी थी तो डॉ. मोहम्मद शाहबुद्दीन साहब की भी पार्टी थी। उन्होंने भी इस पार्टी के लिए बहुत त्याग दिया है।
सवाल- लालू यादव से दूरी की आखिर क्या वजह है?
जवाब- जब पार्टी के संस्थापक डॉ. मोहम्मद शाहबुद्दीन साहब ही नहीं रहे तो फिर दूरी और नजदीकी किस बात की।
सवाल- लालू यादव से बात आखिर कहां बिगड़ी?
जवाब- लालू यादव से बात कहीं नहीं बिगड़ी है। बस हम लोगों ने इस बार मन बना लिया था कि हम लोग निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।
सवाल- ऐसी भी चर्चा है कि आपको राजद की तरफ से लड़ने का ऑफर दिया गया था, लेकिन आपने इनकार कर दिया। इस पर आप क्या कहेंगी ?
जवाब- जब हम लोगों ने मन बना लिया था कि निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे, तो यह बात बीच में आती ही नहीं है। हम लोगों ने सीवान जिले के एक-एक भाई-बंधु को अपना परिवार माना है।
सवाल- क्या आपको डर था कि राजद का ठप्पा लगने से आपको गैर यादव और गैर मुस्लिम वोट नहीं मिलते।
जवाब- ऐसी कोई डरने वाली बात नहीं थी। अगर हम लोग डर वाले रहते, तो चुनाव में आते ही नहीं।
सवाल- चर्चा यह भी थी कि आपको टिकट के लिए जदयू से भी ऑफर आए थे।
जवाब- मैं कहीं भी टिकट लेने नहीं गई हूं।
सवाल- आप अपने चुनावी दौरे के दौरान माता की चुनरी ओढ़े हुए दिखाई दी थी। आपको चुनरी क्यों ओढ़नी पड़ी? क्या आप कुछ मैसेज देना चाह रहीं थीं ?
जवाब- मैं कोई भी मैसेज देना नहीं चाह रही थी। मुझे जो मैसेज देना था कि मैं निर्दलीय प्रत्याशी हूं। सीवान जिले के जितने भी हमारे भाई-बंधु हैं, धर्म-जाति से उठकर सब मेरे अपने हैं, मेरा परिवार हैं।
सवाल- साहेब के जाने के बाद जिंदगी कैसे बदली?
जवाब- उनके जाने के बाद जिंदगी बहुत बदली है। उनकी कमियां खल रही हैं, जिसकी पूर्ति कोई नहीं कर सकता है। यह अलग बात है कि हमारे सीवान के लोगों ने मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा है। हमेशा मुझे संभालने, हौसला देने, चुनाव लड़ने में उनका सहयोग रहा है, इसलिए आज मैं चुनावी मैदान में हूं।
सवाल- जो शहाबुद्दीन लोगों के साथ न्याय करते थे, क्या उनके परिवार के साथ कोई अन्याय हो रहा है क्या?
जवाब- हमारे साथ कोई अन्याय नहीं हो रहा है। इस बार हम लोगों ने पहले ही मन बना लिया था। सभी लोगों के सामने मैं बहुत पहले ही बोल चुकी थी कि अगर मैं चुनाव लड़ूंगी तो निर्दलीय लड़ूंगी।
सवाल- AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि अगर आप निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी तो वह आपको सपोर्ट करेंगे, इसमें आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब- हमारी उनसे कोई बातचीत नहीं हुई है।
सवाल- पप्पू यादव ने भी कहा था कि वह मरते दम तक आपके साथ खड़े रहेंगे। वह भी आपका सपोर्ट कर रहे हैं। इसपर क्या कहेंगी आप?
जवाब- पप्पू यादव की अलग बात है। पप्पू यादव शाहबुद्दीन को बहुत ही दिलों-जान से चाहते हैं। वह मेरे परिवार के एक तरह से सदस्य हैं।
सवाल- सीवान में आपका मुकाबला किसके साथ है? एनडीए की विजयलक्ष्मी या फिर महागठबंधन के अवध बिहारी चौधरी?
जवाब- मेरा मुकाबला किसी के साथ नहीं है।
सवाल- आप तीन बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन एक बार भी जीत हासिल नहीं की। क्या लगता है की इस बार जीत आपकी होगी?
जवाब- जीत हार से कभी घबराना नहीं चाहिए। जितनी भी बातें हुईं मैं उतनी मजबूत हुई। उसी मजबूती का नजारा सीवान में दिख रहा है कि सभी भाई-बंधु हमारे अपने सहयोगी के रूप में खड़े हैं और सभी बड़े लोग गार्जियन के रूप में मेरा सहयोग कर रहे हैं।