कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भले रायबरेली से पर्चा दाखिल किया है, लेकिन पहले की तरह प्रियंका गांधी की सक्रियता बनी रहेगी। वह अमेठी और रायबरेली दोनों लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार करेंगी। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। पार्टी नेताओं का मानना है कि प्रियंका के बिना सियासी वैतरणी पार करना मुश्किल है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी प्रत्यक्ष रूप से भले अमेठी व रायबरेली के चुनाव मैदान में नहीं हैं। लेकिन, वह इन दोनों क्षेत्र में निरंतर बनी रहेंगी। यह भी संभव है कि दोनों लोकसभा क्षेत्र के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में वह रोड शो करें। इसके जरिए वह सियासी माहौल को गरमाने का प्रयास करेंगी।
पहले भी वह रायबरेली में ज्यादा वक्त देगी रही हैं। वह 1999 से लगातार इस इलाके में सक्रिय रही हैं। राहुल की अपेक्षा उनके प्रति क्षेत्र के लोगों में ज्यादा सहानुभूति दिखती है। राहुल गांधी के नामांकन में भी इसकी झलक साफ दिखी है।
वरिष्ठ पत्रकार राज खन्ना कहते हैं कि अमेठी हो या रायबरेली दोनों क्षेत्र की जनता को यदि कोई सियासी मोहपाश में बांध सकता है तो वह सिर्फ प्रियंका गांधी हैं। वह किसी एक सीट से चुनाव लड़तीं तो दूसरे क्षेत्र में जाना मुश्किल होगा, लेकिन अब निश्चिंत भाव से दोनों लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर सकेंगी।
तो विश्वास जताने की हुई कोशिश
हाईकोर्ट के अधिवक्ता महेंद्र सिंह कहते हैं कि राहुल गांधी के नामांकन में जिस तरह से प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी पहुंचीं और समर्थकों के बीच उत्साह दिखाया, उससे यह स्पष्ट संदेश गया है कि यहां से राहुल गांधी सांसद बने तो प्रियंका और सोनिया गांधी का जुड़ाव पहले की तरह बना रहेगा। मालूम हो कि रायबरेली में 1777 में जनता पार्टी से राजनारायण और 1996 व 1998 में भाजपा के अशोक सिंह को छोड़ दें तो अब तक निरंतर कांग्रेस का परचम लहराता रहा है। 2004 से सोनिया गांधी लगातार सांसद हैं। इस बीच प्रियंका गांधी यहां से जुड़ी रहीं हैं।
तो विश्वास जताने की हुई कोशिश
हाईकोर्ट के अधिवक्ता महेंद्र सिंह कहते हैं कि राहुल गांधी के नामांकन में जिस तरह से प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी पहुंचीं और समर्थकों के बीच उत्साह दिखाया, उससे यह स्पष्ट संदेश गया है कि यहां से राहुल गांधी सांसद बने तो प्रियंका और सोनिया गांधी का जुड़ाव पहले की तरह बना रहेगा। मालूम हो कि रायबरेली में 1777 में जनता पार्टी से राजनारायण और 1996 व 1998 में भाजपा के अशोक सिंह को छोड़ दें तो अब तक निरंतर कांग्रेस का परचम लहराता रहा है। 2004 से सोनिया गांधी लगातार सांसद हैं। इस बीच प्रियंका गांधी यहां से जुड़ी रहीं हैं।
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रायबरेली में भाई राहुल के चुनावी प्रचार की कमान संभालने के साथ ही वह अमेठी में किशोरी लाल शर्मा के लिए चुनावी फिजां तैयार करेंगी। खुद प्रियंका ने छह तारीख को रायबरेली में आकर चुनाव तक रहने का संकेत देकर इस मंशा को जाहिर कर दिया है। अमेठी हो या रायबरेली, दोनों गांधी परिवार की परंपरागत सीटें मानी जाती है।
गांधी परिवार से एक लंबा रिश्ता रहा है। कांग्रेस ने रायबरेली में सोनिया गांधी के बाद अब उनके बेटे राहुल गांधी को सियासी रण में उतारा है लेकिन, अमेठी से गांधी परिवार ने अपने को दूर कर लिया है। यह बात अलग है कि गांधी परिवार के करीबी व सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा मैदान में है लेकिन, परोक्ष रूप से गांधी परिवार के सदस्य के न होने को लेकर कांग्रेसी समीकरण बैठाने में लगे हुए हैं।
कांग्रेस नेता अनुज तिवारी कहते हैं कि किशोरी लाल शर्मा को गांधी परिवार से ही जोड़कर देखा जाना चाहिए। 40 सालों से वह गांधी परिवार के साथ है। हर दुख में साथ रहे, हर सुख के साक्षी रहे। रही बात, चुनावी प्रबंधन की तो हर तरह से रणनीति तैयार रहा है।
रायबरेली से रहेगी नजर
अमेठी में कांग्रेस की पूरी रणनीति रायबरेली में छह तारीख को पहुंच रही प्रियंका गांधी वाड्रा संभालेगी। इसके लिए रायबरेली के भुएमऊ गेस्ट हाउस में दोनों संसदीय सीटों के लिए अलग-अलग वॉर रूम बनाया गया है। यहां पर हरेक बूथ का विवरण अपडेट किया जा रहा है। गांव-गांव महिलाओं की टोली को एकजुट किया जा रहा है। युवाओं को अलग से फोकस किया जा रहा है। वाट्सएप ग्रुप से सक्रियता परखी जा रही है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी अनिल सिंह कहते हैं कि पार्टी रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। हरेक बूथ पर दस कार्यकर्ताओं की टीम को लगाया गया है।
पुराने कांग्रेसियों को किया जा रहा एकजुट
प्रियंका गांधी की टीम वर्ष 2004, 2009, 2014 व 2019 में कांग्रेस के साथ रहे नेताओं से संपर्क करने में लगी हुई है। उस वक्त जिन्होंने कांग्रेस के लिए काम किया था, रणनीति बनाई थी, गांव-गांव गए थे, वे इस समय कहां है। टीम पुराने कांग्रेसियों को एक्टिव करने में लगी हुई है। लोकसभा के मीडिया समन्वयक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी कहते हैं कि बीते चुनावों में हम कहां मजबूत थे, कहां पर कमजोर, इन सभी का अध्ययन किया जा रहा है। बूथवार रिपोर्ट बनाई जा रही है।
किशोरी इस बार खुद के लिए तैयार कर रहे रणनीति
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ काम करने के साथ ही 1991 व 1996 में कैप्टन सतीश शर्मा, 1999 में सोनिया गांधी, 2004 से 2019 तक राहुल गांधी के चुनाव की रणनीति तैयार करने वाले किशोरी लाल शर्मा इस बार खुद अपने लिए चुनावी रणनीति तैयार करेंगे। पुराने अनुभवों के आधार पर वह रणनीति का मंथन करने में लगे हुए हैं।