बिहार में चौथे चरण का चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया है। कुल 56.85 प्रतिशत मतदान हुआ है। हालांकि, 2019 की तुलना में 2.35 फीसदी कम वोटिंग हुई है। 2019 के चुनाव में इन पांच सीटों पर 59.20 फीसदी वोटिंग हुई थी।
वहीं, अगर सीट वार बात करें तो सबसे अधिक बेगूसराय में 58.40 फीसदी मतदान हुआ है। यहां पिछले चुनाव में 62.29 फीसदी वोटिंग हुई थी। सबसे कम मुंगेर में 55% मतदान हुआ है। यहां पिछले चुनाव में 59.20 फीसदी मतदान हुआ था।
उजियारपुर में 56 फीसदी वोटिंग
दरभंगा में 56.63 फीसदी वोटिंग हुई है, जहां पिछले चुनाव में 58.19 फीसदी मतदान हुआ था। उजियारपुर में 56 फीसदी वोटिंग हुई है, 2019 के चुनाव में 60 फीसदी हुई थी। वहीं, समस्तीपुर में 58.10 फीसदी मतदान हुआ है, पिछले चुनाव में यहां 60.63 फीसदी वोटिंग हुई थी।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की माने तो इस वोटिंग पर्सेंटेज का लाभ एनडीए को मिल सकता है। चौथे चरण की पांचों सीट एनडीए का गढ़ रही है। पिछले 15 साल से सभी चुनाव में यहां से एनडीए के कैंडिडेट ही जीतते आ रहे हैं। ऐसे में ये वोटिंग पर्सेंटेज इस बात के संकेत हैं कि एनडीए एक बार फिर से अपना गढ़ बचाने में कामयाब हो सकती है।
इन वोटिंग पर्सेंटेज को देखे तो पिछले चुनाव की तुलना में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है। हालांकि, ये इस बात का संकेत जरूर है कि मतदाताओं में कैंडिडेट को लेकर उत्साह की कमी है।
वोटिंग ग्राफ सुधारने के लिए नेताओं ने लगाई थी ताकत
पहले और दूसरे चरण में जिस तरीके से वोटिंग पर्सेंटेज लगातार गिर रहा था, इससे नेताओं को ये अनुमान लगा पाना मुश्किल हो रहा था कि ये किसके लिए नुकसानदेह हो सकता है। तीसरे चरण की वोटिंग में जहां मौसम और महिलाओं ने गिरते पर्सेंटेज को संभाला तो वहीं चौथे चरण में नेताओं ने वोटिंग पर्सेंटेज को सुधारने में पूरी ताकत लगा दी थी।
फील गुड फील नहीं करने का दे रहे थे मैसेज
इस चुनाव में नेता वोट मांगने के साथ-साथ सभी मतदाताओं से मतदान केंद्र पहुंचने की अपील कर रहे थे। खास कर एनडीए के नेता लगातार अपने समर्थकों को फील गुड से बाहर निकलने की अपील कर रहे थे। उन्हें डर था कि कही उनके समर्थक बूथ तक नहीं पहुंचे तो इसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
वोटिंग ग्राफ को दुरुस्त करने में महिलाओं की अहम भूमिका
वोटिंग ग्राफ को दुरुस्त करने में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। पिछले दो चरणों से लगातार बूथों पर महिलाओं की लंबी कतार देखने को मिल रही है। इस बार जिन इलाके में वोटिंग हो रही थी, उनमें कई ऐसे इलाके शामिल थे, जहां पलायन बड़ा मुद्दा नहीं था। लेकिन, बूथों पर पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की लंबी कतार दिखी। एक्सपर्ट कहते हैं कि इसका सीधा असर वोटिंग के ग्राफ पर दिख रहा है।
पीएम समेत बड़े नेताओं का मैसेज काम आया
चौथे चरण की वोटिंग की पूर्व संध्या पर पीएम मोदी ने पहली बार बिहार की राजधानी पटना में रोड शो किया। वे दो किलोमीटर तक पटना में घूमे। राजधानी में इस रोड शो का सीधा असर वोटिंग के सभी सीटों पर पड़ा। पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि केवल पीएम मोदी ने ही नहीं, बल्कि तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, सीएम नीतीश कुमार समेत सभी बड़े नेताओं ने सभाएं और रोड शो किए हैं। वोटिंग पर्सेंटेज बढ़ने का ये भी एक बड़ा कारण रहा है।
दरभंगा में कांटे की टक्कर
