भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी की पहचान जुझारू नेता प्रतिपक्ष के रूप में भी रही। भ्रष्टाचार के विरोध में सबसे बुलंद आवाज। जिस दौर में बिहार हत्या लूट और अपहरण के लिए कुख्यात था, उस समय सुशील कुमार मोदी सदन से सड़क तक विपक्ष की निडर आवाज रहे।
स्कूटर पर घूमते सुशील मोदी के कई किस्से उस दौर के नेता- पत्रकार जानते हैं। वह सचमुच बिहार भाजपा के शांत सियासी योद्धा थे। बिहार में क्रेडिट लेने वाले नेताओं की भीड़ से सुशील कुमार मोदी अलग थे।
उन्होंने बदलाव के लिए काम तो किया मगर क्रेडिट पर दावा कभी नहीं किया। बिहार में बदलाव लाने के लिए हमेशा नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी की जोड़ी को याद किया जाएगा।
साइलेंट वॉरियर थे सुशील मोदी
सुशील इस बदलाव के साइलेंट वाॅरियर थे। नीतीश कुमार की राजग में दोबारा वापसी में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उस समय महागठबंधन की सरकार में लालू परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्होंने कई मामले उजागर किए थे। इसको लेकर लगातार प्रेस वार्ता भी की थी। नतीजा, सरकार अस्थिर हुई और राजद से नाता तोड़ नीतीश वापस भाजपा के साथ आ गए।
गौरतलब है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी ने सोमवार देर रात अंतिम सांस ली। वह कैंसर से जूझ रहे थे और दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था। वह 72 साल के थे। उनके निधन की खबर मिलने के बाद से सियासी गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है। पीएम मोदी ने भी उनके निधन पर शोक जताया है।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई नेताओं ने गहरा शोक जताया
सुशील कुमार मोदी के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव समेत कई नेताओं ने गहरा शोक जताया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है, ”पार्टी में अपने मूल्यवान सहयोगी और दशकों से मेरे मित्र रहे सुशील मोदी जी के असामयिक निधन से अत्यंत दुख हुआ है. बिहार में भाजपा के उत्थान और उसकी सफलताओं के पीछे उनका अमूल्य योगदान रहा है. आपातकाल का पुरज़ोर विरोध करते हुए, उन्होंने छात्र राजनीति से अपनी एक अलग पहचान बनाई थी.”
“वे बेहद मेहनती और मिलनसार विधायक के रूप में जाने जाते थे. राजनीति से जुड़े विषयों को लेकर उनकी समझ बहुत गहरी थी. उन्होंने एक प्रशासक के तौर पर भी काफ़ी सराहनीय कार्य किए. जीएसटी पारित होने में उनकी सक्रिय भूमिका सदैव स्मरणीय रहेगी. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं.
सुशील मोदी जेपी आंदोलन की उपज माने जाते थे. उनकी छात्र राजनीति की शुरुआत साल 1971 में हुई. उस वक़्त वो पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ की 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य निर्वाचित हुए. 1973 में वो महामंत्री चुने गए.
उस वक़्त पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और संयुक्त सचिव रविशंकर प्रसाद चुने गए थे.
भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतकार और संघ विचारक रहे केएन गोविंदाचार्य को सुशील कुमार मोदी का मेंटर माना जाता है.
उन्होंने बीबीसी से बातचीत में एक बार कहा था, ”मैंने सुशील मोदी को 1967 से देखा है. उस वक़्त भी आप उनके व्यक्तित्व को अलग से नौजवानों की भीड़ में चिह्नित कर सकते थे. सादगी, मितव्ययिता, किसी काम को बहुत केन्द्रित और अनुशासित होकर करना उनकी ख़ासियत थी.”
जेपी आंदोलन के प्रभाव में आने के बाद उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन में पटना विश्वविद्यालय में दाख़िला लेकर पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. आपातकाल में वे 19 महीने जेल में रहे. 1977 से 1986 तक वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर रहे.
- 1990 में सुशील कुमार मोदी ने पटना केन्द्रीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे.
- 1995 और 2000 का भी चुनाव वो इसी सीट से जीते.
- साल 2004 में उन्होंने भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था.
- साल 2005 में उन्होंने संसद सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया और विधान परिषद के लिए निर्वाचित होकर उपमुख्यमंत्री बने.
- साल 2005 से 2013 और फिर 2017 से 2020 के दौरान वो बतौर उपमुख्यमंत्री अपनी भूमिका निभाते रहे. इस दौरान वो पार्टी में भी अलग-अलग दायित्व संभालते रहे.
- दिसंबर, 2020 में उन्हें पार्टी ने राज्यसभा भेजा.
इस साल फ़रवरी में सुशील मोदी का राज्यसभा का कार्यकाल ख़त्म हुआ था. अपने विदाई भाषण में उन्होंने मौक़ा देने के लिए पार्टी की तारीफ़ की थी.
उन्होंने कहा था, ”देश में बीजेपी के बहुत कम ऐसे कार्यकर्ता होंगे, जिनको पार्टी ने इतना मौक़ा दिया है. मुझे देश के चारों सदनों में रहने का मौक़ा मिला है. मैं तीन बार विधायक, एक बार लोकसभा, 6 साल तक विपक्ष का नेता बिहार विधानसभा में, 6 साल तक विधान परिषद में विपक्ष का नेता रहने का मौक़ा मिला है. और बिहार के अंदर क़रीब 12 साल तक नीतीश कुमार के साथ भी काम करने का मौक़ा मिला है.”
“मुझे पार्टी के अंदर प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर भी काम करने का मौक़ा मिला है. राजनीति में कोई आदमी ज़िंदगी भर काम नहीं कर सकता है लेकिन सामाजिक तौर पर आजीवन काम कर सकता है. मैं संकल्प लेता हूं कि जीवन के अंतिम क्षण तक मैं सामाजिक कार्य करता रहूंगा.”
इस भाषण के आख़िर में उन्होंने बजट भाषण को दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में कराने की सलाह दी थी.
समय से आगे चलने वालों में से एक थे सुशील मोदी
सुशील कुमार मोदी के जानने वाले उन्हें समय से आगे रहने वालों में से एक मानते हैं. सुशील कुमार मोदी के हाथ में टैबलेट उस वक़्त देखा गया, जब राज्य के बहुत सारे नेताओं के लिए ये किसी अजूबे जैसा था.
सुशील मोदी के साथ लंबे समय तक काम करने वाले वरिष्ठ पत्रकार राकेश प्रवीर ने बीबीसी से बातचीत में बताया था कि कैसे 1995 में भी उनके पास ताइवान का एक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट था, सुशील मोदी अपने रोज़ाना के काम को उसमें दर्ज करते थे.
सुशील कुमार मोदी ने अंतरधार्मिक शादी की थी. ट्रेन से एक लंबे सफ़र में उनकी मुलाक़ात जेसी जॉर्ज से हुई थी और 1987 में दोनों ने शादी कर ली.
आशीर्वाद देने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख और कर्पूरी ठाकुर भी शादी में शरीक हुए थे. उनके दो बेटे हैं.