कैंसर वक्त नहीं देता। ये बात एक बार फिर साबित हुई। बिहार की राजनीति के दिग्गज सुशील मोदी ने 3 अप्रैल को सोशल मीडिया एक्स पर कैंसर होने की जानकारी दी थी और उसके 40 दिन बाद उनकी मौत की खबर आयी। लालू यादव और नीतीश कुमार के साथ सुशील मोदी जेपी आंदोलन के बाद बिहार की राजनीति में उभरे त्रिमूर्ति के रूप मे जाने जाते थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े सुशील मोदी ने 1971 में छात्र राजनीति से सियासी करियर की शुरुआत की। युवा नेता के तौर पर उनकी पहचान यूनिवर्सिटी से होते हुए राज्य की राजनीति तक पहुंची। 1990 में विधायक बनने के बाद बिहार की राजनीति में उनका कद लगातार बढ़ता गया। छात्र संघ की राजनीति के दौरान सुशील मोदी की पहचान एक निर्भीक नेता के रूप में रही।
1990 से 2024 तक सुशील मोदी विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा यानी चारों सदनों के सदस्य रहे। 1990 में सुशील मोदी पहली बार पटना मध्य सीट से विधायक बने। इसके बाद 1990 और 1995 में भी इसी सीट पर जीत दर्ज करते रहे। इस दौरान सुशील मोदी बिहार बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।
2004 में भागलपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2005 में लोकसभा से इस्तीफा दिया। विधान परिषद के सदस्य बने और बिहार के डिप्टी सीएम का पद संभाला। 2005 तक लगातार वे इस पद पर बने रहे। 2017 से 2020 तक फिर बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे। दिसंबर 2020 से 2024 तक सुशील मोदी राज्यसभा के सदस्य रहे। उनके निधन पर नेताओं ने गहरा शोक जताया है।
सुशील मोदी जेपी आंदोलन की उपज माने जाते हैं। छात्र राजनीति में उनकी एंट्री 1971 में हुई, जब वे पटना विश्वविद्याल छात्र संघ की 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य बने। 1973 में वे छात्र संघ के महासचिव बने, तब लालू यादव छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये थे और रविशंकर प्रसाद संयुक्त सचिव। 1974 में जेपी आंदोलन में सुशील मोदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
आपातकाल के दौरान वे 19 महीने जेल में भी रहे। फिर 1983 से 86 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रदेश मंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री सहित कई पदों पर रहने के बाद 1983 में उन्हें महासचिव बनाया गया। सुशील मोदी उन नेताओं में शामिल रहे, जो छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति मे आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुख जताया और सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि बिहार में बीजेपी के उत्थान और उसकी सफलताओं के पीछे उनका अमूल्य योगदान रहा है।
बीजेपी को 55 सीटों से 91 तक लाए सुशील मोदी
2005 में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में 55 सीटें जीती थीं। तब जेडीयू ने 88 सीटें जीती थीं। भाजपा ने जदयू के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसमें सुशील कुमार मोदी की अहम भूमिका रही। वे सरकार में नंबर-2 और खुद डिप्टी सीएम बने। 2005 में 55 सीटें जीतने वाली बीजेपी 2010 में 91 सीटों पर पहुंच गई। इस दौरान सुशील कुमार मोदी ही पार्टी और सरकार में बीजेपी का चेहरा थे।
सुशील मोदी बिहार की सियासत का वो चेहरा जिसने राज्य में पार्टी को सत्ता तक पहुंचाया। उन्होंने अपने पिता की जमी-जमाई रेडिमेड कपड़ों के व्यापार की जगह सियासत के संघर्ष को चुना और अपने बूते सत्ता में एक मुकाम हासिल किया।
सुशील मोदी की सत्ता के चारों सदनों विधानसभा, विधानपरिषद, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य बने। अपनी कूटनीति और रणनीति से न केवल भाजपा को सत्ता का सहभागी बनाया बल्कि 2005 से 2013 तक लगातार राज्य के डिप्टी सीएम रहे।
2015 में जब नीतीश कुमार आरजेडी के साथ महागठबंधन में शामिल हो गए तो इस गठबंधन का पतन कर दोबारा एनडीए की सरकार बनाने का क्रेडिट भी सुशील कुमार मोदी को ही दिया जाता है। हालांकि इस दौरान सुशील मोदी ने वो दौर भी देखा जिस पार्टी को उन्होंने ताकत दी, उसी के पोस्टर से उन्हें हटा दिया गया।
स्कूल के दौरान ही आरएसएस से जुड़े
स्कूल के दौरान ही सुशील मोदी आरएसएस से जुड़ गए थे। जब कॉलेज पहुंचे तो यहां उन्होंने छात्र संघ का चुनाव लड़ा। 1973 में पटना यूनिवर्सिटी स्टूडडेंट्स यूनियन के जनरल सेक्रेटरी चुने गए। ये उनके सियासी सफर की औपचारिक शुरुआत थी।
जेपी आंदोलन के दौरान 5 बार जेल गए
1974 में जब जय प्रकाश नारायण ने पटना से केंद्र की इंदिरा सरकार के खिलाफ आंदोलन का आह्वान किया, तब सुशील मोदी पटना यूनिवर्सिटी में M.sc के छात्र थे। जेपी के आह्वान पर उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी और आंदोलन में कूद पड़े। इस दौरान वे 5 बार जेल भी गए। इमरजेंसी के दौरान जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था तो वह 19 महीने तक लगातार जेल में थे।
ABVP के राष्ट्रीय नेता बने
जेपी आंदोलन के बाद 1977 से लेकर 1986 तक मोदी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अलग-अलग पद पर रहे। इस दौरान उन्हें स्टेट ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी, ऑल इंडिया सेक्रेटरी, इंचार्ज यूपी एंड बिहार और ऑल इंडिया जनरल सेक्रेटरी भी बनाया गया।
1990 में पहली बार विधायक बने
1990 में सुशील मोदी सुशील मोदी मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में आ गए। 1990 में वे पहली बार ‘पटना सेंट्रल’ विधानसभा (अब कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र) से चुनाव लड़े और जीत गए। इसके बाद 1995 और फिर 2000 में लगातार यहां से तीन बार विधायक बने। इस बीच 1996 से 2004 तक बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।