दरभंगा में मौजूदा सांसद गोपाल जी ठाकुर और ललित कुमार यादव के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। दरभंगा के स्थानीय पत्रकार आकिब शेख बताते हैं कि इस बार के वोटिंग ट्रेंड से सीटिंग सांसद को नुकसान हो सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण है गोपाल जी ठाकुर के खिलाफ लोगों में नाराजगी। अगर वे जीतते हैं तो जीत का अंतर बेहद कम रहेगा।
वहीं, दरभंगा के वरिष्ठ पत्रकार राजीव कहते हैं कि वोट देने पहुंची महिलाओं का रुझान एनडीए की तरफ रहा है। चाहे वह किसी भी धर्म और जाती की क्यों नहीं हो।
वोटिंग पर्सेंटेज के पैटर्न पर आकिब कहते हैं कि गर्मी की वजह से कमी रही है। जिला प्रशासन ने दावा किया था कि हर बूथ पर मतदाताओं के लिए बेहतर व्यवस्था की जाएगी, लेकिन हकीकत कुछ और ही था।
दरभंगा बीजेपी का गढ़, वोटिंग बढ़ने-घटने का नहीं हुआ है असर
दरभंगा में 2019 में 58.35 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो 2014 की तुलना में लगभग 3 फीसदी ज्यादा थी। इस चुनाव में भाजपा के गोपाल जी ठाकुर ने राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी को लगभग 2 लाख 68 हजार वोटों से हराया था।
इसी तरह 2014 में यहां 55.45 फीसदी की वोटिंग हुई थी, जो 2009 की तुलना में 14 फीसदी से ज्यादा थी। इस चुनाव में बीजेपी के कीर्ति आजाद ने राजद के अली अशरफ फातमी को 35 हजार वोटों से हराया था।
2009 के चुनाव में दरभंगा में 41.75 फीसदी की वोटिंग हुई थी, इस चुनाव में भाजपा के कीर्ति आजाद ने राजद के अली अशरफ फातमी को 46 हजार वोटों से हराया था।
उजियारपुर में एनडीए को एंटी इनकंबेंसी का हो सकता है नुकसान
उजियारपुर संसदीय क्षेत्र में पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार कम वोट पड़े हैं। कम वोट प्रतिशत होने पर एनडीए प्रत्याशी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। उजियारपुर के वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि इस बार उजियारपुर संसदीय क्षेत्र में एक नया समीकरण देखने को मिला है।
एक खास वर्ग के लोग स्थानीय कारणों के कारण एनडीए प्रत्याशी से नाराज चल रहे थे। इसका असर वोट पर भी देखने को मिला, जिसका असर रिजल्ट पर भी पड़ेगा। हालांकि, मतदान केंद्रों पर महिलाओं की संख्या हर जगह अधिक देखने को मिली है। माना जाता है कि बिहार में शराबबंदी के बाद महिला वोटर एनडीए के साथ रही है।
2009 से एनडीए का अभेद किला रहा है उजियारपुर
उजियारपुर में 2009 में 60.15 फीसदी की वोटिंग हुई थी, जो 2014 के 60.22 फीसदी के लगभग बराबर थी। इस चुनाव में यहां भाजपा के नित्यानंद राय ने आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा को 2 लाख 77 हजार वोट से हराया था।
2014 के चुनाव में यहां 60.22 फीसदी वोटिंग हुई, जो 2009 की तुलना में लगभग 16 फीसदी अधिक की वोटिंग थी। इस चुनाव में बीजेपी के नित्यानंद राय ने राजद के आलोक कुमार मेहता को 60 हजार वोटों से हराया था।
2009 के चुनाव में उजियारपुर में 45.89 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में जदयू की अश्वमेध देवी 25 हजार वोटों से जीतने में सफल रही थी।
समस्तीपुर में एक बार फिर से एनडीए को मिल सकता है लाभ
समस्तीपुर में इस बार लोकल बनाम बाहरी का मुद्दा हावी था। वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि वोट प्रतिशत कम होने से इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को नुकसान हो सकता है। लेकिन, अधिकतर मतदान केंद्रों पर पुरुष से ज्यादा महिला वोटर लाइन में दिखी। माना जा रहा है कि महिलाओं का रुख एनडीए प्रत्याशी के प्रति सॉफ्ट रहा तो यहां मुकाबला नेक टू नेक का होगा।
तीन चुनाव में दो बार एलजेपी के कैंडिडेट जीते हैं
समस्तीपुर में 2019 में 60.74 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो 2014 की तुलना में लगभग 3.5 फीसदी अधिक थी। इस चुनाव में एलजेपी के तत्कालीन नेता रामचंद्र पासवान ने कांग्रेस के अशोक कुमार को 2.51 लाख वोटों से हराया था। बाद में उनके निधन पर यहां से प्रिंस पासवान उपचुनाव जीत कर सांसद बनें।
