देश में लोकसभा चुनाव के तीसरे दौर के मतदान के पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच लेटर वार छिड़ गई है। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा-एनडीए उम्मीदवारों को व्यक्तिगत पत्र लिख कर कांग्रेस-इंडिया गठबंधन और उनके घोषणा पत्र को निशाने पर ले रहे हैं। इसके जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम को पत्र लिखा है। खरगे ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर आरोपों का विस्तार से जवाब दिया है।
साथ ही, खरगे ने घोषणा पत्र पर बहस के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के साथ खुली बहस की चुनौती भी दी है। इससे पहले भी खरगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख चुके हैं। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत तौर अपनी पार्टी के न्याय पत्र को समझाने के लिए समय मांगा था।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर चरण के चुनाव के पहले भाजपा और एनडीए उम्मीदवारों के नाम एक पत्र जारी कर रहे हैं। इस पत्र में वे कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पर सवाल उठा रहे हैं। वे अपने उम्मीदवारों से अपील कर रहे हैं, जो झूठे वादे कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किए हैं, उसे लेकर जनता के बीच लेकर जाएं।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए उम्मीदवारों को लिखे पत्र में कहा कि वे ‘एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों से आरक्षण छीनने और इसे अपने वोट बैंक को देने’ के कांग्रेस के इरादे के बारे में मतदाताओं के बीच जागरूकता फैलाएं। ‘वे लोगों की मेहनत की कमाई छीनकर अपने वोट बैंक को देने पर तुले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा कि कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वे ‘विरासत कर’ जैसे खतरनाक विचार लाएंगे। उन्हें रोकने के लिए देश को एकजुट होना होगा।’ हर उम्मीदवार को भेजे पत्र में प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह कोई सामान्य चुनाव नहीं है।
प्रधानमंत्री के इन्हीं सभी आरोपों पर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने गुरुवार को विस्तार से जवाब दिया। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के नाम एक खुला पत्र लिखा। खरगे ने लिखा कि आपके पत्र के कंटेंट और लहजे से ऐसा लगता है कि आप बहुत ही ज़्यादा हताश और निराश हो गए हैं। यही कारण है कि आप ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो प्रधानमंत्री पद की गरिमा के बिलकुल विपरीत है।
पत्र से ऐसा लग रहा है कि आप अपने भाषणों में जो झूठ बोल रहे हैं, उसका प्रभाव उस तरह से पड़ता हुआ आपको नहीं दिख रहा है, जैसा आप चाहते थे। यही कारण है कि अब आप चाहते हैं कि आपके उम्मीदवार भी आपकी झूठी बातों को आगे बढ़ाएं। वह लिखते हैं कि एक झूठ को हजार बार बोलने से वह सच नहीं बन जाता है प्रधानमंत्री जी।
प्रधानमंत्री को जवाब: हमारा वोट बैंक हर भारतीय
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने प्रधानमंत्री के आरोपों पर सिलसिलेवार जवाब देते हुए कहा कि अपने पत्र में आपने लिखा है कि एससी, एसटी और ओबीसी से आरक्षण छीन लिया जाएगा और ‘हमारे वोट बैंक’ को दे दिया जाएगा। हमारा वोट बैंक हर भारतीय है- गरीब, हाशिए पर रहने वाले लोग, महिलाएं, महत्वाकांक्षी युवा, श्रमिक वर्ग, दलित और आदिवासी। हर कोई जानता है कि यह आरएसएस-भाजपा ही है, जिसने 1947 से लगातार आरक्षण का विरोध किया है। हर कोई यह भी जानता है कि आरएसएस-भाजपा आरक्षण को समाप्त करने के लिए संविधान को बदलना चाहती है। आपके नेताओं ने इस बारे में खुलकर बात की है। आपको यह स्पष्ट करना चाहिए कि आप हमारे संविधान के अनुच्छेद 16 के अनुसार एससी, एसटी और ओबीसी को उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का विरोध क्यों करते हैं।
