अपने विवादित बयानों के बीच सैम पित्रोदा ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. सैम पित्रोदा अक्सर अपने अजीबोगरीब बयानों को लेकर राजनीति में बने रहते हैं. कुछ समय के बयानों पर नजर डालें तो उनके बयानों ने राजनीति में खुब बवाल काटा, जिसे बीजेपी लोकसभा रैलियों में खूब इस्तेमाल कर रही है. पित्रोदा के बयान को लेकर बीजेपी पूरी तरह से कांग्रेस पर हमलावर मोड में है. हाल ही में वह इनहेरिटेंस टैक्स पर बयान देकर गंभीर मुसीबत में फंस गए थे, जिसके चलते कांग्रेस को किनारा करना पड़ा. अब एक बार भी उन्होंने ऐसा बयान दिया है जो कांग्रेस के लिए नई मुसीबत बनकर सामने आ गया है.
क्या दिया है बयान?
इस खबर में हम आपको बताएंगे कि सैम पित्रोदा का बैकग्राउंड क्या है. वे कहां के रहने वाले हैं यानी उनकी कुंडली के बारे में पुरी जानकारी देंगे. सबसे पहले तो आप ये जान लीजिए कि उन्होंने क्या नया बयान दिया है. पित्रोदा ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत की विविधता बिल्कुल अलग है. भारत के पूर्व में रहने वाले लोग चीनी जैसे दिखते हैं, जबकि दक्षिण में रहने वाले लोग अफ़्रीकी जैसे दिखते हैं. वहीं, पश्चिमी भारत में रहने वाले लोग अरब जैसे दिखते हैं. उत्तर भारत के लोग गोरे लोगों की तरह हैं. अब ये बयान कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन गया है. तो चलिए अब हम आपको बताते हैं कि उनका बैकग्राउंड क्या है?
आखिर क्या है बैकग्राउंड?
सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है. वह मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले हैं. उनका जन्म ओडिशा के टिटलागढ़ में एक गुजराती बढ़ई परिवार में हुआ था. पित्रोदा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के वल्लभ विधिनगर से की. इसके अलावा उन्होंने वडोदरा की महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री ली. इसके बाद वह साल 1964 में अमेरिका चले गए. वहां से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री की. वह 1965 में एक टेलिकम कंपनी के साथ काम किया. साल 1981 में भारत लौट आए
सूचना क्रांति के जनक हैं सैम
माना जाता है कि भारत आकर उन्होंने देश की दूरसंचार व्यवस्था को बेहतर और आधुनिक बनाने के बारे में सोचा. उन्हें भारत में सूचना क्रांति का जनक माना जाता है. 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के निमंत्रण पर उन्होंने दूरसंचार के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए सी-डॉट यानी सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स की स्थापना की. राजवी गांधी इस कार्य से बहुत प्रभावित हुए. तत्कालीन पीएम ने पित्रोदा को घरेलू और विदेशी टेलीकॉम पर काम करने का निर्देश दिया.
राजीव गांधी से कैस बढ़ी नजदीकियां?
कहा जाता है कि राजीव गांधी की हत्या के बाद वह वापस अमेरिका चले गये. हालांकि, कांग्रेस से बढ़ती नज़दीकियों के कारण अमेरिकी नागरिक होते हुए भी वे भारत आ गये और यहाँ की नागरिकता ले ली. राजीव गांधी के कार्यकाल में उन्होंने पित्रोदा को सरकार में अपना सलाहकार नियुक्त किया था. सैम पित्रोदा 2005 से 2009 तक भारतीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष थे. वह भारतीय दूरसंचार आयोग के संस्थापक और अध्यक्ष भी थे. हालांकि वो कुछ साल तक ही भारत रहे और फिर अमेरिका चले.
कांग्रेस के लिए हैं गुरु?
साल 2004 में जब देश में कांग्रेस की सरकार बनी तो तत्कालीन पीएम मनमोहन ने सैम पित्रोदा को वापस भारत बुला लिया और उन्हें राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का अध्यक्ष बना दिया. 2009 में यूपीए सरकार के दौरान पित्रोदा को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सलाहकार नियुक्त किया गया था. इसमें कोई शक नहीं कि सैम गांधी परिवार के बिल्कुल भी करीब नहीं हैं. ये भी कहा जाता है कि वो कांग्रेस के लिए गुरु की तरह हैं. इसी वजह से पित्रोदा को साल 2017 में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.