पूरे देश में अभी लोकसभा का चुनाव हो रहा है. जहां चौथे चरण का चुनाव भी हो चुका है. वहीं, बक्सर सीट से दो निर्दलीय प्रत्याशी के चुनाव लड़ने से एनडीए और महागठबंधन के राजनीतिक समीकरण बिगड़ गए हैं. बता दें कि कभी लालू यादव के हनुमान कहे जाने वाले ददन पहलवान ने बक्सर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र भरा है. इस वजह से घटक दलों में बेचैनी बढ़ी हुई है. वहीं, चुनावी जंग को लेकर ददन पहलवान ने कहा कि जब जगतानंद सिंह को मैंने रामगढ़ में पहले शिकस्त दी है. उनसे ज्यादा मैंने वोट रामगढ़ में लिया था. तो अब उनका बेटा क्या चुनाव जीत पाएगा?
सुधाकर सिंह को बताया भाजपाई
ददन पहलवान ने कहा कि राजपूत जाति के लोग सुधाकर सिंह को वोट इस बार नहीं कर रहे हैं. सुधाकर सिंह तो शुद्ध भाजपाई हैं. वहीं, यादव जाति के लोग इस बार मुझे वोट कर रहे हैं. सुधाकर सिंह तो रामगढ़ में यादव, कोईरी और ब्राह्मण की निजी जमीन को तालाब कटवा कर कब्जा कर लिया है. वहीं, उन्होंने एनडीए प्रत्याशी के बारे में कहा कि वह नेपाल के तराई से बक्सर में आए हैं, जो यहां के लोगों को नहीं जानते. यहां के गांव के बारे में नहीं जानते. यह तो बाबा का चेला है. वहीं, अश्विनी चौबे कई ग्रामीण इलाकों में अपने फंड से काम तक नहीं कराए हैं.
एसजेवीएन पावर प्लांट में आंदोलन कर रहे किसान इस बार वोट का बहिष्कार किए हुए हैं. इस पर उन्होंने कहा कि जो प्लांट का कमीशन खाएगा वह किसानों के हित में नहीं सोचेगा. उन्हें सिर्फ चुनाव के वक्त ही किसान और जनता याद आती है. बाकी तो ऐसी और सुविधा में मगन रहते हैं. हम तो जब उसे इलाके में जाते हैं हमेशा मिलते हैं.
कई बार रह चुके हैं विधायक
बता दें कि ददन पहलवान ने तीन बार निर्दलीय और एक बार जदयू के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ददन पहलवान 2004 में चुनाव जीते थे. उसके बाद 2009 में फिर 2014 में भी निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं. तीनों बार चुनाव लड़ने के बाद उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्हें दूसरे या तीसरे स्थान पर वोट मिला था. वहीं, ददन पहलवान यादव तीन बार लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं. इसमें भी हार का सामना करना पड़ा था.
बक्सर सीट पर क्या है जातीय समीकरण?
इस बार ददन पहलवान के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आने से बक्सर का राजनीतिक समीकरण बदल गया है. बक्सर लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या चार लाख से अधिक है. जहां यादव वोटर 3.5 लाख के करीब हैं. वहीं, राजपूत की संख्या 3 लाख है तो भूमिहार मतदाता ढाई लाख हैं. मुसलमान की आबादी करीब डेढ़ लाख है. वैश्य, कुशवाहा, कुर्मी, दलित और अन्य जातियां भी यहां पर अच्छी खासी है.
बीजेपी ने अश्विनी चौबे का काटा टिकट
बता दें कि बक्सर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का टिकट काटकर एनडीए से मिथिलेश तिवारी चुनावी मैदान में हैं. वहीं, महागठबंधन से इस बार राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को बक्सर लोकसभा से चुनाव लड़ाया जा रहा है. इसके अलावे बसपा से अनिल कुमार चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं तो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा और ददन पहलवान यादव के मैदान में आने से यहां का राजनीतिक समीकरण बदल चुका है. जहां ददन पहलवान राजद का समीकरण बिगाड़ रहे हैं, तो वहीं, आनंद मिश्रा की वजह से बीजेपी की परेशानी बढ़ गई है.