अररिया के चुनावी मैदान में इस बार 9 प्रत्याशी मैदान में हैं। लेकिन, यहां टक्कर दो ही दलों के बीच है। पहले हैं NDA की तरफ से भाजपा के प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह। इनके सामने इंडी गठबंधन से राजद के उम्मीदवार मोहम्मद शाहनवाज आलम हैं। मुस्लिम-यादव समीकरण के सहारे राजद 2014 लोकसभा चुनाव और 2018 में हुए उप चुनाव की तरह बड़ी जीत हासिल करने की जुगत में है।
2014 के चुनाव में राजद के मोहम्मद तस्लीमुद्दीन ने बड़ी जीत दर्ज की थी। उन्हें 4,07,978 वोट मिले थे। जबकि, भाजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह को 2,61,474 वोट ही मिले थे। मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद 2018 में लोकसभा उपचुनाव में उनके बेटे सरफराज आलम को जीत मिली। उन्हें 5,09,334 वोट मिले थे। इसमें भी भाजपा के प्रदीप सिंह दूसरे नंबर पर रहे।
2019 में बीजेपी ने इस सीट में सेंधमारी की और प्रदीप सिंह चुनाव जीत गए। पिछले चुनाव में इन्हें 6,18,434 वोट मिले थे। इस सीट पर प्रदीप सिंह की यह दूसरी जीत थी।
इससे पहले वो 2009 के लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। अब वर्तमान में हवा का रुख भाजपा के इस प्रत्याशी की ओर ही है। प्रदीप अररिया से तीसरी बार सांसद बन सकते हैं।
अररिया में भीतरघात के बावजूद भाजपा का पलड़ा भारी
अररिया के RTI एक्टिविस्ट प्रसेनजीत कृष्णा के अनुसार दोनों पार्टियां भाजपा और राजद अपना चुनावी प्रचार कर रही हैं। लेकिन, दोनों ही पार्टियों में भीतरघात की स्थिति है। अररिया की चुनावी हवा पूरी तरह से टाइट है। यहां जीत और हार किसकी होगी? यह देखना बहुत दिलचस्प होगा। राजद और भाजपा के प्रत्याशियों को लेकर इलाके में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। पूरी तरह से कंफर्म नहीं कहा जा सकता है कि इस बार का चुनाव कौन जीत रहा है?
एक्सपर्ट बोले- भाजपा आगे पर राह आसान नहीं
अररिया के सीनियर जर्नलिस्ट के अनुसार इस बार के चुनाव में हवा का रुख भाजपा की ओर है। उसके प्रत्याशी आगे हैं, पर राह आसान नहीं है। राजद के मोहम्मद शाहनवाज आलम और भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह के बीच कड़ी टक्कर है। इन दोनों ही प्रत्याशियों को अपने ही लोगों के भीतर घात का सामना करना पड़ रहा है। इसका असर इनके वोट पर पड़ेगा।
यहां मंडल जाति के करीब साढ़े 4 लाख वोटर्स हैं, जिनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे शत्रुघ्न मंडल के निर्दलीय खड़ा होने से कुछ वोट कट जाएंगे। इसका असर भाजपा प्रत्याशी पर पड़ेगा। उन्हें थोड़ी दिक्कत हो सकती है। वैसे वर्तमान में भाजपा का दबदबा बना हुआ है। नरेंद्र मोदी बहुत हावी हैं। केंद्र की सरकार के लिए वो लोगों की पहली पसंद हैं। हवा का रुख भाजपा की ओर है, पर उन्हें जीत और अपना दबदबा बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
एक्सपर्ट की नजर में राम मंदिर के सहारे भाजपा भारी
अररिया के सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट के अनुसार, 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद जो भी चुनाव हुए वो ध्रुवीकरण के तहत थे। जो दो पॉइंट पर हुए। इसमें एक भाजपा और दूसरा एंटी भाजपा। भाजपा हिंदुत्व तो दूसरे तरफ विपक्ष MY समीकरण के तहत चुनाव में उतरी थी। दोनों दलों ने एक-दूसरे के वोटर्स को तोड़ने का काफी प्रयास किया। यहां चुनाव आते-आते धर्म के आधार पर लोग बंट जाते हैं। यही कारण है कि चुनाव में यहां कोई स्थानीय समस्या मुद्दा नहीं बन पाता है। धर्म-जाति ही अहम मुद्दा बन जाती है।
दोनों राजनीतिक दलों के अपने-अपने दावे
राजद के जिला प्रवक्ता जगदीश झा का दावा है कि अररिया में हवा का रुख इनकी पार्टी और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार की ओर है। इसका कारण है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जो वादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से किया था, उन वादों को पूरा नहीं कर पाए। 15 लाख रुपए लोगों के बैंक अकाउंट में दिए जाने के प्रधानमंत्री की बात पर गृहमंत्री ने कहा था कि चुनावों में वैसे जुमले कहे जाते हैं। सीधे तौर पर सारी व्यवस्था में प्रधानमंत्री फिसड्डी साबित हुए। नरेंद्र मोदी पर लोगों को यकीन नहीं है। यही कारण है कि बिहार में इंडी गठबंधन की बयार बह रही है। 17 महीने तेजस्वी यादव बिहार में डिप्टी सीएम रहे। उन्होंने नौकरियां दी और आगे भी वो रोजगार देने की बात कह रहे हैं। इसलिए हमारी पार्टी और प्रत्याशी, दोनों का ही पलड़ा भारी है। जीत हमारी होगी।
धीरज झा भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी हैं और अररिया लोकसभा के मीडिया इंचार्ज। इनका दावा है कि हवा का रुख भाजपा और हमारे प्रत्याशी की ओर ही है। क्योंकि, पिछले 10 सालों में नरेंद्र मोदी की सरकार ने जो काम किया हैं और जनहित की योजनाएं इनके द्वारा लाई गई, उसे लेकर ही पार्टी जनता के बीच जा रही है। हम लोग पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि इस बार का माहौल भाजपा के पक्ष में है।
मोदी जी का जो सपना है, इस बार 400 पार, वो पूरा होगा। भारत की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने की बात को लेकर भी हमलोग आगे बढ़ रहे हैं। जहां तक प्रत्याशी की बात है तो प्रदीप सिंह ने अररिया में बहुत विकास का काम किया है। बाढ़ वाले इलाकों में पुल और रोड बनवाए हैं। वो बहुत लोकप्रिय हैं। हिंदुत्व और देश को बचाने के लिए लोग भाजपा को वोट दे रहे हैं।
पिछले चुनाव में जीत हार का अंतर
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और राजद के प्रत्याशियों के बीच जीत-हार का बड़ा अंतर था। भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को पोस्टल बैलट सहित कुल 6 लाख 16 हजार 992 वोट मिले थे। जबकि, राजद के सरफराज आलम को 4 लाख 80 हजार 482 वोट पड़े थे। दोनों प्रत्याशियों के जीत और हार के बीच 1 लाख 36 हजार 510 मतों का अंतर था।