दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार और रिमांड पर चल रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई पूरी हुई. केजरीवाल को आज भी राहत नहीं मिली. केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर फैसला नहीं आया. 9 मई या अगले हफ्ते में मामले पर सुनवाई होगी. दरअसल, ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने केजरीवाल की जमानत का विरोध किया. ईडी की ओर से कहा गया कि केजरीवाल को आम आदमी की तरह व्यवहार करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतरिम रिहाई पर हम विचार कर सकते हैं. नेताओं को अलग से नहीं देख रहे हैं.
दिल्ली शराब नीति से जुड़े मामले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंगलवार यानी 7 मई 2024 को भी सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 9 मई को होगी. कोर्ट ने साफ नहीं किया है कि अंतरिम जमानत पर फैसला कब आएगा.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले में सुनवाई के दौरान ईडी से साथ ही कई सवाल किए. जजों ने ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले और बाद की केस फाइलों को पेश करने को भी कहा.
ईडी से क्या सवाल किए?
कोर्ट ने ईडी से सवाल करते हुए कहा कि उसने कुछ चीजों को सामने लाने में दो साल लगा दिए. मामले में गवाहों और आरोपियों से सीधे प्रासंगिक सवाल क्यों नहीं पूछे गए. वहीं कोर्ट में केंद्रीय जांच एजेंसी का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि शुरुआत में केजरीवाल मामले की जांच के केंद्र में नहीं थे, लेकिन बाद में उनका नाम सामने आया.
ईडी ने क्या कहा?
एसवी राजू ने दावा किया कि AAP के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान सात सितारा होटल में ठहरे थे. केजरीवाल के कुछ बिल का भुगतान दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने किया था.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई में समय लग सकता है. इस कारण कोर्ट केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने पर विचार कर रहा है.
दरअसल, केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं.
जस्टिस खन्ना की टिप्पणी
जस्टिस खन्ना की इस टिप्पणी पर एएसजी राजू ने कहा कि 590 करोड़ थोक व्यापारी का मुनाफा है. इससे शराब कंपनियों ने 900 करोड़ का मुनाफा कमाया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतर लगभग 338 करोड़ था और यह पूरी चीज अपराध की आय नहीं हो सकती. इसके बाद ईडी की ओर से एएसजी राजू ने कहा कि जब हमने जांच शुरू की तो हमारी जांच सीधे तौर पर उनके (अरविंद केजरीवाल) खिलाफ नहीं थी. जांच के दौरान उनकी भूमिका सामने आई. इसीलिए शुरुआत में उनके बारे में एक भी सवाल नहीं पूछा गया. जांच उन पर केंद्रित नहीं थी.
मामले की सुनवाई के दौरान ही जस्टिस संजीव खन्ना ने ईडी से पूछा कि इस मामले में सबसे पहले किसी सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी कब हुई थी? गिरफ्तारी की तारीख क्या है? चाहे एक्जिक्यूटिव हो या ब्यूरोक्रेट… इस पर ईडी की ओर से एएसजी राजू ने जवाब दिया कि 9 मार्च को गिरफ्तारी हुई थी. इसके बाद जस्टिस खन्ना ने एएसजी राजू की दलीलों पर सवाल किया कि जिन बयानों के हवाले से आप जो कह रहे हैं वो संभवत: आपकी कल्पना हो सकता है कि किकबैक दिया गया. इस पर राजू ने कहा कि हम अपनी जांच को इन बयानों के आधार पर आगे बढ़ा रहे हैं. हमे उसमें कामयाबी भी मिल रही है.
एएसजी राजू ने कहा कि हमारे पास उस समय किसी को दोष देने का कोई कारण नहीं था. हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि इसमें कौन शामिल था. सीधे तौर पर रिश्वत के बारे में सवाल नहीं पूछ सकते थे. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि अगर आप सवाल नहीं उठाते तो ये आपका मसला है. इसके बाद जस्टिस खन्ना ने ईडी से केस सभी फाइल मांगी और कहा कि हम देखना चाहते हैं कि ऑफिसर ने क्या नोटिंग्स की. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से तीन अहम केस की फाइल नोटिंग मांगी है. इनमें आरोपी शरत रेड्डी की गिरफ्तारी और मजिस्ट्रेट के सामने बयान, मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले और गिरफ्तारी के बाद और अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले की फाइल मांगी है.