तेलंगाना के छात्र रोहित वेमुला की मौत के 8 साल बाद हैदराबाद पुलिस ने केस क्लोजर रिपोर्ट फाइल की। इसमें कहा गया है कि रोहित दलित नहीं था।
पुलिस ने तेलंगाना हाईकोर्ट में दावा किया गया कि रोहित इस बात को जानता था कि वह दलित नहीं था। जाति की पहचान उजागर होने के डर से उसने आत्महत्या कर ली थी।
रिपोर्ट में भाजपा के पूर्व सिकंदराबाद सांसद और हरियाणा के मौजूदा गर्वनर बंडारू दत्तात्रेय, विधान परिषद के सदस्य एन रामचंद्र राव, पूर्व कुलपति अप्पा राव, ABVP नेताओं सहित कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को निर्दोष बताया गया है।
पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट पर रोहित वेमुला की मां और उनके भाई राजा वेमुला ने सवाल उठाया है। राजा वेमुला ने कहा कि SC स्टेटस पर जिला कलेक्टर फैसला करेंगे। हम सीएम रेवंत रेड्डी से मिलने जाएंगे।
मां और बेटे के सवालों के बाद तेलंगाना डीजीपी ने कहा कि हम इस मामले की दोबारा जांच करेंगे।
21 मार्च 2024 को दाखिल की फाइनल रिपोर्ट
मधापुर के असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर रोहित वेमुला केस के इन्वेस्टिगेशन अफसर थे। उन्होंने पिछले साल नवंबर 2023 में फाइनल क्लोजर रिपोर्ट तैयार की। यह रिपोर्ट 21 मार्च 2024 को फाइल की गई है। इसमें कहा गया, “रोहित वेमुला खुद को अनुसूचित जाति वर्ग (ST) से बताया था। वो ST वर्ग से नहीं था। रोहित को पता था कि उनकी मां ने उन्हें अनुसूचित जाति (SC) का सर्टिफिकेट दिलवाया था।
रोहित ने इसी सर्टिफिकेट के जरिए अपनी एकेडमिक उपलब्धियां हासिल की थीं। रोहित वेमुला को डर था कि अगर उनकी जाति की सच्चाई बाहर आ गई तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।”
रोहत वेमुला की मौत के बाद देशभर में प्रदर्शन हुए
जनवरी 2016 में रोहित वेमुला की मौत के चलते विश्वविद्यालयों में दलितों के खिलाफ भेदभाव को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन हुए थे।
तेलंगाना में इस समय कांग्रेस सरकार है। जिस समय घटना हुई (2016 में), तब राज्य में के चंद्रशेखर राव की सरकार थी। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर हुए प्रदर्शनों का समर्थन किया। राहुल गांधी ने इस मामले को संसद में भी उठाया था।
रोहित समेत 5 स्टूडेंट्स को हॉस्टल से निकाला गया था
17 जनवरी 2016 को रोहित वेमुला ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी में अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली थी। इस आत्महत्या के बाद देशभर की यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। रोहित वेमुला एक संगठन अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य थे। वे हैदराबाद यूनिवर्सिटी के उन पांच छात्रों में शामिल थे, जिन्हें हॉस्टल से निकाल दिया गया था।
रोहित समेत इन पांचों छात्रों पर साल 2015 में आरोप लगा था कि उन्होंने ABVP के सदस्य पर हमला किया था। यूनिवर्सिटी ने अपनी प्रारंभिक जांच में पांचों छात्रों को क्लीनचिट दे दी थी, लेकिन बाद में अपने फैसले को पलट दिया था।