लोकसभा चुनाव में 3 फेज की वोटिंग हो चुकी है। यूपी की 80 सीटों में से एक-दो को छोड़ सभी पर प्रत्याशी घोषित हो गए हैं। पार्टियों ने जातियों का गुणा-भाग देखकर टिकट बांटे हैं। बसपा ने सपा के MY समीकरण को तोड़ने की रणनीति बनाई।
बसपा ने सपा के मुकाबले 5 गुना ज्यादा मुस्लिम प्रत्याशी उतारे। यह पिछली बार से 16 ज्यादा हैं। सपा ने सिर्फ 5 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं, जो पिछली बार से आधे हैं। यादव जाति को टिकट देने के मामले में अखिलेश परिवार से बाहर नहीं आ पाए। 5 यादव प्रत्याशी उन्हीं के परिवार के हैं।
बसपा ने भी 5 यादवों को टिकट दिया, यह 2019 से 3 ज्यादा हैं। पिछली बार सपा-बसपा का गठबंधन था, दोनों ने 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार सपा 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि बसपा ने अभी तक 78 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं।
इस चुनाव में भाजपा ने ब्राह्मण (16) के बाद ठाकुरों को सबसे ज्यादा 13 टिकट दिए। भाजपा को पिछली बार से 3 टिकट ठाकुरों के कम करने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। पश्चिम से लेकर पूरब तक ठाकुर इसका विरोध कर रहे हैं।
दलित प्रत्याशी सेफ सीटों तक सिमटे
दलित बसपा के कोर वोटर्स माने जाते हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में इसका ग्राफ गिरा है। दलित वोटर बसपा से भाजपा की ओर डायवर्ट हुए हैं। प्रत्याशियों के चयन में इसका असर भी दिखा। अभी तक 78 सीटों पर प्रत्याशी उतारने वाली बसपा ने 17 दलित प्रत्याशियों पर दांव लगाया। भाजपा ने भी 17 दलित प्रत्याशी उतारे हैं। सपा ने 14 और कांग्रेस ने 16 सीटों में से सिर्फ 3 दलित प्रत्याशियों को टिकट दिया। सभी दलित प्रत्याशी सेफ सीटों पर उतारे गए हैं।
सपा-कांग्रेस से 6 मुस्लिम प्रत्याशी, भाजपा से कोई नहीं
यूपी में बसपा ने सबसे ज्यादा 22 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे। सपा ने सिर्फ 4 मुस्लिमों को टिकट दिया। कांग्रेस ने 2 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया। सपा ने कैराना से इकरा हसन, गाजीपुर से अफजाल अंसारी, रामपुर से मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी और संभल से जियाउर्रहमान बर्क को उतारा। सहारनपुर से इमरान मसूद और अमरोहा से दानिश अली कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। भाजपा ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा। पिछली बार भी यह संख्या शून्य थी।
सपा में 29, भाजपा में 28 गैर यादव OBC प्रत्याशी
यादवों को छोड़कर अन्य OBC प्रत्याशी की बात करें, तो भाजपा और सपा लगभग बराबर है। सपा ने 29 गैर-यादव OBC प्रत्याशी उतारे, जबकि भाजपा ने 28। बसपा ने 12 और कांग्रेस ने 4 गैर-यादव OBC प्रत्याशी उतारे हैं।
सपा से 5 यादव, सभी समाजवादी परिवार के
सपा ने यूपी में 5 यादव प्रत्याशियों को टिकट दिया। ये सभी अखिलेश यादव परिवार के हैं। कन्नौज से खुद अखिलेश यादव, पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ रही हैं। आजमगढ़ से धर्मेँद्र यादव, बदायूं से शिवपाल सिंह के बेटे आदित्य, जबकि फिरोजाबाद से अक्षय यादव मैदान में हैं। भाजपा ने सिर्फ 1 यादव को टिकट दिया। बसपा से 5 यादव उम्मीदवार हैं। कांग्रेस की लिस्ट में कोई भी यादव नहीं है।
सपा में सबसे कम ठाकुर प्रत्याशी, भाजपा में सबसे ज्यादा
इस बात की लगातार चर्चा रही कि ठाकुर वोटर्स भाजपा से नाराज हैं। यूपी में सबसे ज्यादा ठाकुरों को टिकट भाजपा ने ही दिए। भाजपा ने 13 ठाकुरों को टिकट दिए, सपा ने सिर्फ 3 ठाकुर प्रत्याशी उतारे। श्रावस्ती से धीरेंद्र प्रताप सिंह, चंदौली से वीरेंद्र सिंह और धौरहरा से आनंद भदौरिया। कांग्रेस ने देवरिया से अखिलेश प्रताप सिंह और इलाहाबाद सीट से उज्ज्वल रमण सिंह को टिकट दिया। बसपा ने भी 5 ठाकुर प्रत्याशियों पर दांव लगाया है।
ब्राह्मणों को टिकट देने में भी भाजपा सबसे आगे है। भाजपा से 19 ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में हैं, जबकि बसपा ने 15, सपा-कांग्रेस ने 5-5 ब्राह्मण प्रत्याशियों को टिकट दिए।
युवाओं को मैदान में उतारने में बसपा आगे, सबसे ज्यादा बुजुर्ग भाजपा में
बसपा ने इस चुनाव मे किसी से गठबंधन नहीं किया। अभी तक सूबे की 78 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने पार्टी की कमान संभाली और सबसे ज्यादा 26 युवा प्रत्याशियों को मौका दिया। भाजपा में 31 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा है।