दो साल पहले तक तेलंगाना राष्ट्र समिति, यानी TRS तेलंगाना की सबसे मजबूत पार्टी थी। तब CM रहे के. चंद्रशेखर राव राष्ट्रीय राजनीति में पैर पसार रहे थे। 5 अक्टूबर, 2022 को पार्टी का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति रख लिया। बस यहीं से वक्त बदल गया।
देश की राजनीति में जगह बनाने की ख्वाहिश लेकर चल रहे चंद्रशेखर राव तेलंगाना में ही सरकार नहीं बचा पाए। 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी सिर्फ 39 सीटें जीत पाई और सत्ता से बाहर हो गई।
हालत ऐसी है कि नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। चुनाव से पहले ही BRS के 10 बड़े नेता BJP और कांग्रेस में चले गए। इनमें से 4 अब कांग्रेस के कैंडिडेट हैं। बाकी BJP में हैं। लोकसभा चुनाव की लड़ाई BJP और कांग्रेस के बीच है।
2019 में सबसे ज्यादा 9 सीटें जीतने वाली BRS इस बार सिर्फ एक सीट पर मजबूत दिख रही है। निजामों के गढ़ में ऊपर-नीचे होते राजनीतिक समीकरण में सिर्फ एक सीट हैदराबाद स्थिर दिखती है। यहां ओवैसी फिर से सब पर हावी हैं।
तेलंगाना में 13 मई को सभी 17 सीटों पर चुनाव है। यहां की पॉलिटिक्स देश के बाकी राज्यों से अलग है। पार्टियां गठबंधन की बजाय अकेले चुनाव लड़ती हैं। तेलंगाना में क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं, कौन सी पार्टी हावी है, कौन सी पार्टी गेमचेंजर बन सकती है,
4 पॉइंट्स में समझिए तेलंगाना में क्या चल रहा है…
1. 5 महीने पहले BRS को हराकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस सबसे मजबूत पार्टी दिख रही है। पार्टी को 17 में से 9 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, कांग्रेस सरकार के राज्य में अभी 100 दिन ही पूरे हुए हैं। ऐसे में पार्टी पर लोगों का भरोसा पूरी तरह से कायम नहीं हो पाया है।
2. विधानसभा चुनाव में सिर्फ 8 सीट जीतने वाली BJP ज्यादा कॉन्फिडेंट दिख रही है। ये बात कैंडिडेट्स के सिलेक्शन से समझ आती है। पार्टी ने हैदराबाद सीट से AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के सामने हिंदुत्व की बात करने वालीं माधवी लता को खड़ा किया है। पार्टी को पिछली बार से 2 ज्यादा, यानी 6 सीट मिलने के आसार हैं।
3. BRS राज्य में जगह बनाने की लड़ाई लड़ रही है। तीन सांसद वेंकटेश नेथा, बीबी पाटिल और जी. रंजीत रेड्डी पार्टी छोड़ चुके हैं। बगावत की वजह से KCR की पार्टी 9 से सीधे एक सीट पर आ सकती है।
4. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को हमेशा की तरह तेलंगाना की 17 में से 16 सीटों पर इंट्रेस्ट नहीं है। पार्टी कोर सीट हैदराबाद जीतने के लिए जोर लगा रही है।
BRS के वोट बैंक पर कांग्रेस-BJP की नजर
न्यूज चैनल नेटवर्क ‘TV-9’ के पूर्व संपादक दिनेश अकूला बताते हैं, ‘BJP और कांग्रेस दोनों ही BRS की अस्थिरता को भुनाना चाह रहे हैं। BJP के पहले 15 उम्मीदवारों में 9 BRS से आए नेता थे। इसी तरह कांग्रेस के 6 कैंडिडेट्स में 4 KCR की पार्टी से थे। तेलंगाना की 17 सीटों में 9 कांग्रेस, 6 BJP, एक BRS और एक सीट AIMIM जीत सकती है।’
BJP गांवों में सुस्त, बूथ मैनेजमेंट कांग्रेस के मुकाबले कमजोर
हैदराबाद के सबसे बड़े उर्दू अखबार ‘द सियासत डेली’ के एडिटर आमिर अली बताते हैं, ‘राज्य में कांग्रेस सरकार आने के बाद उसकी तरफ रुझान भी ज्यादा है। BRS का अभी जो हाल है, उससे लगता है कि विधानसभा चुनाव में जो सेक्युलर वोट कांग्रेस और BRS में बंटे थे, वे अब पूरी तरह कांग्रेस को मिलेंगे।’
‘शहरों में BJP की हालत पहले से बेहतर है, लेकिन गांवों में स्थिति बिल्कुल अलग है। यहां पार्टी का बूथ मैनेजमेंट बहुत खराब है। लोग PM की योजनाओं के नाम तक नहीं जानते। कांग्रेस की तैयारी BJP से बेहतर है। उसे 10 से 12 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, BJP की सीटें पहले से कम हो सकती हैं।’