खरगे ने आगे लिखा कि आपने अपने पत्र में लिखा है कि लोगों की मेहनत की कमाई छीन ली जाएगी। यहां, मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आप अपनी पार्टी को गुजरात में गरीब, दलित, किसानों से ठगे गए और इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में दिए गए 10 करोड़ रुपये वापस करने का निर्देश दें। आपकी पार्टी ने चंदा दो-धंधा लो, ठेका लो-घूस दो, हफ्ता वसूली और फर्जी कंपनियों जैसे तरीकों से विभिन्न कंपनियों से अवैध और असंवैधानिक इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से 8,250 करोड़ रुपये एकत्र किए। 8,250 करोड़ रुपये में से, आप कम से कम 10 करोड़ रुपये दलित परिवार को तो वापस कर ही सकते हैं।
लोग गर्मी नहीं, आपकी नीतियों के वजह से झुलसे
खरगे ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से कहा, आपने अपने पत्र में यह स्पष्ट रूप से झूठ लिखा है कि कांग्रेस ‘विरासत कर’ लाना चाहती है। हमारे घोषणा पत्र में कहीं ऐसा नहीं लिखा है। हकीकत यह है कि आपके पूर्व वित्त मंत्री और आपकी पार्टी के नेताओं ने बार-बार इसका उल्लेख किया है कि वे ‘विरासत कर’ के पक्ष में हैं। आप अपने नेताओं के इन भाषणों और टिप्पणियों को लोग ऑनलाइन देख सकते हैं।
खरगे ने प्रधानमंत्री को लिखा कि आपके पत्र से पता चल रहा है कि आप चुनाव के पहले दो चरणों में हुए कम मतदान से चिंतित हैं। यह दर्शाता है कि लोग आपकी नीतियों या आपके चुनावी भाषणों को लेकर उत्साहित नहीं हैं। दरअसल ऐसा गर्मी की वजह से नहीं हो रहा है, आपकी नीतियों से गरीब झुलस गए हैं। आप ने अपने कार्यकर्ताओं से धर्म के नाम पर मतदाताओं को लामबंद करने की अपील की है। यदि मतदाता आपको वोट देने के लिए इच्छुक ही नहीं हैं, तो अपने कार्यकर्ताओं को दोष न दें।
प्रधानमंत्री क्यों नहीं मांग रहे अपने कामकाज पर वोट?
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कांग्रेस पार्टी की गारंटी भी विस्तार से समझाई है। खरगे ने लिखा कि कांग्रेस पार्टी की गारंटी इतनी सरल और स्पष्ट है कि हमें उन्हें समझाने की जरूरत भी नहीं है। लेकिन आपके लिए, मैं उन्हें यहां दोहरा रहा हूं। खरगे ने अपने पत्र में युवा न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय और हिस्सेदारी न्याय को विस्तार से समझाया है।
खरगे ने कहा, आपको लगातार बढ़ती असमानता के बारे में बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। आप बेरोजगारी और अभूतपूर्व महंगाई के बारे में बात करना नहीं चाहते हैं, जो देश के लोगों को सबसे अधिक प्रभावित कर रही है। न ही आपको महिलाओं पर अपने नेताओं द्वारा लगातार किए जा रहे अत्याचारों पर बात करने में दिलचस्पी है। हमारा घोषणा पत्र न्याय की बात करता है। हमारा फोकस इस बात पर है कि समाज के सभी वर्गों का विकास कैसे हो। यदि आप नफरत भरे भाषण देने के बजाय पिछले दस वर्षों में अपनी सरकार के प्रदर्शन पर वोट मांगते, तो प्रधानमंत्री के रूप में बेहतर होता।
पीएम मोदी से चीन के मसले पर कांग्रेस ने मांगा जवाब
खरगे ने लिखा कि हमने आपको और गृह मंत्री को यह कहते सुना है कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। पिछले 10 वर्षों में हमने जो एकमात्र तुष्टिकरण नीति देखी है, वह है आपके और आपके मंत्रियों द्वारा चीनियों का तुष्टिकरण। आप आज भी चीन को ‘घुसपैठिए’ कहने से इनकार करते हैं, बल्कि 19 जून, 2020 को आपने गलवान में 20 भारतीय सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान का अपमान करते हुए कहा था, “ना कोई घुसा है, ना ही कोई घुस आया है”। आपने चीन को जो ‘क्लीनचिट’ दी है उसने भारत के पक्ष को कमजोर कर दिया है और चीन को और अधिक आक्रामक बना दिया है। यहां तक कि अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख और उत्तराखंड में एलएसी के पास बार-बार चीनी घुसपैठ और सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के कारण तनाव बढ़ गया है। भारत में चीनी सामानों का आयात भी काफी बढ़ गया है- सिर्फ़ पिछले पांच सालों में 54.76 फीसदी की वृद्धि हुई है और 2023-24 में यह आयात 101 बिलियन डॉलर को पार कर गया।