पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को पटना में रोड शो किया। जैसी उम्मीद थी, रोड शो का रेस्पांस भी वैसा ही रहा। इसे बिहार में मोदी का मेगा इवेंट भी कह सकते हैं। चूकि एनडीए ने रोड शो का आयोजन किया था, इसलिए उसके घटक दलों की भागीदारी तो होनी ही थी। जेडीयू भी एनडीए में शामिल है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी पीएम के साथ रोड शो में शामिल थे। मोदी के रोड शो के सफल आयोजन की चर्चा तो होनी ही थी, लेकिन सियासी गलियारे में आश्चर्यजनक ढंग से चर्चा का केंद्र बन गए नीतीश कुमार। नीतीश कुमार ने किया ही कुछ ऐसा कि उन्हें लेकर चर्चा तो होनी ही थी। चर्चा से आगे निकल कर अब तो नीतीश कुमार की सियासी संभावनाओं पर ही सबकी निगाहें टिक गई हैं।
मोदी से नीतीश के रिश्ते अब बदल गए हैं?
नरेंद्र मोदी से नीतीश के रिश्ते पहले काफी खराब रहे। एक दूसरे से नफरत का आलम यह कि मोदी के साथ नीतीश कुमार मंच साझा करने से भी बचते रहे हैं। उनके साथ अपनी तस्वीर पर एक बार उन्होंने घोर आपत्ति की थी। नीतीश के गुस्से का आलम यह था कि भाजपा के साथ अपने मधुर रिश्तों की परवाह किए बगैर उन्होंने भोज का न्यौता देकर ऐन वक्त कैंसल कर दिया था। दरअसल वर्ष 2010 में लुधियाना में एनडीए की एक रैली हुई। रैली में नीतीश कुमार भी शामिल हुए। भाजपा के साथ तब नीतीश कुमार बिहार में सरकार चला रहे थे। रैली में मंच पर उनकी आमने-सामने भिड़ंत नरेंद्र मोदी से हो गई। तब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे। मंच पर बैठे नीतीश कुमार को हाथ पकड़ कर नरेंद्र मोदी ने उठाया और गले मिले। उस वक्त नीतीश कुछ कर भी नहीं सकते थे। गुजरात दंगों की वजह से नीतीश और नरेंद्र मोदी में अनबन हो गई थी। नीतीश उन्हें तनिक भी पसंद नहीं करते थे।
मोदी के साथ तस्वीर देख नाराज हुए थे नीतीश
रैली से लौट कर नीतीश पटना पहुंचे तो उन्होंने अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन देखा, जिसमें नरेंद्र मोदी के साथ उनकी तस्वीर लगी हुई थी। यह विज्ञापन भाजपा की ओर से जारी किया गया था। दरअसल भाजपा कार्यकारिणी की पटना में बैठक हो रही थी, जिसमें नरेंद्र मोदी भी शिरकत करने वाले थे। कार्यकारिणी के सम्मान में एनडीए के पर्टनर होने के नाते नीतीश कुमार ने रात्रि भोज दिया था। अखबारों में विज्ञापन देख कर नीतीश ऐसे भड़के कि उन्होंने अचानक भोज रद्द कर दिया। बिहार में बाढ़ राहत के लिए नरेंद्र मोदी के भेजे पैसे लेने से भी नीतीश ने इनकार कर दिया था।
मोदी को पीएम फेस बनाने पर भड़के थे नीतीश
भाजपा ने जब नरेंद्र मोदी को पीएम फेस बनाने की घोषणा की, तब भी नीतीश बिदके थे। गुस्से में उन्होंने भाजपा से नाता ही तोड़ लिया था। हालांकि 2014 में अकेले चुनाव लड़ कर उन्हें अपनी ताकत का एहसास हो गया। जेडीयू को लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर जीत मिली, जबकि भाजपा ने 22 सीटें जीत कर नरेंद्र मोदी की ताकत का एहसास करा दिया था। यही वजह रही कि बाद में नीतीश कुमार ने 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी से हाथ मिला लिया और पहली बार बिना भाजपा की मदद से नीतीश बिहार के सीएम बने। पर, यह दोस्ती अधिक दिनों तक नहीं चली। नीतीश ने 2017 में आरजेडी को झटका देकर भाजपा का हाथ पकड़ लिया। बीच में कई ऐसे मौके आए, जब नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश मंच पर बैठने से कतराते रहे।
जेडीयू के नीतीश के हाथ में भाजपा का सिंबल
रविवार को पीएम के रोड शो में उनके साथ नीतीश कुमार भी थे। नीतीश कुमार ने अपने हाथ में भाजपा का सिंबल- कमल थाम रखा था। हालांकि उनके चेहरे के हाव-भाव बता रहे थे कि ऐसा वे किसी उत्साह में नहीं कर रहे, बल्कि उनके सामने कोई बड़ी सियासी मजबूरी है। वैसे भाजपा ने अपनी ओर से कभी नीतीश को यह एहसास नहीं होने दिया है कि वे विधानसभा में सिर्फ 45 विधायकों वाली पार्टी के नेता हैं। भाजपा ने उनसे अधिक सीटें होने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री 2020 में बनाया था तो अब भी वे भाजपा के सहयोग से सीएम बने हुए हैं। उनकी कमजोर स्थिति पर ध्यान दिए बगैर भाजपा ने पिछली बार लोकसभा में जीती 16 सीटें इस बार भी उन्हें बेहिचक दे दी, भले ही उसे लोजपा की सीटों में कटौती करनी पड़ गई।
नीतीश के बदले अंदाज से उठ रहे कई सवाल
फिर नीतीश इतने मजबूर क्यों हो गए कि उन्हें रोड शो में भाजपा का सिंबल थामना पड़ा! सियासी फिजा में रोड शो के बाद से ही यह सवाल तैर रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या नीतीश अपनी पर्टी जेडीयू का भाजपा में विलय करने वाले हैं? क्या नीतीश ने अब मान लिया है कि जेडीयू को अब आगे ले जाना अकेले उनके बूते की बात नहीं? क्या नीतीश अपने सियासी जीवन की आखिरी पारी खेल रहे हैं? यह भी हो सकता है कि पीएम की सभाओं में शामिल होकर उनकी जुबान जिस तरह फिसलती रही है, उससे उन्हें भाजपा ने चुप रहने की सलाह दी हो। इसे बल इसलिए मिलता है कि पीएम की एक-दो सभाओं के बाद उन्होंने कभी शिरकत नहीं की।
आरजेडी का तंज- मूर्ख बना कर लाइट थमा दी
बहरहाल, आरजेडी को नीतीश पर तंज कसने का मौका मिल गया है। लालू परिवार के लोगों ने नीतीश का नामाकरण पलटू राम और पलटू चाचा तो किया ही था, अब तो तेजस्वी यह भी कहने लगे हैं कि नीतीश एक बार फिर पलटी मारेंगे। पीएम के रोड शो में नीतीश के कमल सिंबल थामने पर आरजेडी ने कहा है- ‘प्लानिंग तो शादी में दूल्हा बनकर जाने की थी, लेकिन बैंड बाजा बजाने वालों ने मूर्ख बनाकर बारात की लाइट थमा दी।’ आरजेडी ने नीतीश का वह फोटो भी शेयर किया है, जिसमें वे पीएम के रोड शो के दौरान हाथ में भाजपा का सिंबल लिए दिख रहे हैं।