2014 के चुनाव में यहां 57.38 फीसदी वोटिंग हुई, जो 2009 की तुलना में लगभग 12 फीसदी अधिक की वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में एलजेपी के रामचंद्र पासवान ने कांग्रेस के अशोक कुमार को 6800 वोटों से हराया था।
2009 के चुनाव में समस्तीपुर में 44.54 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में जदयू के उम्मीदवार महेश्वर हजारी एक लाख वोटों से जीतने में सफल रहे थे। तब उन्होंने एलजेपी के रामचंद्र पासवान को हराया था।
बेगूसराय में महिला वोटर्स निर्णायक भूमिका में होगी
बेगूसराय के वरिष्ठ पत्रकार महेश भारती बताते हैं कि वोटिंग पर्सेंटेज कम होने का खामियाजा दोनों कैंडिडेट को भुगतना पड़ सकता है। एनडीए को इसका ज्यादा लाभ मिल सकता है। हालांकि, वे कहते हैं कि इस बार बेगूसराय में जीत-हार का अंतर कम हो सकता है। महिला वोटर्स की संख्या बढ़ने के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार अमित कुमार कहते हैं कि सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं से ज्यादा प्रभावित रही है। ये वोटिंग ट्रेंड हैरान करने वाला परिणाम दे सकता है।
2009 से एनडीए के कब्जे में रहा है बेगूसराय
बेगूसराय में 2019 में 62.63 फीसदी वोटिंग हुई, जो 2014 की तुलना में लगभग 2 फीसदी अधिक थी। इस चुनाव में भाजपा के गिरिराज सिंह ने सीपीआई के कन्हैया कुमार 4.22 लाख वोटों से हराया था।
जबकि, 2014 के चुनाव में यहां 60.31 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो 2009 के चुनाव की तुलना में 10 फीसदी अधिक वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में बीजेपी के भोला सिंह ने राजद के तनवीर हसन को 58 हजार वोटों से जीतने में सफल रहे थे।
2009 के चुनाव में बेगूसराय में 48.75 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में जदयू के मोनाजिर हसन 40 हजार वोटों से जीतने में सफल रहे थे।
मुंगेर में महिला वोटर्स एक्स फैक्टर साबित हो सकती हैं
मुंगेर में इस बार का वोटिंग ट्रेंड पिछले दो चुनाव से बिल्कुल अलग हो सकता है। मुंगेर के स्थानीय पत्रकार की माने तो ये वोटिंग ट्रेंड कई लिहाज से पार्टियों के लिए अलार्मिंग होगा। इस बार यहां वोटिंग के दौरान भी अगड़ा और पिछड़ा बूथों का अंतर साफ दिख रहा था। पिछड़ा वर्ग जहां अपने नेता के साथ अग्रेसिवली खड़ा दिखाई दे रहे थे। वहीं, अगड़ा वर्ग के वोटर्स में उस तरह की उत्सुकता नहीं दिखाई दी।
कई इलाकों के बूथ तो ऐसे थे, जहां एक बूथ पर वोटर्स की लंबी कतार थी। बगल की बूथ पर सन्नाटा पसरा था। इसका सीधा नुकसान मौजूदा सांसद ललन सिंह को हो सकता है। हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार राजेश मिश्रा कहते हैं कि जातियों की गोलबंदी और समीकरण का लाभ एनडीए प्रत्याशी को मिल सकता है, लेकिन मुकाबला कांटे का होगा।
तीन चुनाव में बस एक बार हारे हैं ललन सिंह
मुंगेर में 2019 के चुनाव में 54.90 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो पिछले चुनाव की तुलना में लगभग एक फीसदी अधिक थी। इस चुनाव में जदयू के ललन सिंह ने कांग्रेस की नीलम देवी को 1.26 लाख वोट से हराया था।
2014 में यहां 53.17 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो 2009 की तुलना में लगभग 11.5 फीसदी अधिक था। इस चुनाव में लोजपा की वीणा देवी ने जदयू के ललन सिंह को 1 लाख 10 हजार वोटों से हराया था।
2009 के चुनाव में यहां 41.65 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में जदयू के ललन सिंह एक लाख 89 हजार वोटों से जीतने में सफल रहे